नई दिल्ली 28 जुलाई । 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो गया है। विपक्ष की और से फिलहाल 2019 के पीएम की तीन नए नाम सामने आ रहे है।
विपक्ष की और से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बसपा सुप्रीमो मायावती और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वो तीन नाम हैं जो 2019 में मोदी के खिलाफ विपक्षी खेमे की ओर से पीएम पद के लिए लिए जा रहे हैं, लेकिन फिलहाल इन तीन पार्टियों में ही एकता बनती नहीं दिख रही है।
राहुल गांधी चाहते हैं कि ममता या मायावती के चेहरे पर दांव लगाया जाए और कांग्रेस के नेता इसको लेकर तैयार भी हैं। हालांकि दलित नेता और राष्ट्रीय पहचान होने की वजह से मायावती इस दौड़ में सबसे आगे दिख रही हैं।
ममता ने दिया बड़ा बयान
ममता बनर्जी जानती हैं कि मायावती के पास भले ही एक सीट भी नहीं है लेकिन राष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से उनका कद बड़ा है। लिहाजा ममता ने फौरन कहा है कि बीजेपी विरोधी सभी पार्टियों को साथ आना चाहिए और देश के लिए त्याग करना चाहिए। हमें विभाजित करने वाला कोई नाम मत चुनिए। इससे साफ होता है कि ममता नहीं चाहती हैं कि चुनाव से पहले विपक्षी खेमे में किसी नाम पर मुहर लगे।
चुनाव से पहले ममता और मायावती की तुलना होगी तो ममता उन्नीस पड़ेंगी और मायावती बीस जबकि चुनाव बाद सीटों के मामले में ममता हर हाल में मायावती पर बीस पड़ सकती हैं।
अखिलेश यादव-शरद पवार मायावती के नाम पर तैयार
यूपी में मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव तो मायावती के नाम पर तैयार भी हो चुके हैं और पार्टी खुलकर मायावती का नाम आगे बढ़ा चुकी है।
गुरुवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी मायावती से मुलाकात की और तस्वीर ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा कि अच्छी बातचीत हुई थी। इससे ये साफ जाहिर होता है कि पीएम की उम्मीदवारी के लिए मायावती के नाम पर शरद पवार भी तैयार हैं।
टीएमसी ने फंसा दिया है मायावती के रास्ते में पेंच
विपक्षी खेमे की पार्टियां जैसे कर्नाटक की जेडीएस, हरियाणा की आईएनएलडी और बिहार की आरजेडी को मायावती के नाम पर दिक्कत भी नहीं होगी। लेकिन अब ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने असली पेंच फंसा दिया है। तीन दिन पहले ही पार्टी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा था कि 2018-19 संघीय तरीके से सोचने का साल है और क्षेत्रीय पार्टियां केंद्र में अहम भूमिका निभाएंगी। प्रधानमंत्री पद की दौड़ में ममता के प्रमुख दावेदार के तौर पर उभरने में कुछ भी नया नहीं है। यानि तेजी से चल रही मायावती के नाम की चर्चा वाली गाड़ी के रास्ते में ममता का नाम पेश कर टीएमसी ने रोड़ा अटका दिया है।
मोदी के खिलाफ विपक्ष दो खेमों में बंटा
यही वजह है कि शुक्रवार को कोलकाता में ममता से मिलने पहुंचे नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी चुनाव बाद ही नेता चुनने और ममता का साथ देने के संकेत दिए हैं।
तेलंगाना में राज कर रही टीआरएस भी ममता खेमे में हैं और चंद्रबाबू नायडू भी ममता के नाम पर मान सकते हैं वहीं ओडिशा की बीजेडी से भी ममता के अच्छे रिश्ते हैं।
साफ है कि मोदी के खिलाफ विपक्ष पीएम के नाम पर दो भागों में बंटता जा रहा है और यही स्थिति बनी रह गई तो फिर 2019 में मोदी को रोकना विपक्ष के बूते से बाहर की बात हो जाएगी।
रेस में ममता से आगे मायावती
मायावती एक तो दलित नेता हैं दूसरे हिंदी पट्टी से आती हैं और मायावती की पार्टी का संगठन पूरे देश में है। 2014 में बीजेपी, कांग्रेस के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। मायावती जिस यूपी की राजनीति करती हैं वहां लोकसभा की 80 सीट हैं और मायावती य़ूपी की सीएम रह चुकी हैं और कडक़ प्रशासक मानी जाती हैं।attacknews.in