पालघर (महाराष्ट्र) 20 अप्रैल ।पालघर में करीब 200 लोगों की भीड़ ने 2 साधुओं समेत 3 लोगों को बेरहमी से पीट-पीट कर मार डाला । यह घटना पुलिस के सामने घटी और पुलिस मूक दर्शक बनी रही, यह video में स्पष्ट देखा जा सकता है। इन तीनों में से 2 साधु और एक उनका ड्राइवर था। तीनों लोग कांदीवली से कार मे सवार होकर गुजरात के सूरत जा रहे थे। मारे गए लोगों के नाम सुशील गिरि महाराज, चिकने महाराज कल्पवरुक्षगिरी और ड्राइवर नीलेश तेलगाड़े के तौर पर हुई है।
अखाड़ा परिषद ने पालघर घटना की कड़ी निंदा की
प्रयागराज,से खबर है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने महाराष्ट्र के पालघर जिले में जूना अखाड़ा के दो संतों की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या किये जाने की घटना की रविवार को कड़ी निंदा की। साथ ही, सभी 13 अखाड़ों के साधु-संतों से अनुरोध किया है कि लॉकडाउन के दौरान यदि कोई संत- महात्मा ब्रह्मलीन होता है तो उसकी समाधि में न जाएं।
महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि ये संत महात्मा, एक संत की समाधि में शामिल होने जा रहे थे और उन्हें जाना भी चाहिए, लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि लॉकडाउन में इसके लिए उन्हें प्रशासन से पूर्व अनुमति लेनी चाहिए थी।
उल्लेखनीय है कि यह घटना बृहस्पतिवार रात हुई थी, जब भीड़ ने तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी। मृतकों में जूना अखाड़ा के दो संत भी शामिल हैं।
गिरि ने कहा कि पुलिस के सामने इस तरह से संतों को घेर कर लाठी डंडे से मारा जाना एक गंभीर मामला है और इस बात की जांच होनी चाहिए कि कहीं कोरोना वायरस महामारी के बहाने साधु संतों को निशाना तो नहीं बनाया जा रहा।
गृहमंत्री ने कहा उच्चस्तरीय जांच होगी
बता दें महराष्ट्र की राजनीति में इस मामले के तूल पकड़े जाने के बाद स्वयं गृह मंत्री अनिल देशमुख ने ट्वीट करके कहा है कि पालघर वाले मामले में हमने 110 लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर लिया है। और इस मामले की उच्च स्तरीय जांच के भी आदेश दे दिए गए हैं।
विपक्ष है हमलावर
बता दें इस पूरे मामले पर महाराष्ट्र में उद्धव सरकार पर विपक्ष हमलावर था । वहीं सोशल मीडिया पर भी महाराष्ट्र सरकार को बहुत किरकिरी झेलनी पड़ रही थी। लोग उनसे इस घटना पर कड़ा एक्शन लेने की मांग कर रहे थे। वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने भी मुख्यमंत्री पर हमला बोला है।
योगी आदित्यनाथ ने उद्धव को किया फोन, पालघर में संतों के हत्यारों पर कठोर कार्रवाई का किया आग्रह
महाराष्ट्र के पालघर में जूनागढ़ अखाड़े के 2 साधुओं की हत्या को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से रविवार रात को फोन पर बात की है और संतों के हत्यारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का आग्रह किया है। सोमवार को योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्विटर हेंडल के जरिए यह जानकारी दी। योगी आदित्यनाथ ने बताया कि उद्धव ठाकरे ने सभी दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की बात कही है।
योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट संदेश में लिखा, “पालघर, महाराष्ट्र में हुई जूना अखाड़ा के सन्तों स्वामी कल्पवृक्ष गिरि जी, स्वामी सुशील गिरि जी व उनके ड्राइवर नीलेश तेलगड़े जी की हत्या के सम्बन्ध में कल शाम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री उद्धव ठाकरे जी से बात की और घटना के जिम्मेदार तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हेतु आग्रह किया।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगले ट्वीट में लिखा, “महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा यह बताया गया कि कुछ लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं तथा शेष को चिन्हित कर सभी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
ऐसे घटित हुई घटना:
मालूम हो कि जूना अखाड़े के दो साधु अपने ड्राइवर के साथ मुंबई से गुजरात के सूरत में एक साथी के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे। तभी पालघर के एक गांव में उनकी गाड़ी खराब हो गई। ग्रामीणों की भीड़ ने उन्हें पीट-पीट कर मार डाला।
वो तीनों मुंबई के कांदिवली इलाके से मारुति ईको कार में सवार होकर सूरत के लिए निकले थे। दोनों साधुओं को ही उनका अंतिम संस्कार करना था। जब उनकी गाड़ी महाराष्ट्र-गुजरात बॉर्डर पर पहुंची तो पुलिस ने उन्हें रोक कर वापस भेज दिया। इसके बाद तीनों ने अंदरूनी जंगल वाले रास्ते से होकर आगे बढ़ना तय किया।
इस बीच पालघर जिले के कई गांवों में अफवाह फैल गई जिसके चलते गांव वालों ने बिना कुछ सोचे समझे उनकी गाड़ी देख हमला कर दिया।
पुलिस को इस घटना की सूचना दी गई। लेकिन पुलिस ने ही लापरवाही का नमूना पेश करके वहां पहुंचकर उन तीनों को बचाने की बजाय उन्हें हमलावरों के हवाले कर दिया और गांव वालों की भारी भीड़ के सामने पुलिसकर्मी तमाशा देखते रहे,इसके बाद गुस्साई भीड़ ने उन्हें पीट-पीट कर मार डाला।
बांग्लादेशी शरणार्थी मुसलमानों का स्थान; दो साधुओं की मॉब लिंचिंग के कारण चर्चाओं में आए पालघर के बारे में जानें 10 बातें
पालघर का रेलवे स्टेशन, पालघर कस्बा जिले का मुख्यालय भी है
महाराष्ट्र में मुंबई के करीब बसा कस्बा पालघर हमेशा ही पिछले कुछ बरसों में गलत कारणों से चर्चाओं में रहा है. अबकी बार ये दो साधुओं की मॉब लिंचिंग के कारण की गई हत्या के कारण चर्चा में है. आइए जानते हैं कि पिछले कुछ सालों में किन किन मामलों में पालघर चर्चाओं में आया है. क्या है इसकी डेमोग्राफी. यहां की सियासी हवा किस ओर बहती है.
1. पालघर के सांसद और विधायक – पालघर मुंबई से करीब 90 किलोमीटर दूर है. ये नगर पालिका है. यहां के सांसद और विधायक दोनों ही शिवसेना से ताल्लुक रखते हैं. यहां के सांसद अरुण गोवित हैं जबकि विधायक अमितकृष्ण गौड़ा
2. फेसबुक टिप्पणी पर बरपा था हंगामा- पहली बार पालघर तब सुर्खियों में आया था जब 2012 में फेसबुक पर टिप्पणी के कारण यहां की दो लड़कियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. ये टिप्पणी उन्होंने बाल ठाकरे के निधन के बाद शोक में पूरे महाराष्ट्र को बंद करने पर की थी.
3. बड़े पैमाने पर विस्फोटक मिले थे- वर्ष 2016 में यहां बड़े पैमाने पर विस्फोटक बरामद हुए थे. ये विस्फोटक जमीन पर दबाकर रखे गए थे. पुलिस के कारण इन विस्फोटक की मात्रा 10-15 किलो के आसपास थी.
4. कहां हैं पालघर – पालघर मूल तौर पर कोंकण डिविजन में आने वाला एक कस्बा है, जो पालघर जिले का प्रशासकीय मुख्यालय भी है. ये मुंबई-अहमदाबाद नेशनल हाईवे पर स्थित है.
5. साक्षरता में बहुत आगे- पालघर साक्षरता के लिहाज से बहुत आगे है. यहां की कुछ साक्षरता दर 77,52 है. जहां इस जिले के लिए 81.2 फीसदी पुरुष शिक्षित हैं वहीं 73.35 महिलाएं साक्षर हैं. इस लिहाज से इसकी साक्षरता दर देश की औसत साक्षरता दर से कहीं ज्यादा है.
6. हिंदू आबादी सबसे ज्यादा – पालघर में हिंदू आबादी सबसे ज्यादा है लेकिन उसके अलावा यहां जैन, बौद्ध, मुस्लिम भी पर्याप्त संख्या में रहते हैं. पालघर जिले की कुल आबादी 14.30 लाख के आसपास है जबकि पालघर कस्बे की जनसंख्या 70 हजार के आसपास.
7. यहां दो साल पहले बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी शरणार्थियों को गिरफ्तार किया गया था. माना जाता है कि पालघर में काफी संख्या में बांग्लादेशी शरणार्थी रहते हैं.
पालघर का शिरगांव फोर्ट. पालघर में कई पुराने किले हैं. ये जगह टूरिज्म के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है
8. आजादी की लड़ाई में रहा है प्रमुख केंद्र – पालघर को वर्ष 2014 में जिला बनाया गया. वैसे इस शहर का आजादी का इतिहास भी काफी समृद्ध है. 1942 में जब देश में असहयोग आंदोलन छिड़ा था, तब भी पालघर एक प्रमुख केंद्र के तौर पर उभरकर सामने आया था.
9. टूरिज्म के लिहाज से भी अहम- पालघर जिले में कई तरह के पुराने किले हैं. पर्यटन के लिहाज से ये महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां 10 से ज्यादा पुराने किले हैं. आजादी से पहले यहां से बड़े पैमाने पर लकड़ी की स्मगलिंग हुआ करती थी.
10. बुलेट ट्रेन का हुआ था बड़ा विरोध- प्रधानमंत्री ने बुलेट परियोजना का शिलान्यास किया तो उसका सबसे ज्यादा विरोध यहां के आदिवासियों की ओर से हुआ. 12 जनवरी 2017 को यहां पश्चिमी और मध्य भारत के करीब एक लाख आदिवासी जुटे. आदिवासी एकता परिषद (एईपी) के इस सम्मेलन के जरिए मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना का विरोध किया गया.
दरअसल आदिवासियों का विरोध ये था कि इस परियोजना से पालघर के 73 गांवों के आदिवासी विस्थापित हो जाएंगे. इसमें दो गांव ऐसे भी हैं जो पहले से ही एक बांध के निर्माण के चलते दोबारा बसाए गए थे. इन दोनों गांवों के विस्थापित परिवार अभी भी सरकार द्वारा किए गए स्कूल, अस्पताल और जायज आर्थिक मुआवजा के वादों के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं.