इस्लामाबाद, 10 मई । पाकिस्तान में इमरान खान सरकार ने इस्लामिक कैलेंडर में प्रमुख पर्व एवं पवित्र महीनों का निर्धारण अमावस देखकर किये जाने के कारण कई बार सन्देह की स्थिति बनने के चलते इसका निर्धारण विज्ञान आधारित चंद्र कैलेंडर के जरिये करने का सुझाव देकर रुढ़िवादी मौलवियों का गुस्सा मोल ले लिया है।
दरअसल सालाना रमजान के महीने में उपवास की शुरुआत किस तारीख से हो इसको लेकर विवाद रहता है, जिसको देखते हुए खान नीत सरकार के एक मंत्री ने यह कदम उठाने की पेशकश की है।
मुस्लिम कैलेंडर के नौवें और सबसे पवित्र महीने रमजान, ईद की छुट्टी और शोक वाला माह मोहर्रम मनाने का निर्णय अमावस देखकर ही तय किया जाता है।
पाकिस्तान में मौलवियों के नेतृत्व वाली ‘चांद देखने वाली समिति’ इसकी घोषणा करती है कि कब से रोजे शुरू होगे लेकिन दशकों से इसकी सत्यता को लेकर विवाद भी होता रहा है।
पाकिस्तान के विज्ञान एवं तकनीक मंत्री फवाद चौधरी ने पांच मई को एक वीडियो ट्वीट किया। इसमें उन्होंने कहा है, ‘‘ रमजान, ईद और मुहर्रम के अवसर पर प्रत्येक साल चांद देखने को लेकर विवाद होता है।’’
वीडियो में उनका कहना है, ‘‘ चांद देखने और गणना करने के लिए समिति पुरानी तकनीक…दूरबीन..का सहारा लेती है। जब आधुनिक तकनीक उपलब्ध है और इसका सहारा लेकर हम अंतिम और वास्तविक तारीख की गणना कर सकते हैं तो फिर सवाल यह है कि हम आधुनिक तकनीक का सहारा क्यों नहीं ले रहे हैं?’’
उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय वैज्ञानिकों, मौसम वैज्ञानिकों और पाकिस्तान की अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों को लेकर एक समिति का गठन कर सकती है जो अगले पांच साल की ‘100 फीसदी सही’ तारीख की गणना कर देगी।
हालांकि चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री का मंत्रिमंडल कैलेंडर को खारिज भी कर सकता है।
वहीं एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि देश को कैसे चलाया जाए, इसे मौलवियों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘आगे का सफर युवाओं को ले जाना है, मुल्लाओं को नहीं। केवल प्रौद्योगिकी देश को आगे ले जा सकती है।’’
हालांकि, चांद देखने वाली समिति के प्रमुख मुफ्ती मुनीब-उर-रहमान ने चौधरी को अपने दायरे में रहने की हिदायत दी है।
उन्होंने कराची में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ मैंने प्रधानमंत्री इमरान खान से अपील की है कि संबंधित मंत्री ही धार्मिक मामलों के बारे में बात करें।
चौधरी के बयान के बाद इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है।
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