इस्लामाबाद 7 सितम्बर। प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को कट्टरपंथियों के दबाव के आगे झुकना पड़ा और अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय से चुने गए आर्थिक सलाहकार की नियुक्ति वापस ले ली गई है।
आतिफ मियां एमआईटी में पढ़े पाकिस्तानी अमेरिकी प्रोफेसर हैं जो फिलहाल प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं।
प्रधानमंत्री इमरान खान ने उन्हें आर्थिक सलाहकार परिषद में जगह दी थी।
आतिफ मियां पाकिस्तान में लंबे समय से शोषित और पीड़ित रहे अहमदिया समुदाय से आते हैं. उनकी नियुक्ति की खबर आते ही मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में हड़कंप मच गया और इस्लामिक गुटों ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया।
अहमदिया समुदाय के लोग खुद को मुस्लिम मानते हैं लेकिन उनकी आस्था को इस्लाम की मुख्यधारा के ज्यादातर विचारकों ने ईशनिंदक माना है।पाकिस्तान के संविधान में उन्हें गैरमुस्लिम करार दिया गया है।
सरकारी अधिकारियों ने पहले इस फैसले का बचाव किया था लेकिन धार्मिक गुटों के बढ़ते दबाव के आगे उन्होंने अपना रुख पलट दिया है।
सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा है, “सरकार ने आर्थिक सलाहकार कमेटी से आतिफ मियां का नाम वापस लेने का फैसला किया है.”
पाकिस्तान में ईशनिंदा बहुत बड़ा अपराध है और इसकी वजह से मौत की सजा भी हो सकती है।सरकार ने हालांकि कभी भी किसी को ईशनिंदा के अपराध में मौत की सजा नहीं दी है लेकिन इस तरह के आरोप लगने के बाद कभी गुस्साई भीड़ तो कभी कोई सिरफिरा या फिर उन्मादी लोगों का समूह हिंसक प्रदर्शनों पर उतारू हो जाता है और इसी के चलते लोगों की हत्याएं भी हुई हैं।
इमरान खान ने चुनाव प्रचार के दौरान पाकिस्तान के ईशनिंदा कानूनों का पूरी तरह से बचाव किया था।बहुत से लोगों को चिंता है कि इस रुख के साथ इमरान खान चरमपंथी सोच को मुख्यधारा का हिस्सा बना रहे हैं और इससे आगे चल कर देश में जातीय विभाजन, कट्टरपंथी गुटों का सशक्तिकरण और यहां तक कि हिंसा को बढ़ावा मिल सकता है।
पिछले महीने उनकी सरकार ने बड़े जोर शोर से नीदरलैंड में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून प्रतियोगिता की योजना का विरोध किया था. इस्लामी गुटों ने पाकिस्तान में नीदरलैंड के साथ कूटनीतिक रिश्ते खत्म करने की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन किया. प्रतियोगिता के आयोजकों ने बाद में सुरक्षा कारणों का हवाला दे कर इस प्रतियोगिता को रद्द कर दिया।
विश्लेषक चेतावनी दे रहे हैं कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस वक्त इमरान खान सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि वहां जल्दी भुगतान संकट भयानक स्थिति में पहुंचने वाला है।सरकार ने कहा है कि वह इस महीने के आखिर तक इस बात का फैसला कर लेगी कि उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट पैकेज की जरूरत है या नहीं।attacknews.in