औरैया, 04 जून । उत्तर प्रदेश के औरैया में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज होने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एड़ी चोटी का जोर लगाये हुये है वैसे संख्या बल के आधार पर सत्तारूढ़ दल के लिए अध्यक्ष पद पर काबिज होना आसान नजर नहीं आ रहा है।
पिछले दिनों सम्पन्न हुए जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में आये परिणामों के अनुसार जिले के 23 पदों में समाजवादी पार्टी (सपा) के 10, भाजपा के 05, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के चार एवं चार सदस्य निर्दलीय जीते हैं।
निर्दलीय सदस्यों में चारों समाजवादी विचारधारा के हैं, अभी तक जिनका झुकाव सपा के ही प्रति दिख रहा है पर सत्तारूढ़ भाजपा इन चारों सदस्यों पर अपनी पैनी निगाह लगाए हुए है।
जिले में अध्यक्ष का पद अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण सपा ने अनुसूचित वर्ग के जीते अपने छह सदस्यों में से भाग्यनगर तृतीय से चुनाव जीते रवी त्यागी दोहरे को अध्यक्ष पद का अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है।
यहां पर भाजपा से अनुसूचित वर्ग का केवल एक प्रत्याशी कमल सिंह दोहरे चुनाव जीता है, इसके बावजूद पार्टी ने अभी तक अधिकृत उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है जबकि बसपा से अनुसूचित वर्ग की दो महिला सदस्य वंदना गौतम व निशा राय दोहरे ने सदस्य पद का चुनाव जीता है, इसके बावजूद बसपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वह अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारेगी या किसी अन्य का समर्थन करेगी।
सदस्यों के जातीय आंकड़े के आधार पर सपा के 10 सदस्यों में छह अनूसूचित जाति, तीन यादव व एक मुस्लिम है।
भाजपा के पांच सदस्यों में दो क्षत्रिय, एक ब्राह्मण, एक प्रजापति व एक अनुसूचित वर्ग से है।
बसपा के चार सदस्यों में दो अनुसूचित वर्ग, एक पाल व एक यादव है।
चार निर्दलियों में तीन यादव व एक लोध राजपूत है।
जिस आधार पर राजनीतिक जानकारों को अध्यक्ष पद पर सपा की जीत आसान लग रही है पर भाजपा किसी भी कीमत पर जिले में अपना अध्यक्ष बनाने के लिए पूरी ताकत से जुटी होने के साथ जोड़-तोड़ की गणित बनाने में लगी है।
भाजपा के स्थानीय नेता बसपा व निर्दलीय सदस्यों को अपने साथ जोड़ कर हर कीमत पर अपना अध्यक्ष बनाने को प्रयासरत हैं।
सपा नेता भी अपने सदस्यों की रखवाली के साथ समाजवादी विचारधारा वाले सभी निर्दलीय सदस्यों के सम्पर्क में रहने के साथ बसपा के सदस्यों को भी अपने साथ जोड़ने के लिए प्रयासरत हैं।
जिससे ये कहा जा सकता है कि सत्तारूढ़ भाजपा के लिए अध्यक्ष पद पर काबिज हो पाना दूर की कौड़ी नजर आ रही है।