Home / राजनीति / राहुल गांधी के नेतृत्व में जायजा लिए बगैर जम्मू-कश्मीर एयरपोर्ट से बेरंग लौटे विपक्षी दल,राहुल ने बिना देखे भयावह स्थिति बता दी attacknews.in

राहुल गांधी के नेतृत्व में जायजा लिए बगैर जम्मू-कश्मीर एयरपोर्ट से बेरंग लौटे विपक्षी दल,राहुल ने बिना देखे भयावह स्थिति बता दी attacknews.in

नयी दिल्ली, 24 अगस्त । कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने श्रीनगर हवाईअड्डे से लौटाये जाने के बाद शनिवार को यहां कहा कि अब यह स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं। 

श्री गांधी ने कश्मीर घाटी के हालात का जायजा लेने गये राजनेताओं के प्रतिनिधिमंडलों को श्रीनगर हवाईअड्डे से लौटाये जाने के बाद यहां पहुंचने पर संवाददाताओं से कहा, “कुछ दिनों पूर्व मुझे जम्मू-कश्मीर दौरे के लिए राज्यपाल ने आमंत्रित किया था, मैंने न्योता स्वीकार कर लिया था। हम वहां के लोगों की भावनाओं को जानना चाहते थे, लेकिन हमें हवाईअड्डे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गयी। हमारे साथ गये मीडियाकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की की गयी। यह स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य नहीं है।”

विपक्ष के नेताओं के साथ श्रीनगर गये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं से कहा, “हमें शहर में जाने की अनुमति नहीं दी गयी, लेकिन जम्मू-कश्मीर की हालत भयावह है। हमारे विमान में मौजूद कश्मीर के यात्रियों से जो कहानियां सुनी उसे सुनकर एक पत्थर के भी आंख में आंसू आ जायेंगे।” 

कांग्रेस के इन नेताओं के साथ विपक्षी दलों का 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी गया था। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा और के सी वेणुगोपाल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, द्रमुक नेता तिरुची शिवा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता माजिद मेनन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा, तृणमूल कांग्रेस नेता दिनेश त्रिवेदी और राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मनोज झा भी थे।

राज्यपाल सत्यपाल मलिक का श्री गांधी को जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए कश्मीर घाटी के दौरे का निमंत्रण दिये जाने के बाद विपक्षी नेताओं का यह दौरा हुआ।

इससे पहले एयरपोर्ट पर रोका:


जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किये जाने बाद कश्मीर घाटी की स्थिति का जायजा लेने के लिए शनिवार को यहां पहुंचे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी तथा कुछ अन्य विपक्षी नेताओं को प्रशासन ने शहर में जाने की अनुमति नहीं दी और उन्हें यहां हवाई अड्डे पर ही रोक लिया गया। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशासन ने श्रीनगर में सुरक्षा हालात का हवाला देते हुए नौ विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल को हवाई अड्डे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी। विपक्षी नेताओं का दल करीब दो बजे श्रीनगर हवाई अड्डे पर पहुंचा ।

रिपोर्टों के अनुसार मीडिया ने जब विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से मिलने का प्रयास किया तो उसे मिलने नहीं दिया गया। बारह सदस्यीय इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल, पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा, द्रमुक नेता तिरुचि शिवा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता माजिद मेमन, तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश त्रिवेदी तथा राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मनोज झा शामिल हैं। 

जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया है और राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केन्द्र शासित प्रदेशों में 31 अक्टूबर को विभाजित कर दिया जायेगा। इस फैसले से पहले ही राज्य में हजारों की संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था और कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे जिन्हें एक-एक कर हटाया जा रहा है। 

श्री गांधी की अगुवाई में नौ विपक्षी दलों का यह प्रतिनिधिमंडल वहां की जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए आयाथा । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं हैं। 

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को ही एक वक्तव्य जारी कर विपक्षी नेताओं से आग्रह किया था कि वे फिलहाल कश्मीर घाटी में न आएं और प्रशासन के साथ सहयोग करें। 

प्रशासन ने ट्वीट किया कर कहा था, “ नेताओं के दौरे से असुविधा होगी। हम लोगों को आतंकवादियों से बचाने में लगे हैं।” प्रशासन ने कहा कि नेता उन प्रतिबंधों का भी उल्लंघन कर रहे होंगे, जो अभी भी कई क्षेत्रों में हैं। वरिष्ठ नेताओं को समझना चाहिए कि शांति-व्यवस्था बनाए रखने और नुकसान को रोकने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही। अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने के बाद से ही श्री गांधी समेत पूरी कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर है और वे राज्य की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं। 


कश्मीर में 20वें दिन भी सामान्य जनजीवन प्रभावित

जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने के 20 वें दिन शनिवार को भी ग्रीष्मकालीन राजधानी समेत पूरी घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा। 

घाटी में शुक्रवार की नमाज के बाद प्रदर्शन की आशंकाओं को देखते हुए जुम्मे की सुबह पर फिर से पाबंदियां लागू कर दी गयी थीं। इसके बाद रात में कहीं से किसी प्रकार की अप्रिय वारदात की सूचना नहीं है। शनिवार सुबह अधिकांश इलाकों से पाबंदियां हटा ली गई थीं।

पीसीआई ने संचार पाबंदियों का समर्थन किया-

भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) ने जम्मू-कश्मीर में संचार व्यवस्था पर जारी पाबंदी का समर्थन करते हुए इसे राष्ट्रहित में करार दिया है तथा इस मामले में उच्चतम न्यायालय में एक हस्तक्षेप याचिका भी दायर की है। 

पीसीआई ने राज्य में संचार व्यवस्था पर पाबंदी के खिलाफ ‘कश्मीर टाइम्स’ की कार्यकारी सम्पादक अनुराधा भसीन की उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में हस्तक्षेप की मांग की है।

पीसीआई ने जम्मू-कश्मीर में सरकार द्वारा संचार व्यवस्था पर जारी पाबंदी को उचित करार देते हुए इसे राष्ट्रहित में उठाया गया कदम करार दिया है। सरकार ने अनुच्छेद 370 निरस्त किये जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में संचार व्यवस्था ठप है।

पीसीआई के अवर सचिव टी जी खांगिन ने परिषद की ओर से वादकालीन याचिका दायर करके सुश्री भसीन की लंबित याचिका में हस्तक्षेप करने की मांग की है। सुश्री भसीन की याचिका कश्मीर में संचार प्रतिबंधों में ढील देने की मांग करती है, जबकि पीसीआई ने इस पाबंदी को राष्ट्रहित में करार दिया है। पीसीआई ने अपने आवेदन में कहा है कि राज्य में संचार पर प्रतिबंध लगना राष्ट्र की एकता और संप्रभुता के हित में है।

याचिकाकर्ता ने अपने आवेदन में अनुच्छेद 370 के हटाये जाने के बारे में कुछ उल्लेख नहीं किया है, जिसके कारण कश्मीर में संचार पर प्रतिबंध लगा हुआ है।

सुश्री भसीन ने अपनी दलील में कहा है कि इंटरनेट और दूरसंचार का बंद होना, गतिशीलता पर गंभीर प्रतिबंध और सूचनाओं के आदान-प्रदान पर व्यापक रोक लगाना संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत भाषा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में मोबाइल, इंटरनेट और लैंडलाइन सेवाओं सहित संचार के सभी तरीकों को तुरंत बहाल करने के लिए केंद्र सरकार को दिशानिर्देश जारी करने की मांग की है ताकि मीडिया को अपना काम करने के लिए सक्षम वातावरण प्रदान किया जा सके।

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