नयी दिल्ली , नौ जुलाई। उच्चतम न्यायालय ने सोलह दिसंबर 2012 को 23 साल की एक लड़की के सामूहिक बलात्कार और हत्या के सनसनीखेज मामले में मौत की सजा पाने वाले तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका आज खारिज कर दी। इस मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है :
16 दिसंबर 2012: छह लोगों ने एक निजी बस में पैरामेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और बर्बरता की। उसे तथा उसके पुरुष मित्र को चलते वाहन से बाहर फेंका। दोनों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।
17 दिसंबर : आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन।
18 दिसंबर : राम सिंह और तीन अन्य गिरफ्तार।
20 दिसंबर : पीड़िता के मित्र का बयान दर्ज।
21 दिसंबर : दिल्ली के आनंद बिहार बस टर्मिनल से नाबालिग आरोपी गिरफ्तार। पीड़िता के मित्र ने मुकेश को दोषी के रूप में पहचाना। पुलिस ने छठे आरोपी अक्षय ठाकुर को पकड़ने के लिये हरियाणा और बिहार में छापे मारे।
21-22 दिसंबर : बिहार के औरंगाबाद जिले से ठाकुर गिरफ्तार , दिल्ली लाया गया। पीड़िता ने अस्पताल में एसडीएम के सामने बयान दर्ज किया।
23 दिसंबर : प्रदर्शनकारी निषेधाज्ञा का उल्लंघन करके सड़कों पर उतरे।
25 दिसंबर : आरोपी लड़की की हालत गंभीर। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के दौरान घायल कांस्टेबल सुभाष तोमर की अस्पताल में मौत।
26 दिसंबर : दिल का दौरा पड़ने पर पीड़िता को सरकार द्वारा इलाज के लिये सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल ले जाया गया।
29 दिसंबर : पीड़िता की मौत। पुलिस ने प्राथमिकी में हत्या का आरोप जोड़ा।
दो जनवरी 2013: तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने यौन अपराध मामलों में शीघ्र सुनवाई के लिये फास्ट ट्रैक अदालत शुरू की।
तीन जनवरी : पुलिस ने पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया।
पांच जनवरी : अदालत ने आरोपपत्र पर संज्ञान लिया।
सात जनवरी : अदालत ने बंद कमरे में कार्यवाही के आदेश दिये।
28 जनवरी : किशोर न्याय बोर्ड ने कहा कि नाबालिग आरोपी की अवयस्कता साबित।
दो फरवरी : फास्ट ट्रैक अदालत ने पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किये।
28 फरवरी : जेजेबी ने नाबालिग के खिलाफ आरोप तय किये।
11 मार्च : राम सिंह ने दिल्ली के तिहाड़ जेल में खुदकुशी की।
22 मार्च : दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मीडिया को निचली अदालत की कार्यवाही की खबर देने की अनुमति दी।
11 जुलाई : जेजेबी ने 16 दिसंबर की रात सामूहिक बलात्कार से पहले एक कारपेंटर को अवैध रूप से बंदी बनाने और लूट का दोषी ठहराया।
22 अगस्त : फास्टट्रैक अदालत ने चार वयस्क आरोपियों के खिलाफ सुनवाई में अंतिम दलीलें सुनीं।
31 अगस्त : जेजेबी ने नाबालिग को गैंगरेप और हत्या का दोषी ठहराया और तीन साल के लिये सुधार गृह भेजा।
तीन सितंबर : अदालत ने सुनवाई पूरी की। फैसला सुरक्षित।
10 सितंबर : अदालत ने मुकेश , विनय , अक्षय , पवन को 13 आरोपों में दोषी ठहराया।
13 सितंबर : अदालत ने चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाई।
23 सितंबर : उच्च न्यायालय ने दोषियों की सजा के संदर्भ सुनवाई शुरू की।
13 मार्च 2014: उच्च न्यायालय ने चार दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी।
15 मार्च : उच्चतम न्यायालय ने दो दोषियों मुकेश और पवन की सजा पर अमल पर रोक लगाई। बाद में अन्य दोषी की सजा पर भी लगी रोक।
तीन फरवरी 2017: शीर्ष अदालत ने कहा कि वह दोषियों की मौत की सजा के पहलुओं पर नये सिरे से सुनवाई करेगी।
27 मार्च : शीर्ष अदालत ने उनकी अपीलों पर फैसला सुरक्षित रखा।
पांच मई : शीर्ष अदालत ने चार दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी।
आठ नवंबर : एक दोषी मुकेश ने मौत की सजा को बरकरार रखने के फैसले पर पुनर्विचार के लिये शीर्ष अदालत में याचिका दायर की।
15 दिसंबर : दोषियों विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता ने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की।
चार मई 2018: शीर्ष अदालत ने दो दोषियों विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रखा।
नौ जुलाई : शीर्ष अदालत ने तीनों दोषियों की पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कीं।attacknews.in