मुंबई, 11 नवंबर । महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए बहुमत जुटाने के लिए शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और उनके पुत्र आदित्य ठाकरे ने आज राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के साथ एक घंटे तक बैठक की।
सूत्रों के अनुसार श्री पवार और ठाकरे के बीच बान्द्रा के एक होटल में अपराह्न एक घंटे तक बैठक चली और बैठक समाप्त होने के बाद सभी नेता वहां से चले गये।
दोनों नेताओं ने होटल के बाहर उपस्थित संवाददाताओं से कोई बात नहीं की। शिव सेना ने सरकार बनाने के लिए राकांपा को एक अधिकृत प्रस्ताव दिया है। शिव सेना को समर्थन देने या नहीं देने के संबंध में कांग्रेस और राकांपा मेंअलग अलग स्थानों पर बैठकें चल रही हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने कल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से महाराष्ट्र में सरकार बनाने में असमर्थता जतायी थी जिसके बाद महाराष्ट्र की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिव सेना को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया और आज शाम तक शिव सेना को बताना होगा कि उनके पास सरकार बनाने योग्य संख्या है या नहीं।
समझा जाता है कि ठाकरे ने पवार से महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए उनकी पार्टी के समर्थन का अनुरोध किया। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
ठाकरे और पवार ने एक उपनगरीय होटल में बातचीत की। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार गठन के लिए दावा पेश करने की खातिर शाम साढ़े सात बजे तक का समय दिया है।
सूत्रों ने बताया कि 45 मिनट की इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने कृषि मुद्दे समेत ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ पर भी चर्चा की जो सरकार बनने की स्थिति में उनकी सरकार के लिए दिशानिर्देश का काम करेगा।
राकांपा ने अबतक अपने इस फैसले की घोषणा नहीं की है कि वह शिवसेना का समर्थन करेगी या नहीं । उसने कहा है कि वह अपने सहयोगी कांग्रेस द्वारा उठाये जाने वाले कदम के आधार पर निर्णय लेगी।
कांग्रेस के शीर्ष नेता यह तय करने के लिए दिल्ली में शाम चार बजे महाराष्ट्र के पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेंगे कि इस गतिरोध के बीच पार्टी क्या रूख अपनाए।
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के पास 56 सीटें हैं जबकि राकांपा और कांग्रेस के पास क्रमश: 54 और 44 सीटें हैं।
राज्य में सरकार बनाने को इच्छुक किसी भी दल या गठबंधन को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी।
सूत्र ने कहा, ‘‘ शिवसेना प्रमुख ने पवार साहब से समर्थन का अनुरोध किया। उन्होंने न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर भी चर्चा की।’’
सूत्र ने बताया कि पवार के साथ उद्धव ठाकरे के साथ उनके बेटे आदित्य ठाकरे और पार्टी नेता संजय राउत भी थे।
सूत्रों के अनुसार राकांपा की ओर से वरिष्ठ नेता अजीत पवार और सुनील तटकर भी मौजूद थे।
कांग्रेस और राकांपा अपने-अपने पार्टी स्तर पर बातचीत कर रही हैं कि क्या राज्य में शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन दिया जाए।
कोश्यारी ने रविवार को शिवसेना को सरकार गठन करने का दावा पेश करने के लिए अपनी इच्छा और सामर्थ्य का संकेत देने के लिए बुलाया था। उससे पहले 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा ने राज्य में सरकार गठन के लिए दावा पेश नहीं करने का फैसला किया था।
भाजपा अगर वादा पूरा करने को तैयार नहीं, तो गठबंधन में बने रहने का कोई मतलब नहीं :राउत
उधर शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने सोमवार को कहा कि भाजपा अगर महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद साझा करने का वादा पूरा नहीं करना चाहती तो गठबंधन में बने रहने को कोई मतलब नहीं है।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के शिवसेना को सरकार बानने का दावा पेश करने के लिए आमंत्रित करने के एक दिन बाद राउत ने पत्रकारों से कहा, भाजपा ‘50:50’ के फार्मूले का पालन नहीं करके जनादेश का ‘‘अपमान’’ कर रही है।
उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव से पहले इस पर निर्णय ले लिया गया था।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर भाजपा ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’ (पीडीपी) के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बना सकती है तो शिवसेना महाराष्ट्र में राकांपा और कांग्रेस के साथ क्यों नहीं।
राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘ भाजपा का यह अहंकार कि वह विपक्ष में बैठ लेगी लेकिन मुख्यमंत्री पद साझा नहीं करेगी, के कारण ही मौजूदा स्थिति उत्पन्न हुई है… अगर भाजपा अपना वादा पूरा करने को तैयार नहीं है, तो गठबंधन में रहने का कोई मतलब नहीं है।’’
राउत ने सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए कम समय मिलने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि भाजपा को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए 72 घंटे मिले, हमें 24 घंटे दिए गए।
राउत ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से राज्य के हित में साथ आने की अपील की।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस, राकांपा को मतभेद भूल कर महाराष्ट्र के हित में एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के साथ आना चाहिए।
राउत ने कहा, ‘‘ शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस महाराष्ट्र के हित की रक्षा पर सहमत हैं।’’
भाजपा के रविवार को सरकार बनाने से इनकार करने के कुछ घंटों बाद राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए आमंत्रित किया था।
शिवसेना एक ओर जहां राकांपा और कांग्रेस से संपर्क साध रही है वहीं शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी राकांपा ने रविवार को कहा कि शिवसेना को पहले राजग से अलग होना होगा।
अरविंद सावंत ने दिया इस्तीफा:
इस बीच, केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री एवं शिवसेना नेता अरविंद सावंत ने सोमवार को केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार से अलग होने की घोषणा की। मोदी मंत्रिमंडल में शिवसेना के इकलौते मंत्री ने टि्वटर पर अपने फैसले की घोषणा की।
श्री सावंत ने अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा कि भाजपा चुनाव पूर्व वादों से मुकर गयी है। इसलिए उनके लिए केन्द्र सरकार में बना रहना नैतिक नहीं होगा। अत: उन्होंने केन्द्र सरकार से त्यागपत्र दे दिया है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में लोकसभा के चुनाव में भाजपा एवं शिवसेना में एक फार्मूले पर सहमति बनी थी और दोनों पक्ष आश्वस्त थे लेकिन भाजपा का इस फार्मूले से मुकरना चौंकाने वाली बात है। शिवसेना का पक्ष सत्य का है, भाजपा का नहीं।
श्री सावंत ने कहा, “शिवसेना का पक्ष सच्चाई है। इतने झूठे माहौल में दिल्ली सरकार में क्यों रहे और इसीलिए मैं केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं। भाजपा शिवसेना के बीच सीटों का बंटवारा 50-50 प्रतिशत तय था। लेकिन नतीजे आने के बाद भाजपा ने कहा कि ऐसे किसी करार पर बात नहीं हुई। अब केंद्र में काम नहीं कर सकता हूं।”
श्री सावंत 2014 में पहली बार मुंबई दक्षिण सीट से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। सदन में अत्यंत सक्रियता से काम करते हुए उन्होंने खासी लोकप्रियता अर्जित की। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कई प्रमुख नेताओं के पराजित होने के बाद श्री सावंत को मोदी सरकार में शिवसेना कोटे से कैबिनेट मंत्री बनाया गया। उन्हें भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्री बनाया गया था। राजनीति में आने से पहले वह महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) में इंजीनियर के रूप में नौकरी भी कर चुके हैं।
कांग्रेस, राकांपा मिलकर फैसला लेंगी : पवार
महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए राकांपा तथा कांग्रेस द्वारा शिवसेना को समर्थन देने पर चल रही बातचीत के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कहा कि जो भी फैसला होगा वह दोनों पार्टियां मिलकर लेंगी।
पवार ने यह भी कहा कि शिवसेना को दिए गए राज्यपाल के निमंत्रण पर उनकी पार्टी में कोई चर्चा नहीं की गयी है।
पवार ने यहां राकांपा की कोर समिति की बैठक से पहले पत्रकारों से कहा, ‘‘हमने (कांग्रेस और राकांपा ने) एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। जो भी फैसला होगा, हम एक साथ मिलकर लेंगे।’’
शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस से बातचीत की कोशिशों में लगी है। वहीं, शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने रविवार को कहा कि शिवसेना को पहले राजग से अलग होना होगा।
मोदी मंत्रिमंडल में शिवसेना के इकलौते मंत्री अरविंद सावंत ने सोमवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार से अलग होने की घोषणा की।