मुंबई, 23 नवंबर । राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिये भाजपा से हाथ मिलाने के अजित पवार के फैसले को शनिवार को ‘‘अनुशासनहीनता’’ करार दिया। उन्होंने कहा कि उनके भतीजे और पाला बदलने वाले पार्टी के अन्य विधायकों पर ‘‘दल-बदल विरोधी कानून’’ के प्रावधान लागू होंगे।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख ने दावा किया कि भाजपा नीत नयी सरकार विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस’ के पास संयुक्त रूप से संख्या बल है और तीनों दल सरकार बनाएंगे। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी तीनों दलों के साथ मिल कर सरकार बनाने की बात दोहराई।
शनिवार सुबह हुए चौंका देने वाले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद पवार ने शिवसेना प्रमुख के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
ठाकरे ने कहा, ‘‘पहले ईवीएम का खेल चल रहा था और अब यह एक नया खेल है। अब मुझे नहीं लगता कि चुनाव कराने की भी कोई जरूरत है।’’ शरद पवार ने कहा कि जिन विधायकों ने दल-बदल किया है उनकी विधानसभा की सदस्यता छिन जाएगी और जब उपचुनाव होंगे, तब कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना गठबंधन उनकी हार सुनिश्चित करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘उनके मतदाता भी उपयुक्त रुख अख्तियार करेंगे।’’
शरद ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि क्या उनके भतीजे ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के डर से भाजपा का समर्थन करने का फैसला लिया।
अजित पवार उन लोगों में शामिल हैं जो करोड़ों रुपये के महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले मामले में नामजद किये गये हैं।
राकांपा प्रमुख ने इन अटकलों को भी खारिज कर दिया कि मुख्यमंत्री पद को लेकर उनकी बेटी सुप्रिया सुले के साथ सत्ता संघर्ष के परिणामस्वरूप अजित ने यह अवज्ञा की।
उन्होंने कहा, ‘‘सुप्रिया की राज्य की राजनीति में रूचि नहीं है। वह सांसद है और राष्ट्रीय स्तर की राजनीति करना चाहती है।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना को निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों के साथ 169-170 विधायकों का समर्थन हासिल है तथा वे सरकार बनाने के लिये तैयार हैं।
राकांपा प्रमुख ने कहा, ‘‘सुबह करीब साढे छह-पौने सात बजे, मेरे पास यह फोन कॉल आया कि राकांपा के कुछ विधायकों को राजभवन ले जाया गया है। कुछ देर बाद, हमें पता चला कि देवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार ने क्रमश: मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।’’
उन्होंने कहा कि राकांपा के जो 10 से 11 विधायक राजभवन में अजित के साथ उपस्थित थे, उनमें से तीन पार्टी में लौट आए। ‘‘दो और लौट रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘टीवी फुटेज और तस्वीरों से हमने विधायकों की पहचान कर ली है।’’
संवाददाता सम्मेलन में मौजूद विधायकों–बुलढाणा से राजेंद्र शिंगणे और बीड से संदीप क्षीरसागर ने कहा कि रात 12 बजे उन्हें अजित पवार का फोन कॉल आया, जिसमें उनसे पार्टी के नेता धनंजय मुंडे के आवास पर सुबह सात बजे आने को कहा गया।
दोनों विधायकों ने कहा कि इसके बाद उन्हें राजभवन ले जाया गया।
उन्होंने बताया, ‘‘इससे पहले कि उन्हें कुछ आभास हो पाता, हमने देखा कि देवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शपथ ग्रहण करा रहे हैं।’’
शिंगणे ने कहा, ‘‘जब मैं राजभवन पहुंचा, तो पाया कि आठ-10 विधायक पहले से वहां मौजूद हैं। हममें से किसी ने महसूस नहीं किया कि हमें वहां क्यों लाया गया। शपथ ग्रहण के बाद हम (शरद) पवार साहेब से मिलने गये।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अजित पवार के बुलाने के बाद कुछ गलतफहमी के चलते यह सब हुआ।’’
मावल से राकांपा विधायक सुनिल शेल्के संवाददाता सम्मेलन खत्म होने के बाद वहां पहुंचे।
शरद पवार ने कहा, ‘‘ राकांपा का विधायक दल का नेता होने के नाते अजित पवार के पास आंतरिक उद्देश्यों के लिये सभी 54 विधायकों के नाम, हस्ताक्षर और निर्वाचन क्षेत्रों के साथ सूची थी। मुझे लगता है कि उन्होंने यह सूची समर्थन पत्र के रूप में राज्यपाल को सौंपी होगी। यदि यह सच है तो राज्यपाल को भी गुमराह किया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के पास संख्या बल है तथा हम सरकार बनाएंगे। हम साथ हैं और ऐसी बाधाओं से पार पाने में सक्षम हैं। हमें राकांपा विधायक दल का एक नेता चुनने की जरूरत है।’’
पार्टी में टूट और परिवार में बिखराव के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, ‘‘मैं इन चीजों से पहले भी गुजर चुका हूं। 1980 में मैं उन सभी को शिकस्त देने में सफल रहा था जिन्होंने मुझे अकेला कर दिया था। राजनीति और परिवार अलग-अलग चीजें हैं।’’
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम से खुद को अलग करते हुए स्पष्ट कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार बनाने का उनका नहीं बल्कि पार्टी नेता अजीत पवार का फैसला है और उनके साथ जाने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
श्री पवार ने कहा कि कांग्रेस, शिवसेना तथा राकांपा ने एक साथ बैठकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने का निर्णय लिया था लेकिन जो घटनाक्रम हुआ है उसमें पूरी तरह से अजीत पवार का हाथ है। उन्होंने चेतावनी दी कि पार्टी के जो विधायक अजीत पवार के साथ जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उन्हाेंने कहा,“ मेरे साथ पहले भी ऐसा होता रहा है,मुझे चिंता नहीं है। मेरे पास नम्बर हैं ,स्थायी सरकार हम ही बनायेंगे।”
श्री पवार ने कहा कि तीनों दलों के विधायाकों के साथ ही कुछ निर्दलीय के सहयोग से शिव सेना के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बन रही थी और उसमें 169 से 170 तक विधायकों की संख्या हो रही थी। तीनों दलों ने शिव सेना के नेतृत्व में सरकार बनाने का निर्णय लिया था। श्री फड़नवीस के पास बहुमत नहीं है और वह सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे।
उन्होंने कहा “यह निर्णय अजीत का है। मुझे विश्वास है कि राकांपा को कोई भी विधायक अजीत के साथ नहीं जाएगा। यदि कोई विधायक उनके साथ जाने की सोच रहे हैं ,उन्हें दल विरोधी कानून की जानकारी होनी चाहिए। जो राकांपा से बाहर जाने का निर्णय लेंगे उनकों महाराष्ट्र के लोग सबक सिखाएंगे।”
श्री पवार ने कहा कि जो लोग भाजपा के साथ जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम के बाद कुछ लोगों ने उनसे संपर्क किया लेकिन तब तक उन्हें इस बात का अंदाज ही नहीं था।
वहीं, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने जनादेश का अनादर करने के लिये भाजपा की आलोचना की है।
उन्होंने कहा, ‘‘शिवसेना जो कुछ करती है वह सामने होता है, खुल कर करती है।’’
उन्होंने एक लोकप्रिय मराठी हॉरर टीवी धारावाहिक के शीर्षक का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हमारी राजनीति ‘रात्रि खेल चाले’ (रात में खेल होता है) नहीं है।’’
ठाकरे ने कहा, ‘‘मैंने सुना है कि आज तड़के केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। पाकिस्तान के खिलाफ जिस तरह से ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की गई, उसी तरह से यह महाराष्ट्र पर ‘फर्जिकल स्ट्राइक’ है…यह जनादेश और संविधान का स्पष्ट रूप से अनादर है। यह महाराष्ट्र के लोगों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ है और वे इसका जवाब देंगे।’’
शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हर कोई जानता है कि जब छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ विश्वासघात किया गया था और उन पर पीछे से हमला किया गया था तब उन्होंने क्या किया था। शिवसेना के कार्यकर्ता पार्टी विधायकों का दल बदल कराने की सारी कोशिशें नाकाम कर देंगे।’’
भाजपा की आलोचना करते हुए ठाकरे ने कहा, ‘‘वह पार्टी सहयोगी दल, विपक्षी और अंदरूनी प्रतिद्वंद्वी नहीं चाहती है। शिवसेना इस प्रवृत्ति के खिलाफ लड़ रही है। हम चाहते हैं कि सब कुछ कानून और संविधान के मुताबिक हो। हम (शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस) साथ मिल कर सरकार बनाएंगे।’’
शुक्रवार का घटनाक्रम जब पवार ने उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की सहमति दी और अजीत पवार उपस्थित थे:
कल ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन में सहमति बनी है कि महाराष्ट्र की नई सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे करेंगे।
पवार की घोषणा, कांग्रेस, राकांपा और उनके चुनाव पूर्व गठबंधन सहयोगियों और तीनों पार्टियों की बैठकों के बाद आई थी ।
कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के शीर्ष नेताओं की लंबी बैठक से निकलते हुए पवार ने कहा था कि ठाकरे के नेतृत्व पर सहमति बनी है।
वर्ली में नेहरू केंद्र में हुई बैठक के बाद पवार ने कहा था कि अन्य मुद्दों पर चर्चा चल रही है।
राकांपा प्रमुख ने कहा था कि , ‘‘ नेतृत्व का मुद्दा अब लंबित नहीं है। मुख्यमंत्री पद के लिए दो तरह की कोई राय नहीं थी। इस बात पर सहमति बनी है कि उद्धव ठाकरे नई सरकार का नेतृत्व करें।’’
सवाल किया गया था कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री होंगे, तो पवार ने जवाब दिया, ‘‘ आप हिन्दी नहीं समझते हैं। नई सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे करेंगे।’’
बैठक में शिरकत करने वाले शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे ने ठाकरे के नेतृत्व पर पवार के बयान के बारे में किए गए सवाल पर अलग से पत्रकारों से कहा था कि इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि , ‘‘ जब सब कुछ तय हो जाएगा तो कल एक प्रेस वार्ता की जाएगी।’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा था कि महाराष्ट्र में कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के बीच सरकार बनाने पर बातचीत अनिर्णायक है और चर्चा शनिवार को भी जारी रहेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के बीच बातचीत सकारात्मक रही और वे कई निष्कर्षों पर पहुंचे हैं।
चव्हाण ने कहा था कि , ‘‘ बातचीत कल भी जारी रहेगी। कांग्रेस और राकांपा के बीच कल नई दिल्ली में चर्चा खत्म हुई थी और आम स्थिति पर सहमति बन गई।
ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने के पवार के बयान पर किए गए सवाल पर चव्हाण सीधा जवाब देने से बचे और सिर्फ इतना कहा कि ‘‘ उन्होंने जो भी कहा है कि वह रिकॉर्ड पर है।’’
बैठक से बाहर आने के बाद, ठाकरे ने पत्रकारों से कहा था कि बातचीत संतोषजनक थी।
उन्होंने कहा था कि , ‘‘ (सरकार गठन पर) बातचीत सही दिशा में चल रही है। महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की जा रही है। सबकुछ तय होने के बाद तीनों पार्टियां आपके सामने आएंगी।
इस बैठक में शिवसेना से एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई, संजय राउत, कांग्रेस से अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, अविनाश पांडे, बालासाहेब थोराट, पृथ्वीराज चव्हाण और राकांपा से प्रफुल्ल पटेल, जयंत पाटिल, अजित पवार ने हिस्सा लिया था ।
महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे और नतीजे 24 अक्टूबर को आए थे। राज्य में किसी पार्टी या गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करने की वजह से राज्य में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।
शिवसेना के मुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर भाजपा से 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ने के बाद से राज्य में राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया था ।
राज्य में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था, और गठबंधन को बहुमत मिला था जिसमें भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटें आई थीं। राकांपा और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था और उन्हें क्रमश: 54 और 44 सीटें मिली हैं।
शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की सीटें 154 होती हैं जो बहुमत के 145 की संख्या ज्यादा है।
इस बीच, शिवसेना सांसद संजय राउत ने यहां कहा था कि शिवसेना को भगवान इंद्र के सिंहासन का प्रस्ताव मिले तब भी वह भाजपा के साथ नहीं जाएगी।
राउत ने संवाददाताओं से कहा था कि कांग्रेस और राकांपा के साथ वाला त्रिदलीय गठबंधन जब सत्ता में आएगा तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद उनकी पार्टी को ही मिलेगा।
अटकलें थी कि भाजपा मुख्यमंत्री पद शिवसेना के साथ साझा करने को तैयार है। इस बारे में सवाल पर राउत ने कहा, ‘‘प्रस्तावों के लिए वक्त अब खत्म हो चुका है। महाराष्ट्र की जनता शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहती है।
उधर, उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को अपनी पार्टी के विधायकों से मुलाकात की थी और उन्हें बताया था कि राज्य में शिवसेना नीत सरकार बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
एक विधायक ने बताया था कि ठाकरे ने विधायकों को मुंबई में एक साथ रहने का निर्देश दिया, क्योंकि उनकी जरूरत कभी भी पड़ सकती है।
इससे पहले, शुक्रवार को कांग्रेस और राकांपा ने बताया कि उनके छोटे सहयोगियों ने महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए सरकार बनाने के विचार का समर्थन किया था।
इस बीच, कांग्रेस और राकांपा के प्रतिनिधियों ने अपने चुनाव पूर्व सहयोगियों के साथ यहां बैठक की थी, जिसमें समाजवादी पार्टी, आरपीआई (कावड़े गुट), आरपीआई (खरात गुट), राजू शेट्टी के नेतृत्व वाला स्वाभिमान पक्ष, पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी, माकपा, जनता दल और अन्य ने शिरकत की थी।
राकांपा नेता जयंत पाटिल ने कहा था कि उनकी पार्टी तथा कांग्रेस के छोटे सहयोगियों ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने के विचार का समर्थन किया है।
पाटिल यहां बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उनके साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण भी थे।
पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि गठबंधन साझेदारों ने एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार किया है, जिसे तीन पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने मंजूरी दे दी है।
कांग्रेस नेता ने कहा था कि , ‘‘ अंतिम न्यूनतम साझा कार्यक्रम प्रस्तावित सरकार के कामकाज की दिशा तय करेगा।’’
पत्रकारों से बातचीत में सपा नेता अबू आज़मी ने देश से सांप्रदायिकता को खत्म करने पर जोर दिया था ।
उन्होंने कहा था कि , ‘‘ अगर शिवसेना हमारा समर्थन चाहती है तो उसे अपनी कुछ नीतियों में बदलाव करना होगा… हम सांप्रदायिकता को खत्म करने के लिए सरकार का गठन करेंगे।’’
उन्होंने कहा था कि इस सरकार को दलितों, अल्पसंख्यकों, किसानों और गरीबों के प्रति न्यायपूर्ण होना चाहिए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिये शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के ‘गठबंधन’ को ‘‘अवसरवादी’’ करार देते हुए शुक्रवार को कहा था कि यदि वे वहां सरकार बना भी लेते हैं तो वह छह-आठ महीने से अधिक नहीं चल पाएगी।
गडकरी ने एक साक्षात्कार में कहा था कि , ‘‘अवसरवादिता उनके गठबंधन का आधार है। ये तीनों पार्टियां केवल भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के मकसद से एकजुट हुई हैं। मुझे संदेह है कि यह सरकार बन भी पाएगी… और अगर बन भी गई तो छह-आठ महीने से अधिक नहीं चल पाएगी।’’