नयी दिल्ली, 18 नवम्बर ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सदन में चर्चा के दौरान आसन के निकट जाकर हंगामा करने की कुछ दलों और उनके नेताओं की प्रवृति पर निशाना साधते हुए आज राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा बीजू जनता दल के सदस्यों की आसन के निकट नहीं जाने के ‘संकल्प’ की सराहना की और कहा कि सत्ता पक्ष सहित सभी दलों को इनसे सीख लेनी चाहिए।
श्री मोदी ने राज्यसभा के 250 वें सत्र के मौके पर आज सदन में विशेष चर्चा “ भारतीय शासन-व्यवस्था में राज्य सभा की भूमिका और सुधारों की आवश्यकता” में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सदन विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा का मंच है और सदस्यों को चर्चा में रूकावट के बजाय संवाद का रास्ता चुनना चाहिए।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और बीजू जनता दल (बीजद) का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इन दोनों दलों ने अनुशासन बनाये रखते हुए खुद आसन के निकट नहीं जाने का ‘संकल्प’ ले रखा है। यह बहुत उत्तम बात है कि अासन के निकट जाये बिना इन्होंने अपनी बात प्रभावी ढंग से रखी है। सत्ता पक्ष सहित सबको इससे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अनुशासन से उनकी विकास यात्रा में कोई रूकावट नहीं आयी है। इस तरह की परंपराओं का अनुसरण होना चाहिए और इन दलों की सराहना की जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सही है कि राज्यसभा की भूमिका विधेयकों को जांचने परखने तथा संतुलन बनाये रखने की है और यह लोकतंत्र के लिए जरूरी भी है। उन्होंने कहा कि चर्चा और बहस प्रभावी होनी चाहिए लेकिन साथ ही यह भी सही है कि जांचने-परखने और बाधा बनने तथा संतुलन और रूकावट में अंतर होता है।
उन्होंने कहा कि सदन के इतिहास में एक लंबा कालखंड ऐसा था जब विपक्ष जैसा कुछ खास नहीं था। उस समय शासन में बैठे लोगों को इसका बड़ा लाभ भी मिला। लेकिन उस समय भी सदन में ऐसे अनुभवी लोग थे जिन्होंने शासन व्यवस्था में निरंकुशता नहीं आने दी। इस बात को हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिए।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने पर भाजपा-शिव सेना से पूछो : पवार
उधर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने सोमवार को राज्य में नयी सरकार के गठन के बारे में कहा कि इस बारे में उनसे नहीं भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और शिवसेना से पूछा जाना चाहिए ।
राजधानी आए श्री पवार ने यहां मीडिया से बातचीत में महाराष्ट्र में नयी सरकार के गठन को लेकर पूछे गए सवालों पर पार्टी की रणनीति का खुलासा नहीं किया। उन्होंने यह कहकर दुविधा और बढ़ा दी कि इस संबंध में उनसे पूछने की बजाय “भाजपा और शिवसेना से पूछो।”
महाराष्ट्र में पिछले महीने संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था । दोनों दलों ने 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया था किंतु बाद में मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद हो गया। भाजपा को 105 सीटें और शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं। शिवसेना मुख्यमंत्री पद पर 50..50 का फार्मूला चाहती है। उसका कहना है कि पहले ढाई साल के लिए शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाया जाये जबकि भाजपा इसके लिए तैयार नहीं है। पिछली बार राज्य में भाजपा के देवेंद्र फडण्वीस की अगुवाई में सरकार थी ।
श्री पवार ने आज दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव दोनों दलों ने एक साथ लड़ा था।
उन्होंने मीडिया से बातचीत में महाराष्ट्र में नयी सरकार के गठन को लेकर पूछे गए सवालों को टाल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि श्रीमती गांधी के साथ उनकी शिष्टाचार भेंट है ।
फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है।