Home / राजनीति / मुरैना लोकसभा सीट पर 10 साल पहले कांग्रेस के रामनिवास रावत को हराने वाले भाजपा के नरेन्द्र सिंह तोमर इस बार उन्हीं के सामने कड़े मुकाबले में उलझ गये attacknews.in

मुरैना लोकसभा सीट पर 10 साल पहले कांग्रेस के रामनिवास रावत को हराने वाले भाजपा के नरेन्द्र सिंह तोमर इस बार उन्हीं के सामने कड़े मुकाबले में उलझ गये attacknews.in

मुरैना, 10 मई । मध्यप्रदेश की मुरैना संसदीय सीट पर केंद्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुकाबले में कांग्रेस के कद्दावर नेता रामनिवास रावत के चुनावी मैदान में उतरने से इस सीट पर मुकाबला और कड़ा एवं रोचक बन गया है।

इस संसदीय सीट से पिछली बार भारतीय जनता पार्टी के अनूप मिश्रा सांसद चुने गए थे। इस बार भाजपा ने उनका टिकट काट कर यहां से श्री तोमर पर दांव खेल दिया।

इस संसदीय सीट की आठ में से सात विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के कब्जे और श्री तोमर के सामने कांग्रेस द्वारा पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री श्री रावत को उतारने से भाजपा के इस गढ़ में उसे कांग्रेस से खासी चुनौती मिल रही है।

चंबल संभाग के इस संसदीय क्षेत्र में अब भी अपराध, बेरोजगारी, पलायन और विकास की कमी ही मूल मुद्दा बने हुए हैं।

पिछले करीब तीन दशक से भाजपा का गढ़ बनी हुई इस सीट पर केंद्रीय मंत्री श्री तोमर इस बार भी जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की जनहितैषी योजनाओं के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश में हैं, वहीं कांग्रेस के श्री रावत प्रदेश की चार महीने पुरानी कांग्रेस सरकार के कामकाज को सामने रख रहे हैं। प्रदेश सरकार की कर्जमाफी की योजना भी इस क्षेत्र में खासी चर्चाओं में है।

मुरैना में कांग्रेस की ओर से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की एक चुनावी सभा के अलावा मुख्यमंत्री कमलनाथ भी पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में समर्थन मांग चुके हैं। वहीं भाजपा की ओर से भी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह श्री तोमर को वोट देने की अपील कर चुके हैं।

इस लोकसभा सीट पर 12 मई को मतदान होगा, जिसमें 18 लाख 37 हजार 719 मतदाता दो हजार 351 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का उपयोग कर सकेंगे। इस सीट पर इस बार एक लाख 21 हजार नए मतदाता जुड़े हैं जो पहली बार वोट डालेंगे।

मुरैना लोकसभा सीट के 1967 में अस्तित्व में आने कर बाद कि चुनाव की तस्वीर पर नजर डालें तो पहला चुनाव यहां निर्दलीय के रूप में आत्मदास ने जीता। अगले चुनाव में जनसंघ के हुकमचन्द कछवाह यहां से जीते थे। कांग्रेस का इस सीट पर 1980 में में खाता खुला, जब इस चुनाव में कांग्रेस के बाबूलाल सोलंकी यहां से सांसद बने। वहीं 1989 में ये सीट छविराम अर्गल के जरिये पहली बार भाजपा की झोली में गई, लेकिन अगला चुनाव वे हार गए और कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की।

साल 1991 के चुनाव में कांग्रेस के बारेलाल जाटव ने छविराम अर्गल (भाजपा) को हराकर सीट कांग्रेस की झोली में डाली। 1996 में छविराम अर्गल की मृत्यु के बाद यहां से भाजपा ने उनके पुत्र अशोक अर्गल को उतारा और वह बसपा के पीपी चौधरी को हराकर सांसद बने। उसके बाद से यह सीट भाजपा के कब्जे में हैं।

वर्ष 2009 मे नरेंद्र सिंह तोमर ने यहां कांग्रेस के रामनिवास रावत को हराया था। ये सीट 1967 के बाद से 2004 तक अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित थी ,लेकिन 2009 में परिसीमन के बाद यह सामान्य वर्ग के लिये हो गई।

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