हरिद्वार 11 जुलाई। बागपत जेल में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या में माफिया सुनील राठी का नाम सामने आ रहा है। सूत्र बताते हैं कि सुनील राठी ने 21 साल की ही उम्र से ही हथियार उठा लिए थे। बागपत जिला कारागार में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कुख्यात अपराधी सुनील राठी ने, 21 साल की उम्र से ही हत्या लूट और रंगदारी की वारदातों को अंजाम देना शुरु कर दिया था। वर्तमान समय में सुनील राठी की मां व पूर्व चेयरपर्सन राजबाला चौधरी भी रंगदारी के मामले में रुड़की जेल में बंद हैं। टीकरी कस्बा निवासी सुनील राठी के पिता एवं टिकरी के चेयरमैन नरेश राठी सहित तीन लोगों की 12 दिसंबर 1999 को चुनावी रंजिश में हत्या कर दी गई थी।
इस मामले में दिल्ली पुलिस बर्खास्त सिपाही रणवीर राठी का नाम सामने आया था। रणबीर राठी वही शख्स था, जिसने फूलन देवी के हत्यारोपी शेर सिंह राणा को तिहाड़ जेल से फरार करवाया था। उसके बाद सुनील राठी की मां राजबाला चौधरी ने वर्ष 2010 में नगर पंचायत का चुनाव लड़ा। उनके सामने टीकरी के चेयरमैन महक सिंह खड़े हुए थे। 21 जून 2010 को सुनील राठी ने अपने साथियों के साथ मिलकर महक सिंह और उनके भाई मौकहम सिंह की हत्या कर दी। इसी डबल मर्डर केस में सुनील राठी आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।18 अगस्त 2010 में सुनील राठी ने दिल्ली में शोरूम को लूटा था। विरोध करने पर 3 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद से वह जुर्म की दुनिया में धसता चला गया।
उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में भी उसने अपना आपराधिक नेटवर्क खड़ा किया। लेकिन वर्ष 2000 में पुलिस ने उसे हरिद्वार के कनखल से गिरफ्तार कर लिया। उसने जेल के अंदर से ही अपना गिरोह सक्रिय कर रखा। कई सालों तक रुड़की जेल में भी बंद रहा। जेल से भी सुनील राठी अपना गैंग संचालित करता रहा। इसके बाद उसे तिहाड़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया। वहां पर भी वह अपने रिमोट के जरिए आपराधिक कृत्य को अंजाम देता रहा। इसके बाद उसे बागपत जेल भेजा गया। बागपत जेल से उसने रुड़की के चिकित्सक से रंगदारी मांगी और अब वह बागपत जेल से अपना गैंंग चला रहा है। जेल में एक तरह से उसका ही राज चलता है।
बागपत के भूरा फरारी कांड में भी सुनील राठी का नाम सामने आया। और उसके खिलाफ मुकदमा चल रहा है। राठी के गुर्गों ने वर्ष 2011 में रुड़की जेल के बाहर डिप्टी जेलर नरेंद्र सिंह की हत्या कर दी थी। इसके बाद सुपारी लेकर हत्या कराने में भी सुनील राठी का नाम सामने आने लगा।
वर्ष 2014 में रुड़की जेल के बाहर, अपने विरोधी चीनू पंडित पर गोलीबारी करवा कर के अपना वर्चस्व सुनील राठी ने कायम कर लिया। जेल में माफिया डान बजरंगी की हत्या के बाद से एक बार फिर माफिया सुनील राठी सुर्खियों में आ गया है। कुख्यात सुनील राठी के नाम का इस्तेमाल एटीएम की तर्ज पर होता रहा है।
राठी के नाम से हरिद्वार में कारोबारियों प्रॉपर्टी डीलरों से उगाही का कारोबार बदस्तूर जारी है। तो विवादित भूमि के पचड़े भी राठी के नाम पर ही सुलझ जाते हैं।
हरिद्वार में राठी की जमीन पर हाथ मजबूत मानी जाती है। राठी के लिए हत्या करने वाले सूटरो की टीम अलग होती है। लेकिन उसके नाम को अपराध जगत का ब्रांड बनाकर बेचने वाले चेहरे अलग है।
हरिद्वार में राठी के नाम पर खूब इस्तेमाल होता रहा है। और कई शहर में कई कारोबारियों प्रॉपर्टी डीलर से भारी भरकम रंगदारी वसूल की जाती रही है। शातिर अपराधी सुनील राठी अपराध को कभी स्वंंम अंजाम नहीं देता, बल्कि अपने गुर्गोंं से हत्या और फिरौती जैसे बड़े अपराध करवाता है।
रियल स्टेट और अवैध खनन में भी उसका सीधा नाम नहीं आता। अलबत्ता उसके खास गुर्गे इशारे पर काम चलाते हैं। एक अधिकारी की मानेंं तो राठी हार्ड क्राइम में माहिर नहीं लेकिन बेहद शातिर है। उसके साथ ही दिमाग का ही परिणाम है कि वर्ष 2014 मेंं सुनील राठी ने अपने साथी अमित भूरा को देहरादून पुलिस के चंगुल से छुड़ा लिया।
राठी से पूछताछ करने वाले अधिकारियों का कहना है कि राठी कभी उत्तेजित नहीं होता। जब पूछताछ में घिर जाता है तो वह अफसरों के पैर पकड़ने में भी नहीं हिचकिचाता।
कुख्यात सुनील राठी अपनी सुरक्षा को लेकर बेहद सजग है। उसे पुलिस की सुरक्षा पर भरोसा नहीं है। जब भी रूड़की कोर्ट में पेशी के लिए वह जाता है तो चप्पे-चप्पे पर उसके आदमी तैनात रहते हैं।attacknews.in