मुंबई, 05 जनवरी । मुंबई पुलिस ने मुंबई के डब्बावालों के एक प्रवक्ता को 61 डब्बावालों के नाम पर कथित तौर पर मुफ्त में स्कूटर देने का वादा करके धोखाधड़ी और ऋण ठगी के मामले में मंगलवार को गिरफ्तार किया।
घाटकोपर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक नितिन अल्कानुरे ने कहा कि एक पुलिस टीम ने आरोपी सुभाष गंगाराम तालेकर को पुणे जिले के उनके गांव से हिरासत में लेकर मंगलवार तड़के मुंबई ले गिरफ्तार किया ।
मुंबई पुलिस ने डब्बावाला के स्वयंभू प्रवक्ता को कथित तौर पर 61 डब्बावालों को मुफ्त स्कूटर देने के नाम पर लोन धोखाधड़ी केआरोप में गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। घाटकोपर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक नितिन अल्कानुरे ने बताया, “एक पुलिस दल ने आरोपी सुभाष गंगाराम तालेकर को पुणे जिले स्थित उसके गांव से उठाया और मंगलवार तड़के उसे मुंबई लाया गया। उसे जल्द ही एक मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया जाएगा।”
तालेकर के अलावा, अन्य दो डब्बावाला- विठ्ठल सावंत, दशरथ केदार, और दो निजी कंपनियां साई एंटरप्राइजेज के राकेश प्रसाद और ट्विस्ट 2 व्हीलर्स के भावेश दोषी फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश में है।
अल्कानुरे ने कहा कि 7,00,000 रुपये की राशि की धोखाधड़ी करीब 2014 के बाद से की जा रही थी, और फरवरी 2019 में तालेकर के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई।
अल्कानुरे ने कहा, “इसके बाद, मामले में जांच की गई, लेकिन कोविड-19 महामारी और तालाबंदी के दौरान बाधाएं आईं। उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया, जिसे खारिज कर दिया गया, जिसके बाद हमने कार्रवाई की।”
डब्बावालों का आधिकारिक निकाय, नूतन मुंबई टिफिन बॉक्स सप्लायर चैरिटेबल ट्रस्ट (एनएमटीबीएससीटी) के चेयरमैन उल्हास मुईक ने इस कदम का स्वागत किया और कहा कि आरोपी इस तरह की धोखेबाज कर डब्बावालों की अच्छी छवि को बर्बाद कर रहा है।
एनएमटीबीएससीटी ने अपने बीच से धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ सार्वजनिक चेतावनी जारी की थी, जिसे पहली बार 10 अक्टूबर 2019 को उजागर किया था।
एनएमटीबीएससीटी के प्रवक्ता रितेश आंद्रे ने कहा कि 2014 में, तलेकर और उनके सहयोगियों ने अपनी टिफिन डिलीवरी सेवाओं के लिए मुफ्त स्कूटरों के वादे के साथ 61 गरीब और अनपढ़ लोगों को लालच दिया।
उन्होंने कहा, “बाद में, केवल 15 डब्बावालों को टीवीएस लूना मोपेड्स दिया गया था, 23 को बिना किसी पंजीकरण दस्तावेजों के वाहनों को सौंप दिया गया था, और बाकी को कुछ भी नहीं मिला। हालांकि उनके नाम पर ऋण लिया गया था।”