मुंबई 2 मई। पत्रकार ज्योर्तिमय डे (जे डे) हत्याकांड में मुंबई की मकोका कोर्ट ने बुधवार को छोटा राजन समेत 9 लोगों को दोषी करार दिया। पत्रकार जिग्ना वोरा और एक अन्य आरोपी पालसन को बरी कर दिया। 11 जून 2011 को मुंबई के पवई इलाके में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, हत्या छोटा राजन के इशारे पर की गई थी। दो साल पहले जब राजन को इंडोनेशिया से लाया गया था तब यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया था।
कोर्ट ने छोटा राजन को जेडे की हत्या, हत्या की साजिश रचने का दोषी करार दिया। कोर्ट गुरुवार को ही सजा सुना सकता है। जेडे की साथी महिला पत्रकार जिग्ना वोरा और एक अन्य आरोपी पालसन को सबूतों के अभाव में बरी किया गया। जिग्ना पर राजन को जेडे के खिलाफ उकसाने का आरोप था।
11 जून 2011. ये वो तारीख है जिस दिन मुंबई में फ्रीडम ऑफ स्पीच का गला घोटा गया था. पत्रकार ज्योतिर्मय डे की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उस वक्त वो अपनी बाइक पर सवार होकर दफ्तर से घर जा रहे थे.
सात साल बाद मामले में मुंबई की विशेष मकोका कोर्ट का फ़ैसला आ गया है. हत्याकांड में छोटा राजन समेत 9 लोगों को दोषी करार दिया गया है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर अडकर की अदालत ने 11 में से दो आरोपियों को बरी किया गया है जिनमें पत्रकार जिगना वोरा और जोसेफ़ पॉलसन शामिल हैं. छोटा राजन को उम्रकैद की सजा मिल सकती है.
इस मामले में मुख्य आरोपी अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन था. वो इस वक्त तिहाड़ जेल में बंद है. 2015 में इंडोनेशिया के बाली से उसे भारत लाया गया था. इनके अलावा मामले में पत्रकार जिग्ना वोरा, रोहित थंगप्पन जोसेफ़ उर्फ सतीश काल्या (जिसने गोली चलाई थी), अभिजीत काशाराम शिंदे, अरूण जनार्धन डाके, सचिन सुरेश गायकवाड़, अनिल भानुदास वाघमोड़े, निलेश नारयण शेंगदे, मंगलेश दामोदर अगावाने, दीपक सिसोदिया (जिसने देहरादून से हथियार की सप्लाई किए थे), जोसेफ़ पॉलसन और विनोद चेंबुर अन्य अभियुक्त थे.
पत्रकार जिगना वोरा की गिरफ्तारी से दंग रह गए थे सभी
मुंबई के रहने वाले ज्योतिर्मय मिड डे न्यूज़ पेपर में वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर थे. वो शहर के सबसे धाकड़ क्राइम रिपोर्टरों में से एक थे. मिड-डे से पहले वो इंडियन एक्सप्रेस और हिंदुस्तान टाइम्स से भी जुड़े रहे. जिस समय उनकी हत्या हुई वे 56 साल के थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हत्या से पहले डे शहर के तेल माफ़ियाओं के खिलाफ कई खबरें कर चुके थे. उनकी हत्या के बाद पूरे मीडिया जगत में हड़कंप मच गया था. फिर 25 नवंबर, 2011 को मुंबई के द एशियन एज की डिप्टी ब्यूरो चीफ जिग्ना वोरा गिरफ्तार हुईं तो सब लोग दंग रह गए थे.
जिग्ना वोरा पर आरोप था कि उन्होंने छोटा राजन को जे डे के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उकसाया था.
मामले में जांच की शुरुआत मुंबई पुलिस ने की थी. महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ़ ऑर्गेनाइज़्ड क्राइम एक्ट (मकोका) के तहत. मगर छोटा राजन की गिरफ़्तारी के बाद इस केस से सीबीआई भी जुड़ गई थी.
केस की सुनवाई के दौरान विशेष मकोका कोर्ट में कुल 155 गवाहों ने गवाही दी थी, लेकिन कोई प्रत्यक्षदर्शी आगे नहीं आया. अप्रैल में ही मामले की सुनवाई पूरी हुई थी. अब फैसला आ गया है.
कौन है छोटा राजन
छोटा राजन का असली नाम राजेंद्र सदाशिव निखलजे है. उसका जन्म 1960 में मुंबई के चेम्बूर की तिलक नगर बस्ती में हुआ था. महज 10 साल की उम्र में उसने फिल्म टिकट ब्लैक करना शुरू कर दिया. इसी बीच वह राजन नायर गैंग में शामिल हो गया.
जुर्म की दुनिया में नायर को ‘बड़ा राजन’ के नाम से जाना जाता था. यह नायर का दाहिना था, इसलिए लोग इसे ‘छोटा राजन’ कहने लगे. बड़ा राजन की मौत से बाद छोटा राजन ने पूरे गैंग की कमान संभाल ली. इसी दौरान दाऊद इब्राहिम से इसका संबंध बन गया.
दोनों एक साथ मिलकर मुंबई में वसूली, हत्या, तस्करी और फिल्म फाइनेंस का काम करने लगे. 1988 में वह दुबई चला गया. इसके बाद दाऊद और राजन मिलकर भारत ही नहीं पूरी दुनिया में गैर-कानूनी काम करने लगे. मगर 1993 में मुंबई के सीरियल बम ब्लास्ट के बाद दोनों एक दूसरे के दुश्मन हो गए.attacknews.in