वाशिंगटन, 14 जनवरी । मुम्बई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले की साजिश के मामले में अमेरिका में 14 साल की कैद की सजा काट रहे तहव्वुर राणा को 2021 में जेल की सजा पूरी होने से पहले भारत भेजे जाने की ‘प्रबल संभावना’ है। एक सूत्र ने इसकी जानकारी दी।
शिकागो के निवासी 58 वर्षीय राणा को 2009 में गिरफ्तार किया गया था।
पाकिस्तान में जन्मे कैनेडियाई नागरिक को डेनमार्क के एक समाचारपत्र के खिलाफ आतंकवादी साजिश रचने और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को मदद मुहैया कराने के मामले में संघीय जूरी ने दोषी ठहराया था।
मुम्बई पर आतंकवादी हमले की साजिश रचने के मामले में राणा को 2009 में गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए- तैयबा के 10 आतंकवादियों द्वारा किए हमले में छह अमेरिकी नागरिकों सहित कुल 166 लोगों की जान गई थी। पुलिस ने नौ आतंकवादियों को मौके पर मार गिराया था और जिंदा गिरफ्तार किए गए आतंकवादी अजमल कसाब को बाद में फांसी दी गई थी।
अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज हैरी लेनेनवेबर ने राणा को 2013 में 14 साल की सजा सुनाई थी और रिहाई के बाद भी उसपर पांच साल तक नजर रखने का आदेश दिया था।
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार उसे दिसंबर 2021 में रिहा किया जाएगा।
ट्रम्प प्रशासन के ‘पूरे सहयोग’ के साथ भारत सरकार पाकिस्तानी मूल के कैनेडियाई नागरिक के प्रत्यर्पण के लिए आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी कर रही है। राणा की जेल की सजा दिसम्बर 2021 में पूरी होने वाली है।
मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘‘यहां सजा पूरी होने पर राणा को भारत भेजे जाने की ‘प्रबल संभावना’ है।’’
सूत्र ने कहा कि इस दौरान जरूरी कागजी कार्रवाई और जटिल प्रक्रिया को पूरा करना एक ‘चुनौती’ है।
भारत का विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय तथा कानून एवं विधि मंत्रालय और अमेरिकी विदेश मंत्रालय और न्याय मंत्रालय सभी की अपनी प्रत्यर्पण प्रक्रिया है।
उसने कहा कि जब प्रत्यर्पण की बात आती है तो वे अपनी प्रक्रिया को ना धीमा करना चाहते हैं और ना ही तेज करना चाहते हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) प्रक्रिया की समय-सीमा और नौकरशाही संबंधी औपचारिकताओं को कम करने के लिए अपने अमेरिकी समकक्षों से सीधे सम्पर्क कर सकती है।
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार राणा का प्रत्यर्पण दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत करेगा, आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ावा देगा और भारतीयों के बीच अमेरिका की छवि को बेहतर बनाएगा।
ट्रम्प प्रशासन ने नवम्बर 2018 को मुंबई हमलों की 10वीं बरसी पर हमले में शामिल लोगों को न्याय के दायरे में लाने का अपना संकल्प दोहराया था।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने नवम्बर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वार्ता के दौरान भी इस मामले को उठाया था।
अमेरिका में आंशिक रूप से ठप पड़े सरकारी कामकाज का हवाला देते हुए विदेश मंत्रालय और न्याय मंत्रालय ने राणा के प्रत्यर्पण के सवाल पर प्रतिक्रिया देने में अपनी असमर्थता जाहिर की।
भारतीय दूतावास और राणा के वकील ने भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।
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