Home / Business / महाशियां दी हट्टी’ ( M.D.H) के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी को कोरोना ने नहीं छोड़ा,कीर्तिनगर में 1959 में मसाला का व्यापार शुरू करने से पहले तांगा चलाने का काम भी किया attacknews.in

महाशियां दी हट्टी’ ( M.D.H) के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी को कोरोना ने नहीं छोड़ा,कीर्तिनगर में 1959 में मसाला का व्यापार शुरू करने से पहले तांगा चलाने का काम भी किया attacknews.in

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर । भारत के मसाला किंग और एमडीएच मसाला के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का गुरुवार को शहर के अस्पताल में निधन हो गया।

सूत्रों ने बताया कि गुलाटी (97) का माता चनन देवी हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

खबरों के मुताबिक उनका कोविड-19 संक्रमण के बाद का इलाज चल रहा था और गुरुवार सुबह हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ।

मसाला किंग के नाम से मशहूर गुलाटी को 2019 में देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

उनका जन्म 27 मार्च 1923 को सियालकोट (अब पाकिस्तान में) में हुआ था और वह विभाजन के बाद भारत आ गए और दिल्ली में अपना व्यवसाय स्थापित किया।

‘महाशियां दी हट्टी’ (एमडीएच) की स्थापना उनके दिवंगत पिता महाशय चुन्नी लाल गुलाटी ने की थी।

गुलाटी स्वयं अपने ब्रांड की पहचान थे और वर्षों तक एमडीएच मसाला के विज्ञापन खुद करते रहे। उनके निधन पर सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में शुभचिंतकों ने श्रद्धाजंलि दी।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने ट्वीट किया, ‘‘पद्म भूषण से सम्मानित, ‘महाशयां दी हट्टी’ (एमडीएच) के अध्यक्ष श्री धर्म पाल गुलाटी जी के निधन से दुःख हुआ। वे भारतीय उद्योग जगत के एक प्रसिद्ध व्यक्तित्व थे। समाज सेवा के लिए किये गए उनके कार्य भी सराहनीय हैं। उनके परिवार व प्रशंसकों के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं।’’

देश-विदेश में भारतीय मसालों की खुशबू बिखेरने वाले महाशयां दी हट्टी (एमडीएच) समूह के संस्थापक महाशय धर्मपाल गुलाटी का गुरुवार को दिल का दौरा पड़ा था। वह 97 साल के थे।

पद्म भूषण से सम्मानित महाशय धर्मपाल कोरोना वायरस से संक्रमित थे और पिछले तीन सप्ताह से माता चन्नन देवी अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था।

एमडीएच मसालों के स्वयंभू ब्रांड एम्बेसडर महाशय धर्मपाल का जन्म 27 मार्च, 1923 को सियालकोट ( वर्तमान में पाकिस्तान ) में हुआ था। वर्ष 1933 में पांचवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने से पहले ही उन्होंने स्कूल छोड़ दिया था। वर्ष 1937 में अपने पिता की मदद से उन्होंने व्यापार शुरू किया और उसके बाद साबुन, लकड़ी के सामान, कपड़ा, हार्डवेयर, चावल आदि का कारोबार किया।

देश के बंटवारे के बाद धर्मपाल जेब में महज डेढ़ हजार रूपये लिए अपने परिवार के साथ अमृतसर आ गये थे। बाद में वह अमृतसर से दिल्ली आ गए और यहां के कीर्तिनगर में 1959 में एमडीएच मसाला बनाने की पहली फैक्टरी खोली। मसाला का व्यापार शुरू करने से पहले तांगा चलाने का काम भी किया था।

मौजूदा समय में धर्मपाल का कारोबार काफी फल-फूल रहा है तथा पूरे भारत तथा दुबई में उनकी 18 फैक्टरियां हैं। वह धर्मार्थ के क्षेत्र में भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने अस्पताल और कई स्कूल आदि बनवाए।

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