कंगार ( मलेशिया) 4 दिसम्बर । विवादास्पद धर्म प्रचारक जाकिर नाइक ने भारत में किसी भी कानून को तोड़ने के आरोप से इनकार किया है. मलेशिया को अपना स्थायी निवास बनाने की कोशिश कर रहे नाइक के खिलाफ भारत में जांच चल रही है।
भारत में टीवी के जरिए इस्लाम धर्म का प्रचार करने वाले जाकिर नाइक अब भी भारत में वांटेड हैं. मलेशिया में रह रहे नाइक अब सार्वजनिक रूप से बहुत कम दिखते हैं. 53 साल के नाइक इस बार मलेशिया के कंगार में एक सभा को संबोधित कर रहे थे. नाइक ने कहा कि उन्होंने कोई भारतीय कानून नहीं तोड़ा और “इस्लाम के दुश्मन” उन्हें निशाना बना रहे हैं।
नाइक पर पैसों की हेराफेरी के अलावा अपने भाषणों से घृणा फैलाने के आरोप लगे हैं. एक साल पहले भारतीय प्रशासन की ओर से कहा गया था कि वे अपने “भाषणों और व्याख्यानों से विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी और नफरत को बढ़ा रहे हैं.”
मलेशिया में रह रहे नाइक वहां स्थायी निवास पाना चाह रहे हैं. भारत में अपने खिलाफ जारी जांच और आलोचना के चलते नाइक ज्यादा सक्रिय नहीं हैं, ताकि उन पर बहुजातीय मलेशिया में शांति भंग करने का आरोप ना लगे. इस देश में ईसाई, हिंदू और बौद्ध अल्पसंख्यकों की एक अच्छी खासी तादाद है और मलेशिया खुद को एक उदार मुस्लिम देश के रूप में दिखाता आया है.
कंगार में बोलते हुए नाइक ने कहा, “चूंकि मैं शांति फैला रहा था, मानवता के लिए उपाय बता रहा था, वे सारे लोग जो शांति को बढ़ते नहीं देखना चाहते, वे ही मुझे पसंद नहीं करते.” नाइक दावा करते हैं कि वे केवल इस्लाम का प्रचार करते हैं और “यह इस्लाम के दुश्मनों को नहीं भाता. चाहे वे पश्चिमी देश हों या भारत, जहां मैं पैदा हुआ था.”
नाइक के आलोचकों का मानना है कि वे इस्लाम के अपने अतिधर्मनिष्ठ रूप के लिए जाने जाते हैं – जिसमें वे इस्लाम में आस्था ना रखने वाले और समलैंगिक मुसलमानों के लिए मृत्युदंड की वकालत करते हैं.
बांग्लादेश ने नाइक का कार्यक्रम दिखाने वाले टीवी चैनल को बंद किया था. राजधानी ढाका के कैफे में जिन आतंकियों ने 22 लोगों की जान ले ली थी, नाइक ने उन इस्लामिक स्टेट के आतंकियों को अपना प्रशंसक बताया था. ब्रिटेन ने भी 2010 में नाइक के प्रवेश पर रोक लगा दी थी.
इस बार मलेशिया में नाइक की इस सभा में करीब एक हजार लोग जुटे, जिनमें मलेशियाई राज्य के मुख्यमंत्री और धार्मिक अधिकारियों समेत मलेशिया के क्राउन प्रिंस भी मौजूद थे. जाकिर नाइक की मलेशिया में मौजूदगी को आलोचक देश के शीर्ष अधिकारियों का कट्टरपंथी इस्लाम को समर्थन मानते हैं.
हालांकि नाइक को पुरानी मलेशियाई सरकार के काफी करीब माना जाता है. इसी साल मई में हुए आम चुनाव में प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक हार गए और नए प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने बस इतना ही कहा है कि जब तक नाइक मलेशिया में कोई परेशानी खड़ी नहीं करते, तब तक उन्हें प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा. भारत नाइक का प्रत्यर्पण करवाना चाहता है.
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