मुंबई, 30 नवंबर । उद्धव ठाकरे नीत ‘महाराष्ट्र विकास आघाडी’ गठबंधन सरकार ने राज्य विधानसभा में शनिवार को विश्वासमत हासिल कर लिया।
विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) दिलीप वाल्से पाटिल ने सदन को बताया कि कुल 169 विधायकों ने विश्वासमत के समर्थन में वोट किया।
उन्होंने बताया कि चार विधायकों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
प्रस्ताव के खिलाफ किसी ने वोट नहीं किया क्योंकि 288 सदस्यीय विधानसभा में विधायकों की गिनती शुरू होने से पहले ही भाजपा के सभी 105 विधायक वाकआउट कर गये।
इस गठबंधन में शिवसेना,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस शामिल हैं।
गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा 105 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। वहीं, शिवसेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी।
ठाकरे सरकार ने ऐसे साबित किया बहुमत,भाजपा का बहिर्गमन:
महाराष्ट्र में शिव सेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के गठबंधन, महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की अगुवाई में उद्धव ठाकरे सरकार ने शनिवार को विधानसभा में आसानी से अपना बहुमत साबित कर लिया।
राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बहुमत के लिए 145 विधायकों के वोट चाहिए थे जबकि उनके पक्ष में 169 वोट पड़े।
राज्य विधानसभा में 105 विधायकों वाले सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मतदान से पहले सदन का बहिर्गमन किया जबकि चार विधायक तटस्थ रहे। विश्वास मत के खिलाफ कोई वोट नहीं पड़ा।
तटस्थ रहने वाले विधायकों में श्री ठाकरे के चेचेरे भाई राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का एक विधायक भी शामिल है।
मनसे के अलावा आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के दो और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक विधायक ने भी मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
अघाड़ी गठबंधन के पास शिव सेना के 56, राकांपा 54 और कांग्रेस के 44 विधायकों को मिलाकर कुल 154 विधायक थे जबकि विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में 169 वोट पड़े ।
विशेष सत्र के शुरू होते ही भाजपा विधायकों ने अधिवेशन बुलाने को नियमों के विरुद्ध बताते हुए हंगामा किया।
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडण्वीस ने कहा कि सत्र की शुरुआत ‘वंदे मातरम’ के साथ नहीं हुई है और यह नियमों का उल्लंघन है। भाजपा के सदस्यों ने सदन में शोर-शराबा भी किया और विश्वास मत के लिए हुई वोटिंग के दौरान बहिर्गमन किया।
राज्य की 288 विधानसभा सीटों के परिणाम 24 अक्टूबर को ही आ गए थे लेकिन राज्य में नयी सरकार के गठन को लेकर एक माह से अधिक समय तक खूब ड्रामा हुआ।
भाजपा और शिव सेना ने विधानसभा चुनाव गठबंधन करके लड़ा था और दोनों ने 161 सीटें हासिल की थी। भाजपा 105 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। शिव सेना ने 56 सीटें जीतीं थी। परिणाम आने के बाद दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री को लेकर खींचतान शुरू हो गई ।
शिव सेना मुख्यमंत्री कार्यकाल में 50-50 का फार्मूला चाहती थी जबकि भाजपा इसके खिलाफ थी और इसके बाद दोनों दलों के बीच इस मुद्दे पर मतभेद इतने बढ़े कि गठबंधन टूट गया।
भाजपा और शिव सेना में सरकार बनाने को लेकर सहमति नहीं बन पाने के बीच अचानक हुए घटनाक्रम में राकांपा विधायक दल के नेता अजीत पवार के समर्थन से भाजपा ने 22 नवंबर की रात को सरकार बनाने का दावा पेश किया जिसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भाजपा विधायक दल के नेता देवेंद्र फडण्वीस को अगले दिन सुबह ही मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। उनके साथ श्री पवार ने भी उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
शिव सेना और कांग्रेस तथा राकांपा और कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर उच्चतम न्यायालय पहुंच गयी। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को मामले पर फैसला सुनाते हुए श्री फडणवीस को बुधवार तक बहुमत सिद्ध करने को कहा। उधर श्री पवार पर राकांपा प्रमुख शरद पवार और परिवार के अन्य सदस्यों का दबाव बढ़ने से उन्होंने मंगलवार को ही उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद श्री फडण्वीस ने भी उसी दिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
श्री फडणवीस के इस्तीफा देने के बाद श्री ठाकरे की अगुवाई में शुक्रवार को शिव सेना, कांग्रेस और राकांपा गठबंधन की सरकार बनी और उसने आज सदन में बहुमत सिद्ध कर दिया।
अपराह्न दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव का राकांपा के नवाब मलिक और शिव सेना के सुनील प्रभु ने समर्थन किया।
भाजपा की तरफ से नयी सरकार के मंत्रियों के शपथ लेने को गलत करार और संविधान के नाम पर शपथ नहीं लेने के आरोप पर मुख्यमंत्री ठाकरे ने विपक्ष पर निशाना साधा।
श्री ठाकरे ने कहा कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज और अपने पिता-माता के नाम पर भी शपथ ली है। उन्होंने कहा कि यदि ऐसे शपथ लेना अपराध है तो यह अपराध वह फिर से करेंगे।
विशेष सत्र के प्रारंभ होने पर सबसे पहले विधायकों की गिनती की गई। मतदान के दौरान विधायकों से अपना जवाब हां और न में देने को कहा गया। इस दौरान भाजपा के सदस्य सदन में शोर शराबा करते रहे।
भाजपा के सदस्यों का कहना था कि यह सब कुछ नियमों के विरुद्ध हो रहा है।
सदन की कार्यवाही से बहिर्गमन करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री फड़नवीस ने सदन में अपनाई गई प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने प्रोटेम स्पीकर को हटाकर नया प्रोटेम स्पीकर बनाये जाने को नियमों के विरुद्ध बताया।
श्री फडण्वीस ने कहा,“ इस अधिवेशन को बुलाने के लिए नया समन जारी किया जाना चाहिए था। मुख्यमंत्री और मंत्रियों की शपथ संविधान के नियमों के मुताबिक नहीं ली गई जो अवैध है। देश के इतिहास में प्रोटेम स्पीकर को ऐसे कभी नहीं हटाया गया और मनमानी करके सदन की सारी कार्यवाही चलाई गई।”
राकांपा के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि राज्यपाल की सहमति से शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन और विधानसभा सत्र आहूत किया गया। उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार सदन में बहुमत परीक्षण कराया गया। उन्होंने भाजपा के सदन से वाकआउट को चेहरा बचाने का प्रयास बताया।
उधर सदन में बहुमत सिद्ध होने के बाद शिव सेना के मुखर नेता संजय राउत ने 170 से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करते हुए लिखा,“ आज बहुमत दिन.. 170+++++ हमको मिटा सके ये जमाने में दम नहीं, हमसे जमाना खुद है… जमाने से हम नहीं।”
जब प्रोटेम स्पीकर ने उद्धव ठाकरे की सरकार के विश्वासमत हासिल करने की घोषणा की, उस वक्त भगवा पगड़ी पहने हुए उद्धव ने सदन के सदस्यों और महाराष्ट्र की जनता का धन्यवाद व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझ पर विश्वास करने के लिए मैं सभी सदस्यों को धन्यवाद देता हूं। मैं राज्य के लोगों को भी धन्यवाद देता हूं। उनके आशीर्वाद के बिना कार्य करना संभव नहीं है।’’
ठाकरे ने कहा, ‘‘सदन में आने से पहले कुछ दबाव था क्योंकि मेरे पास सदन में नहीं, बल्कि सिर्फ जमीनी स्तर पर काम करने का अनुभव है। यहां खुद को पाकर मैं सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं। ’’
उद्धव ठाकरे (59) पहली बार सदन में पहुंचे थे। उनके पीछे उनके बेटे आदित्य और शिवसेना के अन्य विधायक बैठे हुए थे। वे सभी भगवा पगड़ी पहने हुए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘आप (भाजपा) उस वक्त हतप्रभ रह गए, जब मैंने छत्रपति शिवाजी (शपथ ग्रहण करते समय) का नाम लिया। मैं बार-बार यह नाम लूंगा। जो अपने माता-पिता का नाम नहीं लेते, उन्हें जीने का कोई अधिकार नहीं।’’
ठाकरे ने कहा, ‘‘यह महाराष्ट्र की संस्कृति नहीं है कि आप छत्रपति शिवाजी और माता-पिता का नाम लेना अपराध मानें।’’
महाराष्ट्र भाजपा के प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उद्धव ठाकरे का शपथग्रहण अवैध था क्योंकि शपथ के निर्धारित प्रारूप का पालन नहीं किया गया।
पाटिल ने यहां विधान भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि मंत्रियों ने शपथ लेते समय अपने-अपने नेताओं तथा अन्य के नाम लिए जो प्रोटोकाल के अनुरूप नहीं था।
उन्होंने कहा कि ‘‘अवैध’’ शपथग्रहण समारोह के खिलाफ राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के समक्ष एक याचिका दायर की जा रही है।
दावों पर जवाब देते हुए राकांपा ने भाजपा पर सदन से भागने का आरोप लगाया।
राकांपा के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि वल्से पाटिल को राज्यपाल की सहमित से विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया। सत्र भी कोश्यारी की मंजूरी के बाद बुलाया गया।
मलिक ने कहा, ‘‘उन्हें (भाजपा) भागने के लिए कोई बहाना चाहिए था। इसलिए यह सब किया गया। देवेंद्र जी (देवेंद्र फडणवीस) को (वरिष्ठ भाजपा नेता) एकनाथ खडसे से सीखना चाहिए कि विपक्ष के नेता को किस तरह काम करना चाहिए।’’
राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि भाजपा शक्ति परीक्षण से भाग गई।
उन्होंने कहा, ‘‘हम पूरी तरह लोकतांत्रिक हैं। हम उनकी (विपक्ष की) आवाज नहीं दबाएंगे। हम प्यार के साथ उनके हृदय को जीतेंगे।’’
सुले ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में कभी भी बदले की भावना नहीं दिखी। हमारी सरकार बदले की भावना से काम नहीं करेगी…वे (भाजपा) तब भाग गए जब शक्ति परीक्षण हो रहा था।’’
कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि फडणवीस को अपने उत्तराधिकारी उद्धव ठाकरे का खुले हृदय से स्वागत करना चाहिए था।
चव्हाण ने कहा, ‘‘लेकिन इसकी जगह उन्होंने मामूली से तकनीकी मुद्दे उठाए। यह ठीक नहीं है।’’
रविवार को विधासभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। इसके बाद सदन में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव होगा।
सत्तारूढ़ गठबंधन ने अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के नाना पटोले को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा ने किसन कथोरे को इस पद के लिए उम्मीदवार बनाया है।