मुंबई, आठ नवंबर ।शिवसेना महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद साझा करने की अपनी मांग पर शुक्रवार को भी अड़ी रही और उसने भाजपा से राज्य की सत्ता में बने रहने के लिए “कार्यवाहक” सरकार के प्रावधान का दुरुपयोग नहीं करने को कहा।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि भाजपा को शिवसेना के पास तभी आना चाहिए जब वह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री का पद अपनी सहयोगी पार्टी के साथ साझा करने के लिए तैयार हो।
शिवसेना प्रवक्ता ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल (नौ नवंबर को) समाप्त हो रहा है।
राज्यसभा सदस्य ने कहा, “भाजपा को कार्यवाहक प्रावधान को नहीं खींचना और पर्दे के पीछे से काम नहीं करना चाहिए। हमें बुरा नहीं लगेगा अगर भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में सरकार बनाने का दावा पेश करती है और सरकार बनाती है।”
पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक राउत ने कहा कि शिवसेना “जल्द” ही राज्यपाल बी एस कोश्यारी से मिलने वाली है। पार्टी सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी और ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद दिए जाने की मांग कर रही है।
राउत ने कहा कि विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, राज्यपाल राज्य के सर्वेसर्वा होंगे।
केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता नितिन गडकरी के मुंबई दौरे और सरकार गठन पर जारी गतिरोध को तोड़ने के लिए ‘मातोश्री’ (ठाकरे परिवार का आवास) जाने की संभावना को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में राउत ने कहा, “गडकरी मुंबई के निवासी हैं। उनका यहां आना कोई बड़ी बात नहीं है। वह अपने घर जाएंगे। क्या उन्होंने आपको बताया कि वह शिवसेना को ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद देने के संबंध में पत्र ला रहे हैं?”
भगवा सहयोगियों के बीच सत्ता को लेकर जारी खींचतान में हस्तक्षेप करने के मकसद से दक्षिणपंथी कार्यकर्ता संभाजी भिडे के बृहस्पतिवार को मातोश्री आने के बारे में पूछे जाने पर राउत ने कहा, “यह शिवसेना और भाजपा के बीच का मामला है। इसमें किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।”
कांग्रेस विधायकों को राज्य से बाहर भेजे जाने की खबर को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में राउत ने कहा, “डर क्यों है? कर्नाटक मॉडल महाराष्ट्र में काम नहीं करेगा।”
पूर्व प्रधानमंत्री एवं भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी की कविता ट्वीट किए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि यह कविता, प्रेरणा का स्रोत है जो लगातार संघर्ष करने और रणभूमि छोड़ कर नहीं भागने की बात करती है।
राज्य में 21 अक्टूबर को हुए चुनावों में 105 सीटें जीत कर सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी भाजपा और 56 सीटें जीतने वाली उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने अब तक साथ-साथ या अलग-अलग, सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है।
गौरतलब है कि ‘महायुती’ के बैनर तले चुनाव लड़ने वाले ये दोनों दल चुनाव नतीजे आने के बाद से मुख्यमंत्री पद साझा किए जाने को लेकर उलझे हुए हैं।
चुनाव में राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं।
संजय राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लिखी कविता की पंक्तियां उद्धृत करते हुए शुक्रवार को इस प्रकार फिर से भाजपा पर निशाना साधा।
श्री राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की कविता …अग्निपरीक्षा में..को उद्धृत करते हुए लिखा, “आइए हम अर्जुन की तरह दो प्रतिज्ञा लेते हैं, दीनता स्वीकार न करें और चुनौतियों से कभी भागे नहीं।”
शिव सेना नेता ने इससे पहले गुरुवार को संवाददाताओं से बात करते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की स्थितियां पैदा की जा रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा और शिव सेना के बीच लोकसभा चुनाव के दौरान जो सहमति बनी थी उसके अनुसार हम 50:50 फार्मूला के तहत ढाई वर्ष के लिए शिव सेना का मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि राज्य की जनता ने भाजपा-शिवसेना के महागठबंधन को सरकार बनाने के लिए जनादेश दिया है तो फिर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा क्यों नहीं पेश कर रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा स्वयं भी सरकार नहीं बनाना चाहती और न ही दूसरे को सरकार बनाने दे रही है। भाजपा के पास बहुमत नहीं है इसलिए वह सरकार नहीं बना पा रही है।
एक अन्य प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि शिव सेना को धमकी या ब्लैकमेल नहीं किया जा सकता। जिन लोगों के पास सत्ता होती है वही साम, दाम, दंड और भेद का इस्तेमाल करते हैं।
श्री राउत ने कहा कि जनता की जनभावना है कि मुख्यमंत्री शिव सेना का हो। उन्होंने कहा कि आज सभी विधायकों की बैठक हुयी थी और सभी ने एकमत से कहा कि पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे सरकार बनाने के संदर्भ में जो निर्णय लेंगे वह हम सभी को मान्य होगी। उन्होंने कहा कि शिव सेना किसी भी विधायक को किसी सुरक्षित स्थान पर नहीं ले गयी है।
उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम आने के बाद से शिव सेना अपनी बात पर खड़ी है कि ढाई-ढाई वर्ष के लिए दोनों पार्टी को मुख्यमंत्री बनाने का मौका मिलना चाहिए। राजनीतिक अस्थिरता के कारण राज्य का नुकसान हो रहा है। हम लोग शुरू से कह रहे हैं कि हम गठबंधन तोड़ने का पाप नहीं करेंगे।
महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल शनिवार को समाप्त हो रहा है और अगर कोई दल या दलों का गठबंधन सरकार बनाने के लिए आगे नहीं आता है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है।