मुंबई, एक नवंबर ।महाराष्ट्र विधानसभा के परिणाम आये एक सप्ताह से अधिक समय बीत गया है। राज्य विधानसभा का चुनाव मिलकर लड़ने वाली भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और शिवसेना ने 288 सदस्यीय सदन में 161 सीटें जीतकर बहुमत तो हासिल कर लिया है किंतु मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों के बीच तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है ।
शिवसेना के मुखर नेता और समय-समय पर भाजपा को घेरने वाले संजय राउत ने शुक्रवार को ट्वीटर के जरिये भाजपा पर तेज हमला बोला।
गठबंधन सहयोगी भाजपा के साथ सत्ता की साझेदारी को लेकर जारी गतिरोध के बीच शिवसेना के वरिष्ठ नेता राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उनकी पार्टी से होगा।
राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि भाजपा और शिवसेना के बीच सरकार गठन को लेकर अब तक कोई बातचीत नहीं हुई है।
राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा, “भाजपा को कोई अल्टीमेटम (सरकार गठन पर) नहीं दिया गया है। वे बड़े लोग हैं।”
उन्होंने कहा कि अगर शिवसेना फैसला लेती है तो उसे महाराष्ट्र में स्थिर सरकार के गठन के लिये जरूरी संख्या मिल सकती है।
लोगों ने “50:50 फॉर्मूले” के आधार पर सरकार बनाने के लिये जनादेश दिया था। इस फॉर्मूले पर महाराष्ट्र के लोगों के समक्ष सहमति बनी थी।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी राज्य में ढाई साल के लिये मुख्यमंत्री पद और 50:50 के अनुपात में मंत्रालयों का बंटवारा चाहती है।
भाजपा ने ये दोनों ही मांगे खारिज कर दी हैं और उसका कहना है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस अगले पांच सालों तक मुख्यमंत्री के पद पर बने रहेंगे।
राउत ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि अहंकार मत पालो। वक्त के सागर में कई सिकंदर डूब गए हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव परिणाम 24 अक्टूबर को आए थे। भाजपा 288 सीटों वाली विधानसभा में 105 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी जबकि शिवसेना ने 56 सीटें जीतीं। बहुमत मिलने के बावजूद दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर लगातार खींचतान जारी है।
भाजपा मुख्यमंत्री पद में किसी तरह का बंटवारा नहीं चाहती है जबकि शिवसेना का कहना है कि 50-50 फार्मूले के तहत सरकार बने । शिवसेना पहले ढाई साल मुख्यमंत्री का पद चाहती है, जिस पर भाजपा सहमत नहीं है ।
भाजपा ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस को फिर विधायक दल का नेता चुना है जबकि शिवसेना ने सभी अटकलों को दरकिनार करते हुए एकनाथ शिंदे को नेता बनाया है।
श्री राउत ने शुक्रवार को ट्वीटर पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर तेज हमला करते हुए लिखा,
“* साहिब…*
* मत पालिए, अहंकार को इतना,*
*वक्त के सागर में कई,*
* सिकन्दर डूब गए ..!*”
श्री राउत यहीं नहीं रुके और उन्होंने कहा कि यदि शिवसेना चाहे तो अपने दम पर महाराष्ट्र में सरकार बना सकती है। उन्होंने कहा कि यदि पार्टी निर्णय करती है तो उसे राज्य में स्थिर सरकार बनाने के जरुरी संख्या मिल जायेगी । जनता ने विधानसभा चुनाव में 50-50 फार्मूले के आधार पर राज्य में सरकार बनाने का जनादेश दिया है। जनता शिवसेना का मुख्यमंत्री चाहती है और लिख लीजिए मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा।
शिवसेना के मुखपत्र दैनिक सामना के कार्यकारी संपादक और राज्यसभा सांसद राउत ने गुरुवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात की थी। पार्टी के विधायक दल का नेता चुनने के बाद शिवसेना विधायकों ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भी भेंट की थी।
पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के भी मुख्यमंत्री को लेकर तेवर कड़े बने हुए हैं। गुरुवार को विधायक दल का नेता चुने जाने के लिए सेना भवन में नव निर्वाचित विधायकों को संबोधित करते हुए शिवसेना प्रमुख ने कहा,“ मुख्यमंत्री पद पाना शिवसेना का सपना है। मैं एक राजनीतिक पार्टी चलाता हूं और मेरी ख्वाहिश है कि मुख्यमंत्री शिवसेना का होना चाहिए। इसमें गलत क्या है यह मेरा आग्रह है और इसको मैं आप सबके सहयोग से पूरा करूंगा। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कोई हमेशा के लिए नहीं बैठक सकता।”
गौरतलब है कि इस बार विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे भी वरली से चुनाव जीते हैं। पिछली बार भाजपा और शिवसेना की गठबंधन सरकार देवेंद्र फडनवीस के नेतृत्व में पांच साल चली थी।
महाराष्ट्र विधानसभा की मौजूदा स्थिति में भाजपा 105 सबसे बड़ा दल है। शिवसेना के 56 विधायक हैं जबकि राकांपा 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। शिवसेना ने कल सात और विधायकों का दावा कर कहा था कि उसका समर्थन करने वाले विधायकों की कुल संख्या 63 हो गई है। तेरह निर्दलीय विधायक हैं जबकि अन्य दलों से हैं।
केंद्र में भाजपा की सहयाेगी रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख रामदास आठवाले ने भी महाराष्ट्र सरकार में भागीदारी की मांग करते हुए उनके दल को छह स्थान दिए जाने की मांग की है ।
भाजपा ने 15 और विधायकों का दावा किया है जिसमें निर्दलीय और अन्य छोटे दलों के विधायक हैं।
महाराष्ट्र में नयी सरकार को लेकर अलग-अलग तरह के गणित लगाए जा रहें हैं लेकिन आने वाले दिनों में ही यह स्पष्ट होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।
मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना अपने रुख पर अड़ी:
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना में जारी खींचतान के बीच शिवसेना ने अपने रुख को और कड़ा करते हुए कहा कि वह राज्य में पचास-पचास के फॉर्मूले के बिना भाजपा का समर्थन नहीं देगी तथा उन्हें सरकार बनाने की कोई जल्दी नहीं है।
पार्टी के विधायकों को यहां संबोधित करते हुए शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना विपक्षी पार्टी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ संपर्क में है और वो चाहते है कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कोई शिवसैनिक बने।
शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायकों ने आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की:
महाराष्ट्र में भाजपा के साथ सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी पर शिवसेना के फिर से जोर दिये जाने के बीच इस क्षेत्रीय पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों ने नयी सरकार में आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है।
बृहस्पतिवार को घोषित हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में सत्तारूढ़ भाजपा को 17 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। निवर्तमान विधानसभा में भाजपा के पास 122 सीटें हैं। इस घटनाक्रम से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उद्धव ठाकरे नीत पार्टी कड़ी सौदेबाजी कर सकती है। हालांकि, शिवसेना की सीटों की संख्या भी 2014 के 63 की तुलना में घट कर 56 हो गई है।
पड़ोसी ठाणे शहर से विधायक प्रताप सरनाइक ने कहा, ‘‘हम आदित्य ठाकरे को अगला मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं। लेकिन उद्धवजी अंतिम फैसला लेंगे।’’
उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह कहा। दरअसल, उनसे पूछा गया था कि क्या शिवसेना भाजपा के मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के स्थान पर अपना खुद का मुख्यमंत्री बनाने के लिये कांग्रेस-राकांपा गठजोड़ की मदद लेगी।
सरनाइक और अन्य नवनिर्वाचित विधायक पार्टी की एक बैठक में शामिल होने के लिये शनिवार को ‘मातोश्री’ (ठाकरे परिवार के आवास) में जुटे।
चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ कर शिवसेना में शामिल हुए पार्टी के एक अन्य विधायक अब्दुल सत्तार ने भी सरनाइक के विचार का समर्थन किया।
सत्तार ने कहा, ‘‘उद्धवजी इस पर अंतिम फैसला लेंगे।’’ उन्हें पहले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का करीबी सहयोगी माना जाता था।
राज्य में 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 105, शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं, राकांपा 54 और कांग्रेस 44 सीटों पर विजयी रही।
चुनाव परिणामों से भाजपा को झटका लगा है क्योंकि पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ अपने बूते सरकार बनाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन चुनाव नतीजों के बाद बदले राजनीतिक परिदृश्य ने शिवसेना का मनोबल बढ़ा दिया है जो बखूबी जानती है कि वह सौदेबाजी करने की स्थिति में है और मुख्यमंत्री पद के लिये आदित्य के नाम पर मुहर लगवा सकती है।
आदित्य(29) 1960 के दशक में पार्टी के गठन के बाद से चुनावी राजनीति में उतरने और जीत हासिल करने वाले ठाकरे परिवार के प्रथम व्यक्ति हो गये हैं। वह मुंबई की वर्ली सीट से जीते हैं, जो शिवसेना का गढ़ है।
बृहस्पतिवार को शिवसेना ने अपने कड़े तेवर दिखाते हुए भाजपा को ‘‘50:50 फार्मूले’’ की याद दिलाई थी, जिस पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, ठाकरे और फड़णवीस के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सहमति बनी थी।
सूत्रों के मुताबिक इस फार्मूले के मुताबिक शिवसेना और भाजपा के चक्रीय आधार पर मुख्यमंत्री होंगे और दोनों दलों को कैबिनेट में बराबर संख्या में जगह मिलेगी।
ठाकरे ने कहा था, ‘‘मैं (शिवसेना) लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कम सीटों पर चुनाव लड़ा। मैं हर बार भाजपा के लिये जगह नहीं छोड़ सकता। मैं भाजपा को उस फार्मूले की याद दिलाना चाहता हूं जो अमित शाह की मौजूदगी में बनाया गया था।’’
महाराष्ट्र में कुछ दिलचस्प संभावना के बारे में अटकलें उस वक्त शुरू हुई थी, जब चुनाव नतीजे के दिन पूर्व मुख्यमंत्रियों एवं कांग्रेस के नेता अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि पार्टी को भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिये हर विकल्प पर विचार करना चाहिए।
हालांकि, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शिवसेना का समर्थन करने की बात से इनकार किया था ।
वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख बालासाहेब थोराट ने भी भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिये शिवसेना से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया था । हालांकि, उन्होंने कहा, ‘‘यदि शिवसेना कोई प्रस्ताव लेकर आती है तो (प्रदेश) कांग्रेस अपने आलाकमान से सलाह मांगेंगी।’’
शिवसेना आदित्य का नाम राज्य के अगले मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री के तौर पर पेश कर रही है।
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बार-बार कहा है कि फड़णवीस मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे।
कांग्रेस नेताओं ने की पवार से मुलाकात:
मुम्बई, 31 अक्टूबर ।महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के 10 दिन बाद भी भगवा सहयोगी दलों शिवसेना और भाजपा में सरकार में सत्ता बंटवारे को लेकर खींचतान जारी रहने के बीच महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं ने बृहस्पतिवार को राकांपा प्रमुख शरद पवार से यहां मुलाकात की।
सूत्रों ने बताया कि यहां पवार के आवास आने वालों में प्रदेश कांग्रेस प्रमुख बालासाहेब थोराट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण एवं पृथ्वीराज चव्हाण शामिल थे।
79 वर्षीय पवार ने वस्तुत: विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन के चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया।
सूत्रों ने कहा, ‘‘बैठक वर्तमान राजनीतिक स्थिति के मद्देनजर गठबंधन साझेदारों (राकांपा और कांग्रेस) की रणनीति पर चर्चा करने के लिए थी।’’
थोराट ने यद्यपि संवाददाताओं से कहा कि नेताओं ने वापस जाते मानसूनी वर्षा से राज्य के विभिन्न हिस्सों में फसलों को हुए नुकसान पर चर्चा की।