शहडोल, 25 अप्रैल । मध्यप्रदेश के शहडोल संसदीय क्षेत्र में इस बार मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी हिमाद्री सिंह और कांग्रेस की श्रीमती प्रमिला सिंह के बीच है, लेकिन दोनों ही प्रत्याशियों के हाल ही में दल बदलने के कारण स्थानीय कार्यकर्ताओं में असमंजस का भाव दिखायी दे रहा है।
यह ठेठ आदिवासी बहुल संसदीय क्षेत्र अनुसचित जनजाति (अजजा) के लिए सुरक्षित है और भीषण गर्मी के कारण विभिन्न दलों का प्रचार अभियान भी प्रभावित दिखायी दे रहा है। कांग्रेस से कुछ समय पहले भाजपा में आने वालीं श्रीमती हिमाद्री सिंह को ही भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने भी चार महीने पहले भाजपा से आने वालीं पूर्व विधायक प्रमिला सिंह पर दाव खेला है। मुख्य मुकाबला इन दोनों ‘पैराशूट’ प्रत्याशियों के बीच ही है। हालांकि इन दाेनों के अलावा 11 अन्य प्रत्याशी भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी ने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर दी है।
प्राकृतिक संसाधन जैसे कोयला आदि के भंडारों से परिपूर्ण इस सीट पर शिक्षा का स्तर बहुत कम होने से क्षेत्र में स्थानीय मुद्दे जैसे, जल-जंगल-जमीन और केंद्र सरकार की उज्जवला योजना और प्रधानमन्त्री आवास योजना जैसे मुद्दे प्रभावी दिखायी पड़ते हैं। अन्य राष्ट्रीय मुद्दे बहुत अधिक प्रभावी नजर नहीं आ रहे हैं।
भाजपा प्रत्याशी हिमाद्री सिंह यहां प्रचार के मामले में अपनी प्रतिद्वंद्वी की तुलना में संगठन के कारण कुछ आगे नजर आ रही हैं। श्रीमती सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद स्वर्गीय दलवीर सिंह और राजेश नंदिनी की बेटी हैं। वे दो साल पहले यहां हुए लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी थीं। ऐसे में उनकी संसदीय क्षेत्र के तहत सभी आठों विधानसभाओं में खासी पकड़ है। पिछले साल उन्होंने भाजपा के युवा नेता नरेंद्र मरावी से विवाह कर लिया था, जिसके बाद वे पिछले दिनों भाजपा में शामिल हो गईं। उनके भाजपा में शामिल होने के कुछ दिन बाद उन्हें भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।
वहीं शहडोल संसदीय क्षेत्र की जयसिंहनगर विधानसभा से भाजपा विधायक रहीं प्रमिला सिंह ने पिछले साल विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। श्रीमती सिंह की सक्रियता अब तक सिर्फ इसी विधानसभा में होने से उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ रही है। उनके पति अमरपाल सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हैं और वे पूर्व में इस अंचल में सेवाएं भी दे चुके हैं। श्रीमती प्रमिला सिंह भी अपने विश्वस्त कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सहारे चुनाव प्रचार अभियान में जुटी हैं।
दोनों ही प्रमुख प्रत्याशी पहले अलग अलग पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं, इसलिए दोनों दलों के समर्पित कार्यकर्ताओं में असमंजस का भाव भी दिखायी देता है। ऐसे कार्यकर्ताओं का मानना है कि वे कभी वर्तमान प्रत्याशियों के खिलाफ प्रचार कर चुके हैं। इस स्थिति में अब उनके पक्ष के साथ उन मतदाताओं के बीच जाना आसान नहीं है, जिनके बीच वे हमेशा रहते हैं। इस स्थिति को शायद दोनों प्रत्याशी भी बेहतर तरीके से समझ रहे हैं, इसलिए वे भी अपने भरोसेमंद कार्यकर्ताओं की बदौलत प्रचार अभियान में जुटे हैं।
इस असमंजस और तापमान के 40 डिग्री तक पहुंचने के कारण प्रचार अभियान में अभी तक वो तेजी दिखायी नहीं पड़ रही है, जैसा कि पिछले लोकसभा चुनावों में होता आया है। हालाकि चुनाव प्रचार 27 अप्रैल की शाम पांच बजे तक थम जाएगा। और 29 अप्रैल को मतदान के पहले कुछ घंटे तक प्रत्याशी मतदाताओं से सिर्फ घर घर जाकर संपर्क कर सकेंगे। चुनाव प्रचार की सीमा समाप्त होने के पहले कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रत्याशी प्रचार अभियान में दिन और रात एक कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यहां पार्टी प्रत्याशी श्रीमती प्रमिला सिंह के समर्थन में चुनावी सभा कर चुके हैं। उनके साथ मुख्यमंत्री कमलनाथ भी आए थे। इसके अलावा कोई और वरिष्ठ नेता कांग्रेस प्रत्याशी के प्रचार के लिए नहीं आया। वहीं भाजपा की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां पार्टी प्रत्याशी श्रीमती हिमाद्री सिंह के समर्थन में वोट मांग चुके हैं। श्री राजनाथ सिंह ने कोतमा के पास जमुनाकालरी में सभा को संबोधित किया था, जबकि श्री चौहान ने राजेंद्रग्राम और कोतमा में सभाएं की हैं।
इस क्षेत्र में सभी तेरह प्रत्याशियों की किस्मत 29 अप्रैल को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में कैद हो जाएगी। मतों की गिनती 23 मई को होने के साथ ही यह पता चल सकेगा कि इस क्षेत्र का आदिवासी मतदाता इस बार किस प्रत्याशी को अपना समर्थन देगा। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा ने लगभग दो लाख मतों से विजय हासिल की थी। वहीं लगभग दो साल पहले हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा की विजय लगभग 50 हजार मतों से हुयी थी। इस संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं और इनमें से चार पर कांग्रेस और शेष चार पर भाजपा का कब्जा है। इस लिहाज से माना जा रहा है कि यह मुकाबला भी कांटे का होगा।
शहडोल संसदीय सीट पर 1952 से अब तक 16 चुनाव और उपचुनाव हो चुके हैं, जिनमें चार बार सोशलिस्ट या निर्दलीय जीते हैं। वहीं छह बार कांग्रेस और 6 बार भाजपा के सांसद चुने गए हैं।
शहडोल संसदीय क्षेत्र में कुल 16 लाख 46 हजार 230 मतदाता हैं। यहां कुल दो हजार 187 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं।
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