भोपाल, 19 मई ।मध्यप्रदेश में पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार की किसान कर्जमाफी से संबंधित योजना को लेकर सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस आमने सामने आ गए हैं।
प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पत्रकारों से चर्चा में कहा कि कमलनाथ सरकार ने विधिवत किसानों के ऋण माफ किए हैं। पहले चरण में लगभग 21 लाख किसानों के और दूसरे चरण में चार लाख किसानों के ऋण माफ किए गए। तीसरा चरण एक जून से प्रारंभ करने का तय किया था, लेकिन मौजूदा भाजपा सरकार इस पर अमल से बचती हुयी नजर आ रही है।
इसके पहले कल यहां राज्य केे गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया के समक्ष आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने किसानों की ऋण माफी के नाम पर गड़बड़ियां की हैं। उन्होंने इस संबंध में कुछ ऋणमाफी संबंधी प्रमाणपत्र पेश किए और कहा कि किसानों के खाते में पैसा पहुंचा ही नहीं और सरकार ने उसे ऋणमाफी बता दिया। श्री मिश्रा ने कहा कि इस मामले में बड़े घोटाले का अंदेशा है और इसकी जांच की जा रही है।
दो माह पुरानी भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के पिछले छह माह के दौरान लिए गए निर्णयों की समीक्षा के लिए मंत्रियों की एक समिति बनायी है, जिसके सदस्य डॉ मिश्रा भी हैं। इसकी एक दो बैठकें भी हो चुकी हैं।
डॉ मिश्रा के आरोप के एक दिन बाद आज श्री पटवारी ने पत्रकारों से कहा कि कमलनाथ सरकार ने अपने वादे के अनुरूप किसानों के ऋण माफ किए, लेकिन मौजूदा सरकार इस योजना पर अमल करने से बच रही है। इसका कांग्रेस प्रत्येक स्तर पर विरोध करेगी और जरुरत पड़ी तो वह इस मुद्दे को लेकर अदालत की शरण भी ले सकती है।
श्री पटवारी ने कहा कि कोरोना संकट से निपटने के इस दौर में कांग्रेस राजनीति नहीं करना चाहती है, लेकिन सत्तारूढ़ दल भाजपा के नेता ही ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली का खाद्यान्न राज्य के खाद्य मंत्री गोविंद राजपूत के क्षेत्र सुरखी में अवैधानिक तरीके से वितरित कराया जा रहा है। इसके अलावा भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में कल कुछ नेताओं को भाजपा में शामिल कराने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान नहीं रखा गया। इसके लिए उन्होंने मंत्री तुलसीराम सिलावट को भी निशाने पर लिया।
श्री पटवारी ने सरकार पर कुछ अन्य आरोप भी लगाए और कहा कि वह कोरोना संकट से निपटने की बजाए अपने अन्य एजेंडे पूरे करने में लगी है। उन्होंने किसान ऋणमाफी को लेकर आरोप लगाने वाले मंत्री डॉ मिश्रा पर भी निशाना साधा।
दरअसल दिसंबर 2018 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में किसानों के दो लाख रुपयों तक के ऋण माफ करने की घोषणा कांग्रेस ने की थी। इसके बाद वह सत्ता में आयी और 17 दिसंबर 2018 को श्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। यह सरकार लगभग पंद्रह माह तक कार्य कर सकी और 24 कांग्रेस विधायकों के अपने नेता श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में बगावती तेवरों केे चलते मार्च 2020 में कांग्रेस सरकार का पतन हो गया। इसके साथ ही कांग्रेस के 24 विधायकों ने त्यागपत्र दे दिया और इन 24 सीटों पर निकट भविष्य में उपचुनाव होगा। दोनों ही दल अंदर ही अंदर इन उपचुनावों की तैयारियों में भी जुट गए हैं।
कमलनाथ सरकार के पतन के बाद भाजपा की सरकार बनी और मुख्यमंत्री के रूप में श्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को शपथ ग्रहण की थी।