भोपाल, 16 मार्च । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने आज कहा कि पार्टी की ओर से अविश्वास प्रस्ताव को कोई भी नोटिस विधानसभा सचिवालय को नहीं दिया गया है। इस संबंध में असत्य बोला जा रहा है।
श्री मिश्रा ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ बचने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। इस संबंध में असत्य बयान दिया गया है। हमनें अविश्वास प्रस्ताव नहीं दिया है। अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस में आरोप लगाए जाते हैं। इनके प्रमाण भी देना पड़ता है। हमने राज्यपाल के विश्वास मत हासिल करने संबंधी निर्देश से जुड़े दस्तावेज सौंपे हैं। इसमें मुख्य रूप से शपथपत्र हैं।
राज्यपाल से मुलाकात की कमलनाथ ने रात्रि में
मध्यप्रदेश में जारी सियासी सरगर्मियों के बीच आज रात राज्यपाल लालजी टंडन से मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुलाकात की। वे लगभग आधा घंटे तक राजभवन में रहे।
श्री कमलनाथ ने इसके बाद राजभवन के बाहर मीडिया से चर्चा में बहुमत साबित करने संबंधी सवालों के जवाब में कहा कि आज की तारीख में उनके पास बहुमत है और वे साबित भी करेंगे। श्री कमलनाथ ने कहा कि लेकिन उन 16 विधायकों को भी सामने लाना चाहिए है, जाे ‘बंधक’ बनाए गए हैं। उन्हें स्वतंत्र करना चाहिए।
फ्लोर टेस्ट के लिए हम तैयार है, बशर्ते बंधक बनाए गए 16 विधायक को स्वतंत्र करा जाए-कमलनाथ
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिये हम तैयार है बशर्ते पहले बेंगलुरू में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा बंधक बनाए गए 16 विधायकों को स्वतंत्र तो करा जाय।
श्री कमलनाथ ने यह बात आज मुख्यमंत्री निवास में आयोजित कांग्रेस विधायक दल की बैठक में कही।
उन्होंने कहा कि भाजपा अवैधानिक रूप से सत्ता हासिल करने के लिए छटपटा रही है। वह फ़्लोर टेस्ट पर तो ख़ूब बात कर रही है लेकिन बंधक 16 विधायक पर वो चुप क्यों है।
उन्होंने कहा कि भाजपा न्यायालय में गयी है। हमें न्यायालय पर पूरा विश्वास है। न्यायालय में हम अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे।
उन्होंने कहा कि बेंगलुरू में 16 विधायकों को बंधक बनाकर, षड़यंत्रपूर्वक एक संवैधानिक संकट पैदा करने का प्रयास किया गया है। भाजपा एक ओर तो संवैधानिक व्यवस्थाओं की दुहाई दे रही है, वही दूसरी तरफ गैर-संवैधानिक तरीके से कांग्रेस पार्टी के विधायकों को बंधक बना कर रखा हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस विधायकों से कहा कि वे किसी भी प्रकार की अफवाह में न आए। भाजपा अफ़वाह फैलाने में माहिर है। सभी लोगों को सजग और सतर्क रहना है।
उन्होंने आज विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन कांग्रेस विधायकों की एकजुटता और मर्यादित आचरण की सराहना की।
उन्होंने कहा कि हम गांधी जी के मार्ग पर चल रहे हैं और यही हमारी शक्ति है जिसके आधार पर हम सत्ता लोलुप लोगों को मुहतोड़ जवाब देकर प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि सदन में भाजपा के व्यवहार और आचरण से जाहिर है कि वे संवैधानिक तरीकों से नहीं बल्कि अवैधानिक तरीके से सत्ता में आने के सपने देख रहे हैं।
बैठक में कांग्रेस विधायकों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद दिग्विजय सिंह, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षक मुकुल वासनिक एवं हरीश रावत तथा पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह उपस्थित थे।
भाजपा विधायकों को सीहोर के पास रुकवाया गया है एक होटल में
मध्यप्रदेश में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लगभग एक सौ विधायकों को सीहोर जिला मुख्यालय के पास एक होटल में रुकवाया गया है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार इछावर मार्ग पर स्थित इस होटल में भाजपा के एक सौ अधिक विधाय पहुंचे, जिनमें प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं। इस बीच होटल के आसपास ऐहतियातन सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी है।
8:39PM
सियासी उठापटक के बीच आज नहीं हुआ ‘फ्लोर टेस्ट’
मध्यप्रदेश में अभूतपूर्व सिसायी संकट के बीच आज विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल लालजी टंडन के निर्देश के अनुरूप ‘फ्लोर टेस्ट’ नहीं हुआ और राज्यपाल के अभिभाषण पढ़ने की औपचारिकता के बाद सदन की कार्यवाही ‘कोरोना’ के मद्देनजर ‘केंद्र सरकार की विभिन्न गाइडलाइन और जनहित’ को ध्यार में रखकर 26 मार्च को सुबह ग्यारह बजे तक स्थगित कर दी गयी।
एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल को आज एक पत्र लिखा है, जिसमें अनेक न्यायालयीन फैसलों का जिक्र करते हुए श्री कमलनाथ ने विश्वास व्यक्त किया है कि राज्यपाल विधि एवं संविधान के अनुरूप ही आगे कार्य करेंगे। श्री कमलनाथ ने इस पत्र में आश्चर्य व्यक्त किया है कि उन्हें लिखे गए संदेशरूपी निर्देशों (राज्यपाल के पत्र) में राज्यपाल ने विधानसभा की कार्यप्रणाली से संबंधित बातों पर उनसे (मुख्यमंत्री) अपेक्षा की है। श्री कमलनाथ का मत है कि यह सब विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है।
राज्यपाल ने मौजूदा हालातों के मद्देनजर दो दिन पहले मध्य रात्रि में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था कि उनकी सरकार सोमवार को अभिभाषण के बाद सदन में अपना बहुमत साबित करे। राज्यपाल ने इसकी प्रतिलिपि विधानसभा अध्यक्ष को भी भेजी है।
आज बजट सत्र की शुरूआत में राज्यपाल परंपरा के अनुरूप सदन पहुंचे और छत्तीस पेज का अभिभाषण पढ़ने की औपचारिकता के लिए उन्होंने पहली पेज की कुछ पंक्तियों के बाद अंतिम पेज पढ़ा। अभिभाषण पढ़ने की औपचारिकता के बाद राज्यपाल ने सदन में सभी से अनुरोध किया कि मौजूदा हालातों के मद्देनजर सभी अपने अपने दायित्वों का निर्वहन करें। परंपराओं के तहत ऐसे अवसर पर राज्यपाल अभिभाषण के अलावा और कुछ नहीं बोलते हैं। अपने संक्षिप्त उद्बोधन के बाद राज्यपाल सदन से विदा हो गए।
इसके बाद विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने फ्लोर टेस्ट की मांग उठाना चाही, लेकिन सदन में अनेक सदस्यों के एकसाथ बोलने के कारण अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने कार्यवाही स्थगित कर दी। लगभग पांच मिनट बाद सदन समवेत होने पर भाजपा सदस्यों ने फिर अपनी बात रखना चाही, लेकिन अध्यक्ष ने कुछ आवश्यक औपचारिकताओं के बाद कोरोना के प्रकोप के मद्देनजर जारी विभिन्न गाइडलाइन और जनहित के चलते सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।
इस घटनाक्रम के बाद बाद सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के सभी विधायकों को बस में एकसाथ बिठाकर विधानसभा से रवाना किया गया। कुछ कांग्रेस नेता बाकायदा इन विधायकों पर नजर रखे हुए थे। इसके बाद सभी भाजपा विधायक भी बस में सवार हुए और सीधे राजभवन पहुंचे। राजभवन में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव और श्री नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में सभी ने राज्यपाल से मुलाकात की। इसे विधायकों की राज्यपाल के समक्ष परेड के रूप में देखा गया।
भाजपा के कुल 107 विधायकों में से एक चर्चित विधायक नारायण त्रिपाठी सदन से सीधे मुख्यमंत्री निवास पहुंचे। उन्हें कुछ कांग्रेस विधायक अपने साथ ले गए और उन्होंने मीडिया से चर्चा में कांग्रेस के सुर में सुर मिलाते हुए आरोप लगाया कि बंगलूर में कांग्रेस विधायकों को बंधक बनाया गया है। ऐसी स्थिति में फ्लोर टेस्ट कैसे कराया जा सकता है। श्री त्रिपाठी हाल के दिनों में कई बार मुख्यमंत्री निवास जा चुके हैं।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी आज राज्यपाल से मिलने पहुंचे और कुछ देर तक उनके पास रहे। वहां से निकलने के बाद श्री सिंह ने मीडिया के समक्ष अपनी चिरपरिचित मुद्रा में कहा कि वे राज्यपाल से ‘सौजन्य भेंट’ के लिए आए थे। राज्यपाल ने कल रात मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपने पास बुलाया था और फ्लोर टेस्ट को लेकर चर्चा की थी।
इन सभी घटनाक्रमों के बीच आज भाजपा फ्लोर टेस्ट को लेकर उच्चतम न्यायालय में भी पहुंच गयी है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से एक याचिका दिल्ली स्थित उच्चतम न्यायालय में दायर की गयी है, जिस पर एक दो दिन में सुनवायी होने की संभावना प्रारंभिक तौर पर जतायी गयी है।
राज्य का मौजूदा सियासी संकट उस समय और गहराया जब हाल ही में कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपने त्यागपत्र अध्यक्ष को भेज दिए। इनमें छह मंत्री भी शामिल थे। इन त्यागपत्र की हॉर्ड कॉपी भाजपा के पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह दस मार्च को अध्यक्ष को सौंपकर आए थे। तेजी से बदलते सियासी घटनाक्रमों के बीच मुख्यमंत्री ने त्यागपत्र देने वाले छह मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया और इसके बाद अध्यक्ष ने उनके त्यागपत्र भी स्वीकार कर लिए। लेकिन शेष 16 विधायकों के त्यागपत्र को लेकर अध्यक्ष की ओर से आज तक कोई फैसला नहीं आया है। अध्यक्ष इनके त्यागपत्र स्वीकार करने के पहले उनसे प्रत्यक्ष रूप से चर्चा करना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेताओं का यह तर्क है कि कांग्रेस के विधायकों को बंगलूर में बंधक बनाया गया है और इन स्थितियों में भाजपा फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है, जो उचित नहीं है। कांग्रेस फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है, लेकिन पहले बंगलूर में ‘बंधक’ विधायकों को मध्यप्रदेश लाया जाए। वहीं संबंधित विधायकों ने मध्यप्रदेश में कदम रखने के लिए उनकी सुरक्षा के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल की मांग की है। इन विधायकों को राज्य पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर भरोसा नहीं है।
इन सभी हालातों के बीच अब सभी की नजरें भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के अलावा राजभवन की ओर भी टिकी हुयी हैं।
दो सौ तीस सदस्यीय विधानसभा में दो सीट रिक्त हैं और छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार हो चुके हैं। इस तरह अब कुल विधायकों की संख्या 222 है। इनमें से कांग्रेस के विधायक 108 हैं, लेकिन इनमें से 16 ने अपने त्यागपत्र दे दिए हैं और अध्यक्ष के समक्ष इनका फैसला लंबित है। यदि ये त्यागपत्र स्वीकृत हो जाते हैं, तो कांग्रेस की संख्या घटकर 92 पर आ जाएगी। इसके अलावा भाजपा सदस्यों की संख्या 107 है। शेष सात विधायकों में बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय शामिल हैं।