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मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव को लेकर तस्वीर लगभग साफ,बहुजन समाज पार्टी की उपस्थिति कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक में करेगी सेंधमारी attacknews.in

भोपाल, 07 अक्टूबर । मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद मुकाबले को लेकर तस्वीर लगभग साफ हो गयी है।

भाजपा ने कल रात सभी 28 सीटों पर एकसाथ प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इनमें से 25 सीटों पर उन्हीं पूर्व विधायकों पर दाव खेला गया है, जो नवंबर दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए थे, लेकिन इस वर्ष मार्च माह और उसके बाद के महीनों में विधायक पद से त्यागपत्र देकर कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था और भाजपा में शामिल हो गए। शेष तीन सीटों जौरा, आगर और ब्यावरा में क्रमश: सूबेदार सिंह रजौधा, मनोज ऊंटवाल और नारायण सिंह पवार को प्रत्याशी घोषित किया गया है। इन तीनों सीटों पर तत्कालीन विधायकों के निधन के कारण उपचुनाव हो रहा है।

सत्ता में वापसी के लिए व्याकुल नजर आ रही कांग्रेस ने तीन सूचियों के माध्यम से 27 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं। ब्यावरा सीट पर भी शीघ्र ही प्रत्याशी घोषित हो जाने की उम्मीद है। कांग्रेस ने 11 सितंबर को 15 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। इसके बाद 27 सितंबर को नौ प्रत्याशी घोषित किए गए और कल चार प्रत्याशियों की घोषणा की गयी, जिसमें से बदनावर सीट से प्रत्याशी को बदला गया। बदनावर में कांग्रेस ने पहले अभिषेक सिंह टिंकू बना को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन कल उनके स्थान पर कमल पटेल पर दाव खेलने का निर्णय लिया गया। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि ब्यावरा सीट पर भी प्रत्याशी शीघ्र घोषित कर दिया जाएगा।

आगामी तीन नवंबर को जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार 27 पर कांग्रेस और मात्र आगर सीट पर भाजपा विजयी हुयी थी। आगर में भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल के निधन के कारण उपचुनाव की नौबत आयी है।

भाजपा और कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी चुनाव मैदान में है और उसने दो सूची के जरिए लगभग डेढ़ दर्जन सीटाें पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। कुल 28 सीटों में से 16 सीटें ग्वालियर चंबल अंचल से हैं, जहां पर इसी वर्ष कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव माना जाता है। श्री सिंधिया और उनके समर्थक राज्य के मंत्री इस बार भाजपा के प्रतिनिधि के तौर पर चुनाव मैदान में मतदाताओं से वोट मांगते हुए दिखायी दे रहे हैं।

राजनैतिक प्रेक्षकों का मानना है कि उपचुनाव में बसपा प्रत्याशियों की उपस्थिति चुनावी रण को रोचक बना रही है। ग्वालियर चंबल अंचल में बसपा की काफी पैठ मानी जाती है। साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि बसपा कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने की भूमिका निभाएगी, अब देखना यह है कि बसपा कुछ सीटाें पर अपना परचम लहराकर उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब होगी या सिर्फ राजनैतिक दलों के वोट काटने का काम करेगी।

सभी 28 सीटों पर उपचुनाव के लिए अधिसूचना नौ अक्टूबर को जारी होने के साथ ही नामांकन पत्र दाखिले का कार्य शुरू हो जाएगा और यह कार्य 16 अक्टूबर तक जारी रहेगा। अगले दिन 17 अक्टूबर को नामजदगी के परचों की छानबीन की जाएगी और प्रत्याशी 19 अक्टूबर तक नाम वापस ले सकेंगे। इन सभी सीटों पर एकसाथ तीन नवंबर को मतदान होगा और 10 नवंबर को मतगणना के साथ नतीजे सामने आ जाएंगे।

मध्यप्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 202 विधायक हैं। इनमें भाजपा के 107, कांग्रेस के 88, बसपा के दो, समाजवादी पार्टी का एक और चार निर्दलीय शामिल हैं। इस तरह कुल 230 सदस्यीय विधानसभा में पूर्ण सदन की स्थिति में जादुयी आकड़ा यानी कि बहुमत साबित करने के लिए सदस्यों की न्यूनतम संख्या 116 है।

उपचुनाव के लिए चुनावी रण में उतरे दलों का चुनाव प्रचार अभियान पहले ही प्रारंभ हो चुका है। भाजपा की ओर से जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, श्री सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और अन्य वरिष्ठ नेता लगातार दौरे कर रहे हैं, तो कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ही अपनी टीम के साथ नजर आ रहे हैं। श्री कमलनाथ बार बार दावा कर रहे हैं कि सभी 28 सीटों पर कांग्रेस विजयी होगी।

प्रबल प्रताप ने टिकिट नही मिलने पर कांग्रेस से इस्तीफा दिया

मध्यप्रदेश के मुरैना नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रबल प्रताप सिंह मावई ने मुरैना विधान सभा क्षेत्र से उप चुनाव में टिकिट नहीं देने से नाराज होकर कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

विधान सभा के उप चुनाव में इस बार कांग्रेस ने मुरैना से उनके सगे चचेरे भाई और जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राकेश मावई को अपना उम्मीदबार घोषित कर दिया। इसी से नाराज होकर उन्होंने पार्टी अध्यक्ष कमलनाथ को अपनी प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा भेज दिया है।

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