इटावा 07 मई । माफिया डाॅन छोटा राजन की कोरोना संक्रमण से मौत की अफवाह ने कुछ समय के हर किसी को सन्न किया हो लेकिन कभी इस गैंग के शूटरो ने उत्तर प्रदेश के इटावा मे दो हत्यारोपियो की हत्या कर खासी सुर्खियाॅ बटोरी थी ।
दिसंबर 2005 मे अपर जिला जज ने गैंग के पांच शूटरो को हत्या के मामले मे फांसी की सजा सुनाई थी। सभी आरोपियो ने इस बात को स्वीकारा था कि उनको दाउद गैंग के अपराधियो को मारने की सुपारी दी गई थी।
इटावा कचहरी परिसर मे 23 अक्टूबर 2002 को करीब पौने चार बजे के आसपास अंधाधुंध गोलियां बरसा कर पुलिस कस्टडी मे सुनील नाई और सुरेश पाल सिंह को मरणासन्न कर दिया था। इनमे से सुनील नाई की मौत तो मौके ए वारदात पर हो गई लेकिन सुरेश पाल सिंह की मौत मुख्यालय के डा.भीमराव अंबेडकर राजकीय सयुक्त चिकित्सालय मे उपचार के दौरान हो गई थी ।
इस सनसनीखेज हत्याकांड के एक प्रमुख चश्मदीदो मे से वरिष्ठ पत्रकार हेमकुमार शर्मा ने बताया कि जिस समय हत्याकांड को अंजाम दिया गया था वो उस समय एसएसपी आवास पर समाचार संकलन के लिए आये थे। एकाएक एसएसपी आवास के पीछे से अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई । करीब 30 से लेकर 35 गोलियो के चलने की आवाजे सुनी गई। जब गोलियाॅ की आवाजे आ रही थी उसी समय तत्कालीन एसएसपी जे.के.गोस्वामी भी अपने आवास से बाहर निकल आये और उन्होने तुरंत वायरलैस के जरिये पूरे जिले भर मे हाईएर्लट करते हुए घेराबंदी करने का पुलिस को आदेश देते हुए कहा कि कोई भी गोली चलाने वाला किसी भी सूरते मे बचना नही चाहिए ।
एसएसपी खुद कही से गश्त से वापस लौटे थे। तब तक इस बात की खबर आ चुकी थी कि कचहरी मे पुलिस अभिरक्षा मे सुरेश पाल सिंह और उसके साथी सुनील नाई को गोली मार दी गई। इस गोली कांड मे इन दोनो आरोपियो को अदालत से वापस हवालात की ओर से लेकर एएसआई शिवबरन सिंह और अदालती कर्मी धनश्याम सिंह को गोली मार कर घायल कर दिया था। इन शूटरो का निशाना बेहद ही सटीक था क्यो कि हत्यारोपियो को गोलियाॅ उन्ही जगह लगी जहाॅ से उनकी मौत हो सकती थी जबकि अदालती कर्मी और पुलिसकर्मी को केवल घायल करने के इरादे से ही गोली मारी गई ।
इस वारदात के बाद पांच संग्दिध अपराधी एक कार में गिरफतार किये गये। पुलिस पूछताछ मे इस बात का खुलासा हुआ कि सभी छोटा राजन गैंग के खूंखार अपराधी है। सभी आरोपियो ने इस बात को स्वीकारा था कि उनको दाउद गैंग के अपराधियो को मारने की सुपारी दी गई थी।
दिसंबर 2005 मे अपर जिला जज ने छोटा राजन गैंग के पांच शूटरो को सूरेश पाल सिंह और सुनील नाई की हत्या के मामले मे फांसी की सजा सुना दी। एक साथ पांच लोगो को फांसी की सजा सुनाये जाने का पहला और इकलौता मामला अब तक का है ।
वहीं, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने अंडरवर्ल्ड डॉन और गैंगस्टर राजेन्द्र निखलजे उर्फ छोटा राजन की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत की खबरों का खंडन किया है। छोटा राजन को 26 अप्रैल को कोरोना संक्रमण के कारण एम्स में भर्ती किया गया था।
अंडरवर्ल्ड डॉन राजन पर 70 से अधिक आपराधिक मामले हैं। उसे 2015 में इंडोनेशिया में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उसी साल भारत लाया गया। छोटा राजन वर्तमान में राजधानी दिल्ली की तिहाड़ जेल में उच्च सुरक्षा में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उसे काेरोना संक्रमण के कारण 26 अप्रैल को एम्स में भर्ती किया गया था।
गैंगस्टर राजन ने छोेटे-छोटे अपराधों से आपराधिक वारदातों की शुरुआत की बाद में वह अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का दाहिना हाथ बन गया। राजन को 2018 में महाराष्ट्र मकोका अदालत ने दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इससे एक वर्ष पहले 2017 में एक विशेष सीबीआई अदालत ने नकली पासपोर्ट मामले में उसे सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गयी थी।
एम्स ने किया मौत का खण्डन:
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने अंडरवर्ल्ड डॉन और गैंगस्टर राजेन्द्र निखलजे उर्फ छोटा राजन की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत की खबरों का खंडन किया है।
छोटा राजन को 26 अप्रैल को कोरोना संक्रमण के कारण एम्स में भर्ती किया गया था। एम्स सूत्रों ने यूनीवार्ता को बताया कि छाेटा राजन अभी जीवित है। इससे पहले दिन में कई मीडिया रिपोर्टों में सामने आया था कि छोटा राजन की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हो गयी है।
अंडरवर्ल्ड डॉन राजन पर 70 से अधिक आपराधिक मामले हैं। उसे 2015 में इंडोनेशिया में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उसी साल भारत लाया गया। छोटा राजन वर्तमान में राजधानी दिल्ली की तिहाड़ जेल में उच्च सुरक्षा में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उसे काेरोना संक्रमण के कारण 26 अप्रैल को एम्स में भर्ती किया गया था।
गैंगस्टर राजन ने छोेटे-छोटे अपराधाें से आपराधिक वारदातों की शुरुआत की बाद में वह अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का दाहिना हाथ बन गया। राजन को 2018 में महाराष्ट्र मकोका अदालत ने दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इससे एक वर्ष पहले 2017 में एक विशेष सीबीआई अदालत ने नकली पासपोर्ट मामले में उसे सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गयी थी।