नयी दिल्ली16 सितम्बर । शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथी एवं महत्वपूर्ण अंगों में से एक यकृत में होने वाली सिरोसिस की बीमारी कैंसर के बाद सबसे भंयकर है जिसका अंतिम इलाज ‘लिवर प्रत्यारोपण’है। भारत और पाकिस्तान समेत विकासशील देशों में करीब एक करोड़ लोग इस बीमारी की गिरफ्त में हैं।
इस अंग का महत्व चिकित्सकों और वैज्ञानिकों साथ-साथ आम लाेगों को भी खूब मालूम है ,तभी तो भावुक क्षणों में लोग अपने प्रियजनों को कभी ‘जिगर’तो कभी ‘कलेजे’का टुकड़ा तक कह डालते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) की रिपोर्ट के अनुसार लिवर सिरोसिस के 20 से 50 प्रतिशत मामले शराब के अधिक सेवन से देखने को मिले हैं। समय रहते इलाज नहीं हाेने पर लिवर काम करना बंद कर देता है और यह स्थिति जानलेवा होती है।
पाकिस्तान के लाहौर स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेंस(यूएचएस) के कुलपति प्रोफेसर डॉ. जावेद अकरम ने बताया कि वायरल इंफेक्शन- हेपेटाइटिस -‘सी’ और ‘बी’ लिवर सिरोसिस के मुख्य वजहों में से एक हैं। यह संक्रमण पााकिस्तान,भारत एवं बंगलादेश समेत विकासशील देशों में बहुत आम हो गया है। यह संक्रमण अस्पतालों के कुछ मामूली उपकरणों की उचित रख-रखाव एवं सफाई की कमी और प्रयोग में लायी गयी सीरिंज आदि के दोबारा उपयोग करने से होता है। अगर कोई स्वस्थ्य व्यक्ति इस वायरल से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो वह भी इससे संक्रमित हो सकता है। इन देशों में करीब एक करोड़ लोग लिवर सिरोसिस से ग्रस्त हैं और लगभग चार करोड़ हेपेटाइटिस -सी और बी से संक्रमित हैं। ”
प्रोफेसर अकरम ने कहा ,“ शराब भी इस बीमारी के मुख्य कारणों में से एक है। लंबे समय से शराब के अधिक सेवन से लिवर में सूजन पैदा हो जाती है जो इस बीमारी का कारण बन सकती है।” लेकिन जो व्यक्ति शराब में हाथ तक नहीं लगाता ,वह भी इस बीमारी की चपेट में आ सकता है। इसे ‘नैश सिरोसिस’ यानी नॉन एल्कोहलिक सिएटो हेपेटाइटिस से जाना जाता है। ”
उन्होंने कहा कि सिरोसिस का अंतिम उपचार लिवर प्रत्यारोपण है। इसकी सफलता का दर करीब 75 प्रतिशत है जिसे अच्छा माना जाता है। परिवार के किसी भी सदस्य के जिगर का छोटा-सा हिस्सा लेकर मरीज के लिवर में प्रत्यारोपित किया जाता है। डोनर को किसी तरह का कोई खतरा लगभग नहीं के बाराबर है।
इस रोग की चपेट में आने से सूजन के कारण बड़े पैमाने पर लिवर की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और उनकी जगह फाइबर तंतु ले लेते हैं। इसके अलावा लिवर की बनावट भी असामान्य हो जाती है और इससे ‘पोर्टल हाइपरटेंशन’ की स्थिति पैदा हो जाती है। शराब का अत्यधिक मात्रा में सेवन के अलावा हेपेटाइटिस बी और वायरल -सी का संक्रमण होने पर भी इस बीमारी का हमला हो सकता है। इस दौरान रुधिर में लौह तत्व की मात्रा का बढ़ जाती है और लिवर में वसा जमा हो जाने से यह धीरे-धीरे नष्ट होने लगता है। इसके साथ ही मोटापा और मधुमेह इस बीमारी के प्रमुख कारण हैं।
लिवर सिरोसिस में पेट में एक द्रव्य बन जाता है और यह स्थिति रक्त और द्रव्य में प्रोटीन और एल्बुमिन का स्तर बने रहने की वजह से निर्मित होती है। लिवर के बढ़ने से पेट मोटा हाे जाता है और इसमें दर्द भी शुरू हो जाता है।
सिरोसिस में लिवर से संबंधित कई समस्याओं के लक्षण एक साथ देखने को मिलते हैं।
सिरोसिस के लक्षण तीन स्तर पर सामने आते हैं। शुरूआती स्तर में व्यक्ति को अनावश्यक थकावट महसूस होती है। साथ ही, उसका वजन भी बेवजह काम कम हाेने लगता । इसके अलावा पाचन संबंधी समस्याएं सामने आती हैं। इस बीमारी के दूसरे चरण में व्यक्ति काे अचानक चक्कर आने लगता है और उल्टियां होने लगती हैं। उसे भूख नहीं लगती है और बुखार जैसे लक्षण होते हैं।
तीसरी एवं अंतिम अवस्था में मरीज को उल्टियों के साथ खून आता है और वह बेहोश हो जाता है। इस बीमारी में दवाओं का कोई असर नहीं होता। प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपचार है।
लिवर के रोगग्रस्त हाेने के मुख्य लक्ष्ण त्वचा की रंगत का गायब होना और आंखों के रंग का पीला होना है। ऐसा खून में बिलीरूबिन (एक पित्त वर्णक) का स्तर अधिक होने से हाेता है जिसकी वजह से शरीर से व्यर्थ पदार्थ बाहर नहीं निकल पाता है।attacknews.in