नयी दिल्ली 30 अक्तूबर । आम आदमी पार्टी (आप) की आगामी दो नवबंर को प्रस्तावित राष्ट्रीय परिषद की पांचवी बैठक के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास और विधायक अमानतुल्ला खान के बीच आपसी विवाद के कारण हंगामेदार रहने के पूरे आसार हैं।
आधिकारिक तौर पर बैठक के एजेंडे में हालांकि यह मुद्दा शामिल नहीं किया गया है लेकिन पार्टी में विश्वास का भविष्य दांव पर होने के कारण दोनों पक्ष इस मुद्दे को उठाने की भरपूर कोशिश करेंगे। पार्टी की ओर से आज जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक राष्ट्रीय परिषद की बैठक का एजेंडा पार्टी के सांगठनिक ढांचे को राज्यों में मज़बूत करने पर विचार कर आप के ‘मिशन विस्तार’ की रूपरेखा तय करना है। इसके अलावा देश में राष्ट्रीय परिदृश्य के वर्तमान मुद्दों पर भी मंथन किया जाएगा।
राष्ट्रीय परिषद की यह पहली बैठक है जिसमें विश्वास को वक्ताओं की सूची में शामिल नहीं किया गया है। सूत्रों के मुताबिक अब तक की बैठकों का संचालन करते रहे विश्वास के बजाय इस बार बैठक का संचालन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया करेंगे। पार्टी प्रवक्ता संजय सिंह देश के आर्थिक परिदृश्य पर और आशुतोष पार्टी कार्यकतार्ओं और जनता के बीच संवाद मजबूत करने के मुद्दे पर बोलेंगे। बैठक के अंत में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल समापन भाषण देंगे। विश्वास को बोलने का मौका नहीं देने के बारे में आप नेताओं की ओर से कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गयी।
विश्वास ने बैठक में शामिल होने का आमंत्रण मिलने की पुष्टि करते हुये बताया कि वह बैठक में शामिल होंगे और अगर उन्हें मौका मिला तो वह अपना पक्ष भी रखेंगे। विश्वास के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के आरोप में अमानतुल्ला का निलंबन पार्टी द्वारा आज वापस लेने के बाद एक बार फिर आप में टूट का मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है।
इस साल मई में अमानतुल्ला खान ने विश्वास को भाजपा का एजेंट बताते हुये उनके खिलाफ जमकर प्रहार किया था। आप की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) ने विश्वास के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में अमानतुल्ला की पार्टी सदस्यता निलंबित करते हुये आरोपों की जांच के लिये तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। सूत्रों के मुताबिक समिति ने दो दिन पहले मामले की जांच कर अमानतुल्ला का निलंबन रद्द करने की पीएसी को सिफारिश की थी।
विश्वास ने ओखला से आप विधायक अमानतुल्ला का निलंबन वापस लेने पर इतना ही कहा कि खान सिर्फ एक मामूली मुखौटा हैं। परोक्ष रूप से उन्होंने माना कि यह प्रपंच अगले साल जनवरी में खाली हो रही दिल्ली की तीन राज्यसभा सीटों के लिये रचा गया है।
विश्वास ने कहा ‘‘मैंने मई में भी कहा था और आज भी कह रहा हूं कि लोजपा से आया सांप्रदायिकता के आरोपों में अपराधबद्ध एक विधायक मेरा मुद्दा ही नहीं हैं, वह एक मुखौटा हैं। उसके पीछे उन आत्मप्रवंचित लोगों का समूह है जिसे इस तरह की राजनीतिक ‘हत्यायें’ करने की आदत है। चाहे सुभाष वारे हों, मयंक गांधी, धर्मवीर गांधी, प्रशांत भूषण या फिर योगेन्द्र यादव हों।’’