गंगोत्री/उत्तरकाशी/देहरादून/अजमेर 26 अप्रैल । उत्तराखंड में स्थित पवित्र पावनी मां गंगा और यमुना के उद्गम स्थलों के सामीप्य मंदिरों को वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य ग्रीष्मकालीन दर्शनों के लिये खोल दिया गया। गंगोत्री में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से की गई।
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के कारण लागू राष्ट्रव्यापी पूर्णबन्दी के समस्त नियमों का अनुपालन करते हुए रविवार को गंगोत्री धाम के कपाट गंगा पूजन, गंगा सहस्त्रनाम पाठ एवं विशेष पूजा अर्चना के बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ रोहिणी अमृत योग की शुभ बेला पर आज दोपहर 12:35 बजे खोल दिए गए। कपाटोद्घाटन के दौरान सामाजिक दूरी का पूर्ण रूप से पालन किया गया तथा सभी ने मास्क पहने हुये थे।
ग्याहरवें ज्योतिर्लिंग बाबा केदार की डोली केदारनाथ रवाना
रुद्रप्रयाग/देहरादूनसे से खबर है कि उतराखंड स्थित भगवान शिव के ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग के रूप में विख्यात बाबा केदारनाथ की चल विग्रह पंचमुखी उत्सव डोली शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से केदार धाम के लिए रविवार अक्षय तृतीया के पवित्र मुहुर्त में प्रस्थान हुई।
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ से रोकथाम के मद्देनजर राष्ट्रव्यापी पूर्णबंदी के दौरान सामाजिक दूरी का पालन करते हुए डाेली को एक वाहन में रखकर ले जाया गया।
डोली का आज पहली रात्रि गौरामाई मंदिर गौरीकुण्ड, सोमवार को द्वितीय रात्रि प्रवास भीमबली तथा 28 अप्रैल मंगलवार को केदारनाथ में रात्रि प्रवास होगा। जहां बुधवार 29 अप्रैल को सुबह छह बजकर 10 मिनट पर मेष लग्न में वैदिक मंत्रों के साथ बाबा केदारनाथ मंदिर के कपाट ग्रीष्मकालीन दर्शनों के लिये खोले जाएंगे।
पुष्कर में अक्ष्यतृृतीया पर भगवान बद्रीनाथ के कपाट खोले
इधर राजस्थान में अजमेर के पुष्कर में अक्ष्य तृतीया के अवसर पर धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करने के चलते लॉकडाउन की सख्त पालना के बीच भगवान बद्री विशाल मंदिर के कपाट खोले गए और सादगी के साथ ब्रह्म मुहूर्त में मंगल आरती की गई।
मंदिर के पुजारी पंडित विजय स्वरूप महर्षि ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान बद्रीनाथ के कपाट खोले जाने की परंपरा है और इसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है लेकिन महामारी के चलते आज पुष्कर में इसे बहुत ही सादगी के साथ मनाया गया। इस अवसर पर आरती के दौरान दुनिया-देश को कोरोना मुक्ति के लिए तथा मानवता में सुख शांति, समृद्धि पुनः आए इसके लिए प्रार्थना की गई।