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राहुल गांधी

कर्नाटक के बाद क्षेत्रीय दलों ने महागठबंधन बनाने की ठानी लेकिन राहुल गांधी का नेतृत्व स्वीकार नहीं Attack News

नयी दिल्ली , 20 मई। कर्नाटक चुनाव में भाजपा को पछाड़ने में कांग्रेस – जद (एस) गठजोड़ की सफलता ने विपक्षी एकजुटता के लिए एक शुभ संकेत दिया है। वहीं , इस दक्षिणी राज्य में खुद से छोटी पार्टी का समर्थन करने के फैसले को लेकर क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस की सराहना की है।

कर्नाटक में भाजपा की बीएस येदियुरप्पा सरकार गिरने के तुरंत बाद विभिन्न क्षेत्रीय दलों के बधाई संदेश आने लगे थे। राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल करने के लिए आवश्यक संख्या बल नहीं जुटा पाने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस तरह , राज्य में जद (एस) – कांग्रेस सरकार का मार्ग प्रशस्त हुआ।

राज्य में गठजोड़ का नेतृत्व करने के लिए जद (एस) को समर्थन देने के कांग्रेस के फैसले की कई नेताओं ने सराहना की। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस की भूमिका को सूझ बूझ भरा बताया।

पवार ने भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को बधाई दी जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उन नेताओं में प्रथम थी , जिन्होंने इस घटनाक्रम को क्षेत्रीय मोर्चे की जीत बताया और अपने संदेश में राहुल का जिक्र नहीं किया।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता ने कहा था , ‘‘ लोकतंत्र की जीत हुई। बधाई हो कर्नाटक। देवगौड़ा जी , कुमारस्वामी जी , कांग्रेस और अन्य को बधाई। क्षेत्रीय मोर्चे की जीत हुई। ’’

इसका मतलब साफ है कि कुछ क्षेत्रीय नेता विपक्ष का एक बड़ा मोर्चा बनाने में कांग्रेस को नेतृत्व करने की इजाजत नहीं देंगे।

विपक्ष के एक नेता को लगता है कि भाजपा और आरएसएस को बाहर रखने के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एक महागठबंधन बनाने में कांग्रेस को कहीं अधिक अहम भूमिका निभाने की जरूरत है। वहीं , भाकपा के वरिष्ठ नेता डी राजा ने कहा कि मोर्चे का नेतृत्व कौन करेगा , इसका विकल्प खुला रखना चाहिए।

राहुल ने कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान खुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बता कर कुछ विपक्षी नेताओं को असहज स्थिति में डाल दिया।

हालांकि , राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा , इस विषय पर अंत में चर्चा की जानी चाहिए। पूरा जोर भाजपा को शिकस्त देने पर होना चाहिए।

कर्नाटक प्रकरण से स्पष्ट है कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को खुश रखने की जरूरत समझती है। यह बात इससे जाहिर होती है कि वह खुद से कम सीटें पाने वाली पार्टी जद (एस) द्वारा कर्नाटक में सरकार का नेतृत्व किए जाने पर राजी हो गई।

कर्नाटक में भाजपा की सरकार गिरने के बाद राहुल ने अपने बयान में गठजोड़ की जीत के लिए जद (से) प्रमुख देवगौड़़ा की सराहना की।

उन्होंने कहा , ‘‘ विपक्ष एकजुट होगा और भाजपा को हराने के लिए तालमेल बिठाएगा। ’’

इसके लिए कांग्रेस को ‘ एक हाथ दो , दूसरे हाथ लो ’ की नीति पर कहीं अधिक काम करने की जरूरत होगी।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा , ‘‘ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी देश का नेतृत्व करने के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं। ’’ हालांकि , इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया।

इस तरह , कर्नाटक प्रकरण विपक्षी एकजुटता की भावनात्मक अपील करता है।

दम्रुक के एमके स्टालिन और लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव से लेकर तेदेपा के एन चंद्रबाबू नायडू तक , राजद के तेजस्वी यादव और टीआरएस के चंद्रशेखर राव तक सभी क्षेत्रीय नेताओं ने भाजपा को हराने के लिए शेष ताकतों से एकजुट होने की अपील की।

स्टालिन ने कहा , ‘‘ यह धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को साथ लाने का अग्रदूत हो सकता है। ’’

कर्नाटक के तेलुगू भाषी क्षेत्रों में भाजपा को हराने के लिए काम करने वाले नायडू ने कहा , ‘‘ यह हम सभी के लिए गर्व का दिन है। ’’ अब सभी नजरें इस पर हैं कि कांग्रेस विपक्षी एकजुटता के केंद्रबिंदु में अपनी भूमिका कैसे निभाती है।

कांग्रेस ने बड़े राजनीतिक फायदे के लिए कर्नाटक में अपने हितों का बलिदान किया। हालांकि , इस कदम को राज्य में पार्टी के कमजोर होने के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा।

दरअसल , वह 2013 की अपनी 122 सीटों से घट कर 2018 में 78 पर लुढ़क गई। इसे इस रूप में भी देखा जा सकता है कि राहुल पार्टी को बहुमत दिलाने में नाकाम रहे , जबकि उन्होंने धुआंधार प्रचार किया और करीब तीन महीनों में 85 छोटी – बड़ी रैलियों को संबोधित किया।

राहुल के पिछले साल कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से यह पहला प्रादेशिक चुनाव था।

विपक्षी नेताओं ने कहा है कि कांग्रेस को आगे बढ़ने के लिए कुछ खुलापन और लचीला रूख दिखाना होगा। साथ ही , यह सुनिश्चित करना होगा कि इसने अन्य पार्टियों को भी जगह दी है।

राकांपा के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कहा कि कांग्रेस को क्षेत्रीय पार्टियों को जगह देनी चाहिए और एक साझा मंच पर सभी को एकजुट करने के लिए ‘ एक हाथ लो , दूसरे हाथ दो ’ की नीति का कहीं अधिक पालन किया जाना चाहिए।

कांग्रेस के पूर्व नेता ने कहा कि उसे एक आमराय वाली सरकार का लक्ष्य रखना चाहिए। तभी 2019 में भाजपा का मुकाबला करने के लिए एक अच्छा राष्ट्रीय गठबंधन बनेगा।

हालांकि , राकांपा नेता ने यह भी कहा कि कांग्रेस को शीर्ष पद अपने पास ही रखना चाहिए क्योंकि अतीत के अनुभवों से पता चलता है कि शीर्ष पद क्षेत्रीय पार्टियों को देना फलीभूत नहीं हुआ। एक बड़ी पार्टी को गठबंधन के केंद्र में हमेशा ही रहना चाहिए।

वहीं , भाकपा के राजा ने कर्नाटक को एक सकारात्मक घटनाक्रम बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस को यथार्थवादी और लचीला होना चाहिए।attacknews.in

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