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कर्नाटक विधानसभाध्यक्ष रमेश कुमार ने 14 और बागी विधायकों को अयोग्य करार देते हुए अपने खिलाफ लाये जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर कहा: आगे आगे देखिए होता है क्या … attacknews.in

बेंगलुरू, 28 जुलाई । कर्नाटक विधानसभाध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने रविवार को 14 और बागी विधायकों को दलबदल निरोधक कानून के तहत साल 2023 में विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने तक अयोग्य करार दिया। 

विधानसभाध्यक्ष का यह फैसला मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा द्वारा विधानसभा में बहुमत साबित करने के एक दिन पहले आया है।

विधानसभाध्यक्ष की यह कार्रवाई कांग्रेस के 11 और जद(एस) के तीन विधायकों के खिलाफ की गई है। विधानसभाध्यक्ष ने अपने फैसले की घोषणा जल्दबाजी में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में की। उनका यह फैसला कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार गिरने के बाद येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के दो दिन बाद आया है।

विधानसभाध्यक्ष की इस कार्रवाई का येदियुरप्पा सरकार के भविष्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि इन विधायकों के तत्काल प्रभाव से अयोग्य ठहराये जाने से उनकी अनुपस्थिति से सदन की प्रभावी संख्या कम हो जाएगी जिससे भाजपा के लिए आगे की राह आसान हो जाएगी।

एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार द्वारा पेश विश्वासमत पर मतविभाजन के समय 20 विधायकों के अनुपस्थित रहने से कई सप्ताह के ड्रामे के बाद उनकी सरकार गिर गई थी। इन 20 विधायकों में 17 बागी विधायक तथा एक-एक कांग्रेस और बसपा का और एक निर्दलीय था।

17 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिये जाने के बाद 224 सदस्यीय विधानसभा (विधानसभाध्यक्ष को छोड़कर जिन्हें मत बराबर होने की स्थिति में मतदान का अधिकार है) में प्रभावी संख्या 207 हो गई है। इसके साथ ही जादुई संख्या 104 रहेगी।

भाजपा के पास एक निर्दलीय विधायक के समर्थन से 106 सदस्य, कांग्रेस 66 (मनोनीत सदस्य सहित), जद(एस) 34 और एक बसपा का सदस्य जिसे विश्वासमत के दौरान कुमारस्वामी सरकार के लिए मतदान नहीं करने के लिए पार्टी द्वारा निष्कासित कर दिया गया है। 

कुमार से जब अयोग्य ठहराने के उनके विवादास्पद फैसले, जिस पर सवाल उठाये जा रहे हैं और पूरे मुद्दे पर उनके व्यवहार को लेकर आरोपों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने न्यायिक विवेक का इस्तेमाल किया…मुझे 100 प्रतिशत आघात लगा है।’’ 

विधानसभाध्यक्ष की ओर से यह फैसला अचानक ऐसे समय आया है जब भाजपा की ओर से यह संकेत दिया गया कि स्वेच्छा से पद नहीं छोड़ने पर वह उनके खिलाफ सोमवार को विधानसभा की बैठक के दौरान अविश्चास प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। 

कुमार ने कहा कि वह यह कार्रवाई उन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली कांग्रेस और जदएस की अर्जियों पर कर रहे हैं जिन्होंने विधानसभा सदस्य के तौर पर अपने इस्तीफे सौंप दिये थे और जो एच डी कुमारस्वामी द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर मतविभाजन के दौरान मौजूद नहीं थे। उसके कारण कुमारस्वामी सरकार गिर गई थी।

कुमार ने कहा कि उन्होंने बागी विधायकों के उस अनुरोध को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने अपने इस्तीफों और उनके खिलाफ अयोग्य ठहराने की अर्जियों को लेकर उनके समक्ष पेश होने के लिए और चार सप्ताह का समय मांगा था 

विधानसभाध्यक्ष ने इससे पहले बागी तीन विधायकों को अयोग्य ठहराने के समय ही स्पष्ट कर दिया था कि दलबदल निरोधक कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया कोई भी सदस्य वर्तमान सदन के कार्यकाल की समाप्ति तक चुनाव नहीं लड़ सकता। इस दलील को भाजपा, बागी विधायकों और कई अन्य विधिक विशेषज्ञों ने चुनौती दी है।


विधानसभाध्यक्ष ने इन विधायकों के नाम पढ़ते हुए कहा, ‘‘ये तत्काल प्रभाव से 15वीं विधानसभा के कार्यकाल की समाप्ति (2023 में) तक विधायक नहीं रहेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने यह निर्णय जिम्मेदारी और भय के साथ लिया है।’’ 

कुमार ने भावुक होते हुए कहा, ‘‘जिस तरह से एक विधानसभाध्यक्ष के तौर पर इन चीजों से निपटने को लेकर मुझ पर मानसिक दबाव डाला जा रहा है, मैं भारी अवसाद में चला गया हूं।’’ 

अयोग्य ठहराये गए विधायक हैं: प्रताप गौड़ा पाटिल, बी सी पाटिल, शिवराम हेब्बर, एस टी सोमशेखर, बी बसावराज, आनंद सिंह, रोशन बेग, मुनीरत्ना, के सुधाकर और एम टी बी नागराज और श्रीमंत पाटिल (सभी कांग्रेस के)।

अन्य पार्टी विधायकों रमेश जरकीहोली, महेश कुमातली और शंकर को बृहस्पतिवार को अयोग्य ठहरा दिया गया था।

कार्रवाई का सामना करने वाले जद(एस) के विधायकों में गोपालैयाह, ए एच विश्वनाथ और नारायण गौड़ा हैं।

भाजपा ने विधानसभाध्यक्ष की कार्रवाई की आलोचना की और इसे ‘‘अनुचित और कानून के खिलाफ बताया।’’ उसने कहा कि यह कार्रवाई एक पार्टी की ओर से ‘‘बढ़ते दबाव के चलते की गई है।’’ 

भाजपा के वरिष्ठ नेता गोविंद करजोल ने कहा, ‘‘यह प्रेरित और दोषपूर्ण आदेश है।’’ उन्होंने कहा कि बागी इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे जहां से उन्हें ‘‘न्याय मिलना’’ तय है।

करजोल ने कहा कि विधायकों ने खुद ही पद छोड़ा था और उनके इस्तीफे स्वीकार किये जाने चाहिए।

कर्नाटक कांग्रेस ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के विधानसभाध्यक्ष के फैसले का स्वागत किया।

पार्टी ने ट्वीट किया,‘‘जनता की अदालत भी इन विधायकों को उचित सजा देगी जिन्होंने गठबंधन सरकार गिराने के लिए भाजपा से हाथ मिलाकर अपनी पार्टियों और जनता को धोखा दिया।’’ 

कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने एक ट्वीट में विधानसभाध्यक्ष के फैसले को ‘‘लोकतंत्र की जीत’’ बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह निर्णय स्वार्थी इरादों और सत्ता के लालच के लिए जनादेश की अवहेलना करके खुद को बेचने की क्षुद्र संस्कृति को समाप्त कर देगा।’’ 

जद(एस) ने भी विधानसभाध्यक्ष के निर्णय का स्वागत करते हुए ट्वीट करके कहा, ‘‘सत्ता और धन के प्रलोभन में आकर जनादेश और पार्टी व्हिप का अवहेलना करने वाले विधायकों को अयोग्य ठहराकर विधानसभाध्यक्ष ने उन्हें एक कड़ा संदेश दिया है जिन्होंने लोकतंत्र को उखाड़ने का प्रयास किया।’’ 

विधानसभाध्यक्ष ने सत्र से एक दिन पहले अपने आदेश को जल्दबाजी में सुनाने को उचित ठहराते हुए कहा कि उन्हें ऐसा सोमवार को विधानसभा की बैठक के मद्देनजर करना था जिसका ‘‘विशिष्ट एजेंडा’’ विश्वास प्रस्ताव को लेना और महत्वपूर्ण विनियोग विधेकय पारित करना है।

भाजपा द्वारा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘आने दीजिये। आप देखेंगे कि मैं कैसे व्यवहार करता हूं। मैं अध्यक्ष के आसन पर रहूंगा…अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूंगा..देखते हैं कि क्या होता है।’’ 

उन्होंने कहा कि उन्हें बसपा के निष्कासित विधायक महेश के खिलाफ भी शिकायत मिली है जिन्होंने मंगलवार को विश्वासमत प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया था और कुमारस्वामी सरकार के पक्ष में मतदान करने के पार्टी के निर्देश की अवहेलना की थी।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली एक पीठ ने गत बुधवार को विधानसभाध्यक्ष को 15 विधायकों के इस्तीफे पर अपने विवेक के अनुसार समयसीमा में निर्णय करने की स्वतंत्रता दी थी। 

पीठ ने यह भी फैसला दिया था कि बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

कांग्रेस और जद(एस) ने बागी विधायकों को दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराने की मांग की थी। ये विधायक मंगलवार को विश्वास प्रस्ताव पर मतविभाजन के दौरान सदन में अनुपस्थित रहे थे।

76 वर्षीय येदियुरप्पा को शुक्रवार को चौथी बार मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलायी गई। उन्होंने शपथ लेने के बाद कहा कि वह 29 जुलाई को सदन में अपना बहुमत साबित करेंगे।

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