बेंगलुरु, 10 मई । कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए आरोप-प्रत्यारोप और आक्षेप से भरा प्रचार अभियान आज समाप्त हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित भाजपा एवं कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए आज आखिरी दिन पूरा प्रयास किया।
इस प्रचार अभियान के दौरान भ्रष्टाचार से लेकर संप्रदायवाद, राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की 70 लाख रुपये की हबलॉट घड़ी से लेकर संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा तक उठा।
केंद्र की सत्ता में आने के बाद से सभी राज्यों में हुए चुनाव की तरह ही कर्नाटक में भी मोदी ने भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान की बागडोर स्वयं संभाली जबकि भाजपा बी एस येदियुरप्पा को अपने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। वहीं राहुल गांधी ने कांग्रेस के चुनाव प्रचार की कमान संभाली।
हालांकि फरवरी में एक जनसभा को संबोधित करने के बाद मोदी लंबे समय तक चुनावी परिदृश्य से बाहर रहे लेकिन उन्होंने इस अहम दक्षिणी राज्य में जीत के इरादे से एक मई को धमाकेदार शुरुआत करते हुए कई रैलियों को संबोधित किया।
चुनाव प्रचार के दौरान मोदी जब कर्नाटक में रहे तो हर दिन कम से कम तीन रैलियों को संबोधित किया या ‘नमो ऐप्प’ के माध्यम से भाजपा के विभिन्न अग्रिम संगठनों के कार्यकर्ताओं से बात की।
प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एसडीपीआई द्वारा आरएसएस और भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या किये जाने का मुद्दा उठाया। एसडीपीआई पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया द्वारा शुरू की गई एक कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी है।
शाह ने दावा किया कि कांग्रेस द्वारा चुनाव मैदान में उतारे गए दो उम्मीदवार वास्तव में एसडीपीआई के सदस्य हैं।
मोदी ने अपने प्रचार अभियान के पहले दिन एक चुनावी रैली में सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाया और कांग्रेस अध्यक्ष को चुनौती दी कि वह 15 मिनट तक किसी भी भाषा में कर्नाटक सरकार की उपलब्धियों के बारे में बोलें।
राहुल गांधी ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में पलटवार किया और कहा, ‘‘मेरी मां एक इतालवी हैं। वह अपने जीवन के अधिकतर समय भारत में रहीं। मैंने जो भारतीय देखे हैं, वह उनसे कहीं अधिक भारतीय हैं।’attacknews.in