भोपाल, 24 जुलाई । कर्नाटक के राजनीतिक घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में आज मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव की टिप्पणी के लगभग चार घंटे बाद शाम को एक विधेयक पारित कराने के दौरान हुए मत विभाजन के दौरान विधेयक के पक्ष में 122 और विपक्ष में शून्य मत पड़े।
इसके साथ ही सरकार ने परोक्ष रूप से अपना बहुमत साबित कर दिया। सरकार को समर्थन दे रहे बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों की मांग पर हुए इस मत विभाजन का विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने पुरजोर विरोध किया।
मत विभाजन के बाद अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने सदन को मत विभाजन की स्थिति से अवगत कराया। इसके तत्काल बाद संसदीय कार्य मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने दावा करते हुए कहा कि मत विभाजन के दौरान विपक्षी दल भाजपा के दो सदस्यों ने भी पक्ष में मतदान किया है।
वहीं विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने तत्काल प्रत्युत्तर कहा कि कुछ सदस्यों ने एक से अधिक बार हस्ताक्षर किए हैं, इसलिए इनका सत्यापन होना चाहिए।
इसी बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अध्यक्ष की ओर मुखातिब होते हुए तत्काल कहा कि सत्यापन की प्रक्रिया भी फौरन करा ली जाए जिससे स्थिति साफ हो जाएगी और ज्यादा वक्त भी नहीं लगेगा। हालांकि इस पर विपक्ष की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
वहीं अध्यक्ष श्री प्रजापति ने सरकार की ओर से प्राप्त प्रस्ताव के अनुरूप सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी और मानसून सत्र संपन्न हो गया।
विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही आठ जुलाई से शुरु हुई थी। निर्धारित तारीख 26 जुलाई से दो दिन पहले सत्र संपन्न हो गया।
230 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में कांग्रेस के 114, भाजपा के 108, बहुजन समाज पार्टी के दो, समाजवादी पार्टी का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। कांग्रेस को सपा, बसपा और निर्दलीयों का समर्थन प्राप्त है।
साबित हुआ, मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार बहुमत की : कमलनाथ
मध्यप्रदेश विधानसभा में एक विधेयक पर मत विभाजन के दौरान विधेयक के पक्ष में 122 मत पड़ने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि आज साबित हो गया कि राज्य की कांग्रेस सरकार बहुमत की सरकार है।
विधेयक पर मत विभाजन के दौरान भारतीय जनता पार्टी के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने भी सरकार के पक्ष में मत दिया। मत विभाजन के फौरन बाद मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के साथ मौजूद दोनों विधायकों ने कहा कि ये एक प्रकार से उनकी घर वापसी है।
सदन में घटित घटनाक्रम के तत्काल बाद श्री कमलनाथ ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से कहा कि सरकार को एक दफा बहुमत और साबित करना था। आज दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। मतदान केवल एक विधेयक पर नहीं, बहुमत साबित करने का था। इस मतदान में भाजपा के दो सदस्यों ने भी कांग्रेस का साथ दिया है, जिन्होंने आत्मा की आवाज को सुना। विधेयक के पक्ष में 122 मत मिलना साबित करता है कि कांग्रेस बहुमत की सरकार है।
“मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें बहुमत की सरकार साबित करनी थी। भारतीय जनता पार्टी महीनों से जो झूठा प्रचार कर रही थी, वाे उजागर हो गया। उन्होंने कहा कि सरकार को अब बसपा के दो, चार निर्दलीय, एक सपा और दो भाजपा वाले विधायकों का समर्थन हासिल है।
कमलनाध ने कहा: आज ही अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए:
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्य विपक्षी दल भाजपा को चुनौती देते हुए विधानसभा में बुधवार को कहा कि यदि आपको मेरी सरकार की स्थिरता पर कोई शक है तो आज ही सदन में मेरी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएं। यह बात उन्होंने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव द्वारा उनकी सरकार भाजपा के दो शीर्ष नेताओं के आदेश पर 24 घंटे के अंदर गिराने की दी गई धमकी पर कही।
इसके अलावा, कमलनाथ ने कहा कि हमारे विधायक बिकाऊ नहीं हैं और मेरी सरकार पूरे पांच साल दम से चलेगी।
कांग्रेस विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, कुणाल चौधरी और विनय सक्सेना द्वारा प्रदेश सरकार के हवाई जहाज एवं हेलीकाप्टर पर लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सदन में कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा था कि यदि ऊपर से हमारे नंबर एक एवं नंबर दो नेताओं (स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर संकेत करते हुए) का आदेश हुआ तो कमलनाथ की सरकार 24 घंटे नहीं चलेगी।
इसके जवाब में कमलनाथ ने कहा कि यदि इन्हें (भाजपा नेताओं) कुछ शक हो तो आज ही मेरी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कर लें।
इस पर बसपा विधायक रामबाई सिंह ने कहा कि कमलनाथ की सरकार अंगद के पांव की तरह है। चाहे ऊपर का या और ऊपर का आदेश आये, इसे कोई नहीं हिला सकता।
इससे पहले, विपक्षी दल भाजपा द्वारा बार-बार उनकी सरकार कभी भी गिर जाने के तंज से व्यथित होकर कमलनाथ ने कहा कि शुरू से भाजपा नेता कह रहे हैं कि मेरी सरकार गिर रही है। मैं स्पष्ट कर दूं कि हमारे विधायक बिकाऊ नहीं है।
उन्होंने सत्तापक्ष के सदस्यों की मेजों की थपथपाहट के बीच आगे कहा कि हमारी सरकार पूरे पांच साल चलेगी और दम से चलेगी। मध्य प्रदेश का एक नया इतिहास बना कर रहेगी। प्रदेश के विकास का एक ऐसा नक्शा बनेगा जो हर वर्ग की खुशहाली का होगा।
मुख्यमंत्री ने विपक्षी दल भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि जब आप रोज ढोलकी बजाते रहेंगे कि अल्पमत की सरकार है, तो एक बार हो जाए। विपक्ष चाहे तो वह कभी भी सरकार का बहुमत परीक्षण कर ले। हम आज ही इसके लिए तैयार हैं।
कमलनाथ ने कहा, ‘‘मैंने अपने राजनीतिक जीवन में स्वच्छता को सर्वोच्चता में रखा है और इसका उदाहरण पेश किया। उन्होंने कहा कि 45 साल के राजनीतिक जीवन में उन पर आज तक कोई उंगली नहीं उठा पाया, न ही कोई आरोप लगा पाया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं 40 साल सांसद रहा और केन्द्र में कई विभागों का मंत्री रहा। मेरा हमेशा प्रयास रहा कि मेरा राजनीतिक जीवन स्वच्छता का एक उदाहरण बने। मंत्री के रूप में लोगों के हितों और मध्यप्रदेश के हितों का सदैव मैंने संरक्षण किया।’’
कमलनाथ ने कहा, ‘‘मुझे बड़ी वेदना और दु:ख हुआ जब प्रदेश सरकार के हवाई जहाज बेचने के निर्णय को लेकर मुझ पर सवाल उठाए गए। उन्होंने कहा कि हवाई जहाज एवं हेलीकाप्टर बेचने का फैसला मेरा नहीं था। यह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सरकार का था। उनकी कैबिनेट ने इसका निर्णय लिया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्वच्छता की राजनीति करता हूँ।’’
कमलनाथ ने कहा, ‘‘पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आदत होगी आरोपों की, लेकिन मुझे अपने राजनीतिक जीवन में आरोपों का कोई अनुभव नहीं है। क्योंकि मैंने कोई भी ऐसा काम नहीं किया जिससे कि लोग मुझसे सवाल करें। इसलिए कोई मुझ पर आरोप लगाता है तो तकलीफ होना स्वाभाविक है।’’
शोभा ओझा ने कहा: मंसूबे सफल नहीं होंगे-
मध्यप्रदेश कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की कांग्रेस सरकार को गिराने को लेकर की गयी टिप्पणी पर आज पलटवार करते हुए कहा कि मत विभाजन से स्पष्ट है कि वह अपने सरकार गिराने के मंसूबे पर सफल नहीं हो सकते हैं।
श्रीमती ओझा ने यहां जारी बयान में कहा कि लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई गैर भाजपाई प्रदेश सरकारों को गिराने की निंदनीय कोशिशें की जा रही हैं, किंतु मध्यप्रदेश में इन फासिस्टवादी ताकतों के मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे, यह बात आज विधानसभा में ‘दंड विधि संशोधन विधेयक’ पारित कराने के दौरान हुए मत-विभाजन से साफ हो गयी है, कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस का किला पूरी तरह से अभेद्य है।
श्रीमती ओझा ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने, नेता प्रतिपक्ष श्री भार्गव की इस बात को चुनौती के रूप में लेते हुए, आज ही विधानसभा में भाजपा को मत-विभाजन कराने की चुनौती दे डाली और संयोग से ‘दंड विधि संशोधन विधेयक’ को पारित कराने के दौरान हुए मत विभाजन में कांग्रेस के पक्ष में गिरे 122 मतों से साफ सिद्ध हो गया है कि प्रदेश में कांग्रेस का गढ़ पूरी तरह से मजबूत है और भाजपा का किला ही ढहने की कगार पर आ गया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा को अब यह साफ समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस सरकार को गिराने के उसके मंसूबे, केवल ख्याली पुलाव मात्र हैं, और ये कभी हकीकत में नहीं बदल सकते। बेहतर होगा कि भाजपा स्वप्नलोक से निकलकर हकीकत के धरातल पर आए, और अपनी करारी हार के सदमे से उबर कर, प्रदेश के विकास में कांग्रेस के साथ सहभागी बनते हुए, सकारात्मक विपक्ष की भूमिका का निर्वाह करे।
कर्नाटक के बाद घबराई हुई है मध्यप्रदेश सरकार, अंतर्विरोधों से गिरेगी : शिवराज
मत विभाजन में विधेयक के पक्ष में 122 मत पड़ने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया कि कर्नाटक के घटनाक्रम के बाद सरकार डर गई है और ये सरकार अपने अंतर्विरोधों के चलते ही गिरेगी।
विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से चर्चा के दौरान श्री चौहान ने कहा कि सरकार ने एक ऐसे विधेयक पर मत विभाजन कराया, जिसका सब समर्थन कर रहे थे। सरकार जब डरी हुई होती है ताे कदम कदम पर वो ऐसी कोशिश करती है।attacknews.in