नयी दिल्ली 26 अप्रेल। मध्यप्रदेश चुनाव से कुछ महीनों पहले एक बड़ा निर्णय लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है।
इस नियुक्ति में दिग्विजय सिंह की बड़ी भूमिका है. वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव प्रचार का प्रमुख बनाया गया है. बाला बच्चन, रामनिवास रावत, सुरेंद्र चौधरी व जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।
प्रदेश के प्रभारी महासचिव अशोक गहलौत ने आज इस संबंध में एक पत्र जारी कर मीडिया को जानकारी दी है।
29 अप्रैल को जनाक्रोश रैली के पहले पार्टी ने यह फैसला लेकर पार्टी ने संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने का संकेत दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का यह फैसला तुरंत प्रभाव से लागू हो गया।
पार्टी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का कार्यकाल इसके साथ ही समाप्त हो गया. पार्टी ने अपने पत्र में अरुण यादव के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में किये गये कामकाज की तारीफ की है।
सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनवाने में दिग्विजय सिंह की बड़ी भूमिका रही है. दिग्विजय सिंह की सिंधिया से अदावत रही है और उन्होंने राहुल गांधी के सामने एक तरह से ज्योतिरादित्य को अध्यक्ष बनाने पर वीटो कर दिया था.
सूत्रों के अनुसार, दिग्विजय सिंह ने राहुल गांधी को सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने को कहा था, हालांकि प्रदेश अध्यक्ष के सवाल पर उन्होंने संकेतों में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास अभी समय होने की बात कह कर कमलनाथ का नाम आगे बढ़ा दिया.
ध्यान रहे कि पिछली बार भी ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के चुनाव कैंपन कमेटी के चीफ थे और अघोषित रूप से मुख्यमंत्री पद के चेहरे माने जा रहे थे.
क्या कारण रहे जो कमलनाथ को सौंपी कमान
मध्य प्रदेश में इस साल अक्टूबर-नंबवर में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी रणनीति पर काम करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीनियर नेता कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस कमिटी (PCC) का अध्यक्ष बनाया है.
कांग्रेस ने राज्य में चार कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए गए हैं. लेकिन, सबसे ज्यादा चर्चा बतौर पीसीसी चेयरमैन छिंदवाड़ा से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ की ताजपोशी की हो रही है.
आखिर ऐसी क्या वजह रही कि कांग्रेस ने चुनाव के मद्देनजर मध्य प्रदेश की कमान कमलनाथ जैसे बुजुर्ग नेता के हाथ में दी।
कांग्रेस आलाकमान ने मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की जिम्मेदारी सीनियर नेता कमलनाथ को सौंपी है. इसके बाद कुछ कांग्रेस नेताओं का लग रहा है कि ‘टीम राहुल’ में उनकी कोई जगह नहीं है. इसे लेकर इन नेताओं ने पार्टी आलाकमान के सामने अपनी नाराजगी भी जाहिर की है. ये नेता प्रदेश कांग्रेस कमेटी में अपनी वाजिब भूमिका के लिए लड़ भी रहे हैं.
प्रदेश कांग्रेस में अपनी जिम्मेदारियों और भूमिका को लेकर ग्वालियर के युवा ‘महाराज’ और उनके 71 वर्षीय प्रतिद्वंद्वी दिग्विजय सिंह के बीच ‘जुबानी जंग’ जारी है. पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी इन दोनों के बीच सुलह कराने की कोशिश में जुटे हैं. बेशक इसका मतलब ओबीसी-वर्चस्व वाले राज्य में पंजाबी बनिया के साथ जाना ही क्यों न हो।
जातीय समीकरण की कम जानकारी भी कमलनाथ की नियुक्ति को लेकर दिक्कतें पैदा कर सकती हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा वरिष्ठ सांसद के रूप में कमलनाथ संसदीय पार्टी का नेता बनाया जाना चाहिए था. लेकिन, पार्टी हाईकमान ने उनके बजाय दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पर भरोसा जताया. मध्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी (MPCC) के पूर्व चेयरमैन और ओबीसी नेता अरुण यादव को भी इसी सोच के साथ रिप्लेस किया गया।
अमीर और राजनीति में कुशल कमलनाथ ने 1980 से छिंदवाड़ा सीट बरकरार रखी है. उन्हें 1970 के दशक में संजय गांधी ने कांग्रेस में शामिल किया था. तब से लेकर अब तक वो कांग्रेस के वफादार रहे हैं. यहां तक कि युवा फायर ब्रांड नेता प्रह्लाद पटेल भी 2004 में मोदी लहर के बीच उन्हें हराने में नाकाम रहे थे. कमलनाथ की जीत में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) का भी सहयोग रहा है.
1996 में जैन हवाला केस में नाम आने के बाद कांग्रेस ने कमलनाथ को पार्टी का टिकट नहीं दिया था. ऐसे में कमलनाथ ने पार्टी आलाकमान को चेतावनी दी कि उनके बदले में उनकी पत्नी अल्का को टिकट दिया जाए, नहीं तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. आखिरकार पार्टी ने अल्का को टिकट दिया. चुनाव में उन्होंने जीत भी हासिल की. लेकिन, इसके एक साल बाद ही उन्हें बीजेपी नेता और पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा से हार का सामना करना पड़ा।
निर्वाचन क्षेत्र-स्तर पर कमलनाथ की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कमलनाथ 9 बार सांसद का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. दिल्ली में उनका दफ्तर 24X7 घंटे खुला रहता है. कमलनाथ पहले ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने अपने चुनावी कैंपेन में हेलिकॉप्टर और सैटेलाइट फोन्स का इस्तेमाल किया था.
कमलनाथ में कितना है दम
मध्य प्रदेश की कांग्रेस इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद कमलनाथ ने कहा कि वह आपसी तालमेल से भारतीय जनता पार्टी BJP और गैर धर्मनिरपेक्ष ताकतों की हार सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे।
अध्यक्ष बनाए जाने के बाद कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, “प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जो जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई है उसके लिए मैं प्रतिबद्धता, साहस और आपसी तालमेल के साथ भाजपा और गैर-धर्मनिरपेक्ष ताकतों की हार सुनिश्चित करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगा।”attacknews.in