इंदौर, 16 जनवरी ।मध्यप्रदेश के इंदौर के ‘रियल स्टेट कारोबारी समूह’ पर पड़े आयकर छापों में 180 से 200 करोड़ से ज्यादा की अघोषित आय सामने आ चुकी है।
आयकर विभाग के सूत्रों ने बताया एक समूह के एक दर्जन से ज्यादा ठिकानों से मिले दस्तावेजों और डेटा को खंगाला जा रहा हैं। बीते चार दिनों से जारी कार्रवाई में अब तक 180 करोड़ से ज्यादा की अघोषित आय सामने आ चुकी हैं। कर अपवंचन की राशि गणना जारी हैं।
प्रारम्भिक जांच में वित्तीय लेनदेन के संबंध मिली जानकारी के बाद तीन सौ से ज्यादा लोगों के संदिग्ध वित्तीय व्यवहार को चिन्हित किया गया है। आयकर विभाग इन लोगों से भी पूछताछ की तैयारी कर रहा हैं।
छापे के दौरान अघोषित आय के रूप में सामने आए कालेधन को बेनामी कंपनियां बनाकर सफेदधन में तब्दील किये जाने की जानकारी भी सामने आई हैं। इसी के मद्देनजर आयकर विभाग अब अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों से भी डेटा साझा करने के संकेत दे रहा हैं। फिलहाल जांच का काम जारी है।
वेयर हाउसिंग कंपनी JRG ग्रुप पर आयकर विभाग की इन्वेस्टिगेशन विंग इंदौर की कार्रवाई शुक्रवार शाम खत्म हुई. शहर में व दिल्ली में हुए छापे में शुक्रवार को 13 करोड़ का और अघोषित लेन-देन सामने आया. इस तरह कुल आंकड़ा 182 करोड़ पर पहुंच गया. वहीं विभाग को 15 से अधिक बॉक्स भरकर दस्तावेज बरामद हुए हैं. इसमें मुख्य तौर पर लेनदेन की रसीदें, सौदों के करार आदि हैं, जिनकी विभाग द्वारा विस्तार से जांच की जाएगी. जिनके भी नाम इन लेन-देन में आए हैं, उन सभी को समन जारी कर पूछताछ की जाएगी।
250 लोगों से ज्यादा नाम आ रहे सामने
आयकर विभाग को 250 से ज्यादा लोगों के नाम इन लेन-देन में मिले हैं. सौ से ज्यादा बैंक खातों की डिटेल, 12 बैंक लॉकर से कैश, ज्वेलरी और दस्तावेज लिए गए हैं. बताया जा रहा है कि ग्रुप के साथ जमीन खरीदी में कई लोगों ने नंबर 2 में निवेश किया है. इन सभी को आयकर नोटिस दिया जाएगा।
फर्जी बिलों के खिलाफ सख्ती
इधर, जीएसटी के बोगस बिलों के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने वाले कारोबारियों पर अब दोहरी मुश्किल आ गई है।. टैक्स छूट तो जीएसटी विभाग वसूलता है और अब फर्जी बिल की राशि संबंधित करदाता की आय में जोड़कर पेनल्टी वसूली जाएगी. हालांकि इस संबंध में नियम 1 अप्रैल 2020 को लागू किया गया था, लेकिन सीबीडीटी ने इस नियम का स्पष्टीकरण अब जारी किया है. साथ ही सभी आयकर अधिकारियों को इसे लागू करने और पेनल्टी वसूलने का आदेश दिया है. इस नियम का मतलब है कि जीएसटी और आयकर विभाग मिलकर इसमें काम करेंगे. यदि छापे या जांच में किसी करदाता के पास एक लाख का फर्जी खरीदी का बिल मिलता है और इस पर 18 फीसदी की दर से 18 हजार का टैक्स लगाकर गलत क्रेडिट ली गई तो 18 हजार की क्रेडिट तो जीएसटी विभाग वसूलेगा ही, वहीं 1 लाख के फर्जी बिल की राशि करदाता से बतौर पेनल्टी वसूली जाएगी।