इंदौर, 05 सितंबर । मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने आज बहुचर्चित हनीट्रैप मामलें को लेकर दायर पांच अलग-अलग याचिकाओं को एक साथ निराकृत करते हुये युगलपीठ ने जारी आदेश में कहा है कि हनीट्रैप मामले की ‘विशेष जांच दल’ (एसआईटी) के द्वारा की जा रही जांच से अदालत संतुष्ट हैं, अदालत ने मामले की जांच को ‘केंद्रीय जांच ब्यूरो’ (सीबीआई) से कराने की मांग को ख़ारिज कर दिया है।
अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय से प्राप्त आधिकारिक जानकारी के अनुसार इससे पहले अदालत ने इस मामले की सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रख लिया था। आज युगलपीठ के प्रशासनिक न्यायमूर्ति एस सी शर्मा और न्यायधीश शैलेन्द्र शुक्ला ने आदेश जारी करते हुए कहा कि सभी पांच याचिकर्ताओं की प्रमुख मांग थी कि मामले की जांच राज्य की एसआईटी से लेकर सीबीआई को सौंप दी जावे। जिसके फलस्वरूप अदालत ने एसआईटी से मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट और अन्य साक्ष्यों को तलब किया था।
अदालत ने एसआईटी द्वारा जांच की प्रगति रिपोर्ट और अन्य साक्ष्यों का अवलोकन किया। अदालत ने एसआईटी की जांच प्रगति पर संतोष जाहिर किया है। अदालत ने साथ ही कहा कि याचिकर्ताओं में से कोई भी पक्ष अदालत को मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के समर्थन में पर्याप्त आधार और कारण बताने में असमर्थ रहे। लिहाजा मामले की जांच को सीबीआई को सौंपे जाने की मांग को अदालत ख़ारिज करती है।
अदालत ने मामले की जांच कर रही एसआईटी को विधि सम्मत जांच जारी रखने के आदेश दिया है। साथ ही समय समय पर जांच की प्रगति रिपोर्ट से न्यायालय के रजिस्ट्रार को अवगत कराने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि 17 सितंबर 2019 को इंदौर नगर निगम के तत्कालीन सिटी इंजिनियर हरभजन सिंह की शिकायत पर इंदौर की पलासिया पुलिस ने एक प्रकरण दर्ज किया था। पीड़ित हरभजन सिंह ने आरोप लगाया था कि उनके अंतरंग पलो का वीडिओ बनाकर भोपाल निवासी एक महिला सहित अन्य लोग उन्हें तीन करोड़ की राशि के लिए ब्लेक मेल कर रहे है।
जिस पर तत्कालीन राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एक एसआईटी गठित की थी। पुलिस द्वारा मामले में तीन भोपाल निवासी महिला सहित कुल छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था। गिरफ़्तारी के बाद से ही सभी आरोपी इंदौर की जेल में न्यायिक अभिरक्षा में रह रहे है।
इस मामले में एसआईटी जांच को चुनौती देने के साथ अन्य मुद्दों पर अलग – अलग पांच याचिकाएं दायर की गई थी। पांचो याचिकाओं में प्रमुख रूप से मामले की जांच सीबीआई से कराये जाने की मांग की गई थी।