इंदौर, 19 नवंबर । मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद कम्प्यूटर बाबा को यहां बृहस्पतिवार देर शाम केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया।
54 वर्षीय विवादास्पद धार्मिक नेता को उनका कथित रूप से अवैध आश्रम ढहाए जाने के दौरान एहतियाती कार्रवाई के तहत 11 दिन पहले गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।
चश्मदीदों ने बताया कि गेरुआ वस्त्र पहने कम्प्यूटर बाबा रिहाई के बाद शहर के केंद्रीय जेल से अकेले बाहर निकले। जेल परिसर में पहले से जमा उनके चंद समर्थकों ने फूलमाला पहनाकर उनका स्वागत किया।
इस दौरान कम्प्यूटर बाबा ने मीडिया के कैमरों के सामने एक पर्चा पढ़ते हुए कहा, “सबसे पहले मैं अपने वकीलों को धन्यवाद देना चाहता हूं..सबको धन्यवाद…भगवान ने सत्य की जीत दी है।”
मीडिया के अलग-अलग सवालों के जवाब देने से साफ इनकार करते हुए कम्प्यूटर बाबा पहले से तैयार चारपहिया गाड़ी में सवार हुए और चंद ही पलों के भीतर जेल परिसर से रवाना हो गए। उनके खिलाफ हाल ही में दर्ज आपराधिक प्रकरणों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने हाथ जोड़ते हुए कहा, “मैं कुछ नहीं कहना चाहता।”
इससे पहले, उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने प्रदेश सरकार को बृहस्पतिवार को ही निर्देशित किया कि अगर किसी मामले की जांच के संबंध में उसे कम्प्यूटर बाबा की आवश्यकता न हो, तो उन्हें जेल से फौरन रिहा किया जाए।
न्यायमूर्ति एससी शर्मा और न्यायमूर्ति शैलेंद्र शुक्ला ने कम्प्यूटर बाबा की ओर से पेश बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर इस आशय का निर्देश दिया। युगल पीठ ने कहा कि उसके आदेश की प्रति केंद्रीय जेल के अधीक्षक तक तुरंत पहुंचाई जाए।
याचिका पर सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने अदालत को बताया कि कम्प्यूटर बाबा को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 (संज्ञेय अपराध घटित होने से रोकने के लिए की जाने एहतियातन गिरफ्तारी) से जुड़े मामले में रिहा करने का आदेश पहले ही दिया जा चुका है।
अधिकारियों ने बताया कि इंदौर शहर से सटे जम्बूर्डी हप्सी गांव में सरकारी जमीन पर बने कम्प्यूटर बाबा के कथित रूप से अवैध आश्रम को ढहाए जाने के दौरान धार्मिक नेता को आठ नवंबर को सीआरपीसी की धारा 151 के तहत ही जेल भेजा गया था।
उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई के बाद कम्प्यूटर बाबा के खिलाफ शहर के गांधी नगर पुलिस थाने में दो और एरोड्रम पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई। ये मामले अलग-अलग लोगों से गाली-गलौज और मारपीट करते हुए उन्हें हथियार दिखाकर धमकाए जाने के आरोपों से जुड़े हैं।
कम्प्यूटर बाबा के वकील विभोर खंडेलवाल ने बताया कि तीनों मामलों में निचली अदालत में उनके मुवक्किल की जमानत अर्जियां मंजूर हो चुकी हैं।
गौरतलब है कि कम्प्यूटर बाबा का असली नाम नामदेव दास त्यागी है। उन्हें प्रदेश की भाजपा और कांग्रेस की पिछली सरकारों ने अलग-अलग निकायों में शामिल करते हुए राज्य मंत्री के दर्जे से नवाजा था। ये निकाय नर्मदा, क्षिप्रा और मन्दाकिनी सरीखी नदियों की हिफाजत के साथ ही जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता फैलाने के लिए गठित किए गए थे।