नईदिल्ली 14 अगस्त । भारत ने शुक्रवार को दोहराया कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से चीन की सेना को पूरी तरह से हटाये जाने तथा सीमा क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता की पूर्ण रूप से बहाली के बिना दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में समग्र एवं सुचारू प्रगति नहीं हो सकती है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने आज यहां नियमित ब्रीफिंग में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालात के बारे में सवालों के जवाब में कहा, “जैसा कि आप जानते हैं कि भारत एवं चीन कूटनीतिक एवं सैन्य चैनलों के माध्यम से भारत चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में पूर्ण रूप से सेना हटाने को लेकर प्रयास कर रहे हैं।
दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच सहमति बनी थी कि वास्तविक नियंत्रण रेखा से सेनाओं को जल्द से जल्द पूर्ण रूप से हटाया जाये और द्विपक्षीय समझौतों एवं प्रोटोकॉल के अनुरूप सीमा पर शांति एवं स्थिरता की बहाली हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समग्र एवं सुचारू प्रगति के लिए आवश्यक है।”
उन्होंने कहा कि ये प्रयास इसी सहमति के अनुरूप हो रहे हैं। राजनयिक स्तर पर सीमा प्रबंधन पर कार्य व्यवस्था (डब्ल्यूएमसीसी) तथा वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की कई दौर की बैठकों में वर्तमान में जारी सेना हटाने की प्रक्रिया के क्रियान्वयन तथा इसे जल्द से जल्द पूरा करने को लेकर नये कदम उठाने के बारे में चर्चा हुई है। निकट भविष्य में और भी बैठकें आयोजित किये जाने की संभावना है।
प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष सैद्धांतिक रूप से सेनाओं को हटाने पर सहमत हैं और उसी सिद्धांत के आधार पर पहले कुछ प्रगति हुई है। इन सिद्धांतों को ज़मीन पर क्रियान्वित करना एक जटिल प्रक्रिया है और उसमें दोनों पक्षों को सैनिकों की एलएसी के दोनों ओर नियमित चौकियों पर नये सिरे से तैनाती करनी पड़ती है। यह स्वाभाविक है कि इस कार्य को परस्पर सम्मत एवं प्रतिक्रियात्मक कदमों द्वारा ही किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि जब हम अपेक्षा करते हैं कि सेनाओं को हटाने की प्रक्रिया को शीघ्रातिशीघ्र पूरा किया जाये, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इसके लिए दोनों ओर से कदम उठाये जायें। इसलिए हम चीनी पक्ष से अपेक्षा करते हैं कि वे हमारे साथ गंभीरता से इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए काम करें ताकि सीमा क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता की पूर्ण रूप से बहाली हो सके।
श्री श्रीवास्तव ने कहा, “ऐसा करना हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समग्र प्रगति के संदर्भ में बहुत आवश्यक है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा है कि सीमा पर हालात और हमारे संबंधों के भविष्य एक दूसरे से अलग नहीं हो सकते हैं।”