नयी दिल्ली 14 अप्रैल। देश में अब तक हुये 16 आम चुनावों में 44 हजार 593 निर्दलीय उम्मीदवारों ने ताल ठोंकी जिसमें से मात्र 226 संसद की ड्योढी लांघने में सफल रहे जबकि 43 हजार 536 को तो अपनी जमानत भी गंवानी पड़ी।
पंद्रह अगस्त 1947 को देश के आजाद होने और 26 जनवरी 1950 में संविधान के लागू होने के बाद पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ। पहले चार आम चुनाव के अलावा 1971 और 1989 में ही निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत का आंकड़ा दहाई अंक को छू सका। सबसे अधिक 43 निर्दलीय उम्मीदवार 1957 में जीते थे और सबसे कम 2014 के चुनाव में, जब केवल तीन निर्दलीय ही लोकसभा में पहुंच पाये ।
करीब चार माह तक चले पहले आम चुनाव में 489 संसदीय सीटों के लिए मतदान हुआ। कुल 1874 उम्मीदवारों में 533 निर्दलीय थे। इसमें से 37 ने लोकसभा में पहुंचने में सफलता पाई जबकि 360 को जमानत गंवानी पड़ी।
दूसरे आम चुनाव में सीटों की संख्या बढ़कर 494 हो गई। कुल उम्मीदवारों के साथ निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या भी कम हुई किंतु लोकसभा में पहुंचने वाले निर्दलीय सांसदों की संख्या जहां एक तरफ बढ़ी वहीं दूसरी तरफ जमानत गंवाने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या इस चुनाव में अब तक की सबसे कम थी।
इस चुनाव में कुल 1519 उम्मीदवारों में 481 निर्दलीय थे जिसमें से 42 ने जीत हासिल की तथा 324 निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। पहले दो आम चुनावों की विशेषता यह थी कि इनमें से कुछ संसदीय क्षेत्रों में दो या तीन सीटें भी थी ।
तीसरे चुनाव में कुल 1985 उम्मीदवारों में 479 निर्दलीय प्रत्याशी थे जो सभी 16 आम चुनाव में सबसे कम है। इस चुनाव में 20 निर्दलीय को विजयश्री हासिल हुई तो 378 को जमानत गंवानी पड़ी।
चौथे आम चुनाव में एक बार फिर निर्दलीय उम्मीदवारों और विजयी प्रत्याशियों की संख्या में इजाफा हुआ । कुल 2369 उम्मीदवार में से 866 निर्दलीय थे जिसमें से 35 जीते और 747 जमानत खो बैठे।
वर्ष 1971 के चुनाव में 2784 उम्मीदवारों में 1134 निर्दलीय थे और केवल 14 ही लोकसभा की ड्योढ़ी लांघ पाये जबकि 1066 की जमानत जब्त हाे गयी थी।
इसके बाद के तीन आम चुनाव में निर्दलीय विजयी सांसदों की संख्या दहाई अंक को नहीं छू सकी। वर्ष 1977 के चुनाव में 2439 उम्मीदवारों में 1224 निर्दलीय थे और केवल नौ ही लोकसभा पहुंचे जबकि 1190 अपनी जमानत भी नहीं बचा पाये।
सातवें आम चुनाव (1980) में निर्दलीय विजयी उम्मीदवारों का आंकड़ा तो नौ पर ही टिका रहा। कुल 4629 उम्मीदवारों में 2826 निर्दलीय थे और 2794 को जमानत से हाथ धोना पड़ा।
आठवें चुनाव में 5492 उम्मीदवारों में से 3797 निर्दलीय थे। इसमें से केवल पांच जीते और 3752 की जमानत जब्त हुई।
नौंवे आम चुनाव में आखिरी बार निर्दलीय विजयी उम्मीदवारों की संख्या दहाई (12) में पहुंची। कुल 6160 उम्मीदवारों में 3712 निर्दलीय थे और 3672 को जमानत से हाथ धोना पड़ा था।
दसवें आम चुनाव 1991-92 में हुए । इसमें कुल उम्मीदवारों की संख्या 8749 थी जिसमें 5546 निर्दलीय थे और केवल पांच लोकसभा पहुंचे। शेष में 5529 की जमानत जब्त हुई।
वर्ष 1996 के ग्यारहवें आम चुनावों में कुल उम्मीदवारों की संख्या रिकार्ड 13 हजार 952 पहुंच गयी थी। इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या और जमानत जब्त कराने दोनों का रिकार्ड भी बना। कुल 10635 निर्दलीय उम्मीदवारों में केवल नौ जीते जबकि 10604 को जमानत गंवाने का दंश झेलना पड़ा।
बारहवें और तेरहवें आम चुनाव में कुल उम्मीदवारों की संख्या क्रमश 4750 तथा 4648 थी । इसमें निर्दलीय उम्मीदवार क्रमश 1915 और 1945 थे जबकि छह – छह ही जीत हासिल कर पाये। दोनों चुनाव में क्रमश 1898 तथा 1928 निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई।
वर्ष 2004 के चौहदवें आम चुनाव में कुल 5435 उम्मीदवारों में 2385 निर्दलीय थे जिनमें से पांच जीते जबकि 2370 ने जमानत गंवाई।
पंद्रहवें लोकसभा चुनाव में कुल 8070 उम्मीदवारों में 3831 निर्दलीय थे । इनमें से जीतने वाले नौ और जमानत गंवाने वाले 3806 रहे ।
सोलहवें आम चुनाव में अब तक के सबसे कम मात्र तीन निर्दलीय उम्मीदवार ही जीत हासिल कर सके। इस चुनाव में कुल 8251 प्रत्याशियों में 3234 निर्दलीय थे जिसमें से 3218 की जमानत जब्त हुई।
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