हरिद्वार/देहरादून, 11 मार्च । उत्तराखंड के हरिद्वार में पावन गंगा के तट पर गुरुवार को महाकुम्भ का पहला शाही स्नान परम्परा अनुरूप हर-हर महादेव और वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य सम्पन्न हो गया।
साधु-संत और श्रद्वालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा और विभिन्न अखाड़ों द्वारा नृत्य करते गंगा स्नान करने की प्रक्रिया से हर की पौड़ी ही नहीं, अपितु पूरा कुम्भ क्षेत्र अद्भुत धार्मिक वातावरणमय हो गया। पहली बार देश में किन्नर सन्तों द्वारा शाही स्नान करने से यह महाकुम्भ भारत ही नहीं, अपितु विश्व में ऐतिहासिक बन गया।
महाशिवरात्रि के दिन हुए इस शाही स्नान का हिमालय की कन्दराओं ही नहीं अपितु विश्व भर के साधु, सन्तों ने उत्साह और श्रद्वा से पुण्य लाभ लिया।
धार्मिक आस्थाओं से ओतप्रोत कुंभ नगरी
प्रत्येक बारह वर्षों बाद आयोजित होने वाले महाकुम्भ में महाशिवरात्रि के दिन गुरुवार को प्रथम शाही स्नान परम वैभव, दिव्य-भव्य रूप से सकुशल आयोजित हुआ।
अखाड़ों के साधु-सन्यासियों ने हर-हर महादेव और हर-हर गंगे का जयघोष करते हुए ब्रहमकुंड पर गंगा में आस्था की डुबकी लगाई।
गुरुवार को सबसे पहले श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के संतजनों ने जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत प्रेमगिरि महाराज, अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत सोहन गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी विमल गिरि आदि ने सबसे पहले शाही स्नान किया। हर हर महादेव, हर हर गंगे के जयघोष के साथ साधु-संत गंगा स्नान करके निर्धारित रूट से वापस अखाडे़ की छावनी में वापस लौटे। अग्नि, आवाहन के साथ ही किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ स्वामी कृष्णा नंद और बड़ी संख्या में नागा सन्यासियों ने भी शाही स्नान किया।