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ग्वालियर में दिग्विजय सिंह द्वारा राजनीति का अविश्वसनीय नेता बताये जाने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जवाब दिया कि,यदि कुर्सी के लिए लालायित रहता तो कमलनाथ-दिग्विजय के प्रस्ताव स्वीकार कर लेता attacknews.in

ग्वालियर, 23 अगस्त । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में जाने के बाद ग्वालियर में कांग्रेस जीवित हो गयी है।

श्री सिंह ने यहां वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में भाजपा के आयोजन के एक दिन बाद मीडिया से कहा कि श्री सिंधिया के जाने के बाद ग्वालियर अंचल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में नयी ऊर्जा और जान आ गयी है। हम श्री सिंधिया की चुनौती स्वीकार करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता और जनता तय कर ले, तो कांग्रेस को कोई पराजित नहीं कर सकता है।

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष बृजमोहन परिहार की श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने आए श्री सिंह ने मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि वे लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास की राजनीति पसंद करते हैं।

उन्होंने भाजपा के कल यहां आयोजित सदस्यता कार्यक्रम से संबंधित सवालों के जवाब में कहा कि इसमें बड़ी बड़ी बातें की जा रही थीं, लेकिन ऐसी बातें करने वाले तो राजनीति में अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं और उनके भाजपा में जाने के बाद ग्वालियर में कांग्रेस जीवित हो गयी है।

पंद्रह माह की कांग्रेस सरकार में ‘दो मुख्यमंत्री’ होने संबंधी आरोपों के बारे में पूर्व मुख्यमंत्री श्री सिंह ने कहा कि अब भाजपा में ‘चार मुख्यमंत्री’ हैं। एक श्री नरोत्तम मिश्रा तो कल यहां आए नहीं।

एक अन्य सवाल के जवाब में श्री सिंह ने इससे इंकार किया कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला था। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार ने माफियाओं, मिलावटखोरोें और अन्य घोटालेबाजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी। ऐसे लोगों ने ही भय खाकर तत्कालीन सरकार को गिरा दिया।

श्री सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि कल यहां भाजपा के सदस्यता अभियान को आयोजित करने की अनुमति प्रदान कर दी गयी, जबकि कांग्रेस के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब श्रीगणेश पंडालों और धार्मिक आयोजनों की अनुमति नहीं है, तो सदस्यता अभियान को अनुमति क्यों दी गयी।

राज्य में 27 सीटों पर विधानसभा उपचुनावों के लिए पार्टी प्रत्याशी के चयन के संबंध में पूछे जाने पर श्री सिंह ने कहा कि चयन प्रक्रिया चल रही है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ सभी कार्यकर्ताओं से चर्चा कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि पहले चुनाव आयोग को भी तय कर लेना चाहिए कि उपचुनाव कब होंगे, कांग्रेस उम्मीदवार तो तय हो जाएंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया के समक्ष श्री सिंधिया के कांग्रेस में रहते हुए भाजपा के खिलाफ दिए गए बयानों की वीडियो रिकार्डिंग भी सुनवायी।

शिवराज ने दूसरे दिन भी बोला कांग्रेस नेताओं पर हमला

ग्वालियर,से खबर है कि,मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज लगातार दूसरे दिन कांग्रेस नेताओं पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने ग्वालियर चंबल अंचल की जनता के साथ ही वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भी विश्वासघात किया है।

श्री चौहान ने यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यताग्रहण कार्यक्रम के दूसरे दिन तीन स्थानों पर अलग अलग आयोजनों में इस अंचल की सात विधानसभा क्षेत्रों के हजारों कार्यकर्ताओं को भाजपा की सदस्यता दिलायी। इसके पहले कल भी अलग अलग कार्यक्रमों में सात विधानसभा क्षेत्रों के हजारों कार्यकर्ताओं को भाजपा की सदस्यता ग्रहण करायी गयी थी।

आज के आयोजन में भी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, वरिष्ठ नेता एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, वरिष्ठ नेता प्रभात झा और अन्य नेता एवं पदाधिकारी मौजूद थे।

श्री चौहान ने कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व पर भी हमला जारी रखा और कहा कि वहां पर अध्यक्ष पद पर एक ही परिवार का व्यक्ति आसीन रहा है। वहीं भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है और यहां पर पोलिंग बूथ का पदाधिकारी भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है। अब तो कांग्रेस के मध्यप्रदेश में भी यही हाल हो गए हैं। मुख्यमंत्री, अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और अन्य पदों पर भी एक ही व्यक्ति का कब्जा बना आ रहा है।

उन्होंने व्यंगात्मक लहजे में कहा कि बाकी नेताओं का क्या होगा।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा; मेरी प्राथमिकता कुर्सी नहीं जनता की सेवा हैं

इस अवसर पर राज्यसभा सांसद श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि उनकी प्राथमिकता कुर्सी नहीं, जनता की सेवा रही है। यदि वह कुर्सी के लिए लालायित रहते, तो वे श्री कमलनाथ और श्री दिग्विजय सिंह के प्रस्ताव के अनुरूप तत्कालीन कांग्रेस सरकार में उप मुख्यमंत्री का पद स्वीकार कर लेते।

कुछ माह पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए श्री सिंधिया ने कहा कि लेकिन उन्हें पता था कि तत्कालीन सरकार में बैठे लोग क्या करने वाले हैं और उसका भार वे नहीं लेने वाले थे। इसलिए उन्होंने वह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया।

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