अहमदाबाद 31 अक्टूबर । मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव में मौका नहीं देने का आरोप झेल रही भारतीय जनता पार्टी ने इस बार गुजरात चुनाव में अपनी रणनीति बदली है। शायद यही वजह है कि भाजपा दफ्तर में मुस्लिम नेताओं की उपस्थिति बढ़ी है। पहले की तुलना में काफी संख्या में नेता टिकट के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं।
वैसे, पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दी थी। ये हाल तब थे, जबकि 2010 के स्थानीय चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवारों को कुछ सफलता मिली थी। 2011 में तत्कालीन सीएम मोदी ने सदभावना मिशन का नेतृत्व किया था। इसका उद्देश्य अल्पसंख्यों को रिझाना था। लेकिन टिकट देने की बारी आई, तो किसी को भी मौका नहीं मिला। आपको ये भी जानकर आश्चर्य होगा कि 1980 के बाद 1998 में एक मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट मिला था।
पार्टी का दावा है कि इस बार वैसी स्थिति नहीं है। पार्टी के राज्य अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने कुछ सीटों पर दावा भी पेश किया है। प्रकोष्ठ के अध्यक्ष महबूब अली चिश्ती ने कहा कि 2015 के लोकल चुनाव में 350 मुस्लिम उम्मीदवारों ने सफलता के झंडे गाड़े हैं। लिहाजा जमालपुर खाडिया, वेजलपुर, वाग्रा, वाकंर, भुज और एब्दा जैसे क्षेत्र हैं, जहां वो दावा पेश कर सकते हैं।