गांधीनगर, 05 जून । गुजरात में राज्यसभा की चार सीटों के लिए 19 जून को होने वाले चुनाव से पूर्व मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को झटके लगने का सिलसिला जारी है और इसके एक और विधायक मोरबी विधानसभा सीट के प्रतिनिधि ब्रजेश मेरजा ने भी इस्तीफा दे दिया है।
इससे पहले बुधवार की रात को भी दो कांग्रेस विधायकों करजण सीट के कांग्रेस विधायक अक्षय पटेल और कपराडा के जीतू चौधरी ने इस्तीफा दिया था।
यह चुनाव पहले 26 मार्च को होने थे पर कोरोना संकट के कारण इन्हें टाल दिया गया था और अब इन्हे 19 जून को कराने की घोषणा की गयी है। इससे पहले मार्च में भी कांग्रेस के पांच विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद पार्टी ने बाकी विधायकों को राजस्थान के एक रिसॉर्ट में रखा था। इस तरह अब तक कुल आठ पार्टी विधायकों ने इस्तीफे दिये हैं।
इन सीटों के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के तीन और कांग्रेस के दो प्रत्याशियों ने नामांकन किया है। सामान्य अंकगणित के लिहाज से भाजपा केवल दो सीटें ही जीत सकती थी पर अब तीसरी सीट पर भी इसका पलड़ा भारी होता दिख रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष राजेन्द्र त्रिवेदी ने आज बताया कि श्री मेरजा ने कल शाम व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर उन्हें अपने इस्तीफा दिया था जिसे स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने विधायक से किसी भय, दबाव या लालच में ऐसा नहीं होने की पुष्टि की तथा चेहरे से मास्क हटवा कर उनकी पहचान खुद की थी। इस्तीफा पत्र पर उनके हस्ताक्षर का सत्यापन भी किया गया था। उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा देने की बात की थी।
182 सदस्यीय विधानसभा में अभी भाजपा के 103 और कांग्रेस के 65 विधायक ( कुल आठ इस्तीफों के बाद) हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का एक विधायक है, कांग्रेस समर्थित निर्दलीय एक (जिग्नेश मेवाणी) और इसके सहयोगी दल भारतीय ट्राइबल पार्टी यानी बीटीपी के दो हैं। जीत के लिए एक उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के 35 मतों की जरूरत होगी। राजनीतिक प्रेक्षकों ने अभी भी कुछ और कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे की संभावना से इंकार नहीं किया है। भाजपा ने यह भी दावा किया है बीटीपी के विधायक भी उसके उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे।
इस बीच, कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा पर खरीदफरोख्त कर चुनाव जीतने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। पार्टी के विधायक पुंजाभाई वंश ने कहा कि श्री मेरजा कांग्रेस से नाराज नहीं थे। उधर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि बिना स्पष्ट नेता या नीयत वाली कांग्रेस के अंदरूनी विवाद और नेताओं की उपेक्षा के चलते ऐसा हो रहा है। श्री मेरजा ने कांग्रेस के प्राथमिक सदस्य पद से भी त्यागपत्र दे दिया है।
इधर, कल इस्तीफा देने वाले श्री चौधरी ने कहा कि उन्होंने पार्टी नेताओं के रवैये से नाराज होकर ऐसा कदम उठाया है। कांग्रेस के एक नेता ने उन पर भाजपा से 50 करोड़ रूपये लेकर उसे चुनाव में मदद पहुंचाने की नीयत से ऐसा करने का आरोप लगाया है।
ज्ञातव्य है कि इससे पहले मार्च में कांग्रेस विधायकों सर्वश्री मंगल गामित (सीट – डांग), प्रवीण मारू (गढड़ा), प्रद्युम्न सिंह जाडेजा (अब्डासा), सोमा कोली पटेल (लींबडी) और जे वी काकड़िया (धारी) ने सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
बदली हुई परिस्थितियों में होने वाले रोमांचक राज्यसभा चुनाव में अब भाजपा का पलड़ा खासा भारी लग रहा है। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से अब जीत के लिए जरूरी अंकगणित बदल गया है।
इन चार सीटों में से तीन भाजपा तथा एक कांग्रेस के पास थीं पर पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सदन के बदले अंकगणित और कांग्रेस की बढ़ी हुई संख्या के चलते शुरूआत में दोनो पार्टियों ने दो दो प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की थी पर भाजपा ने नामांकन के अंतिम दिन यानी 13 मार्च की सुबह तीसरे प्रत्याशी के नाम की भी घोषणा कर चुनाव को बेहद रोचक बना दिया। भाजपा ने पहले रमिला बारा और अभय भारद्वाज को अपना प्रत्याशी बनाया था पर बाद में राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री नरहरि अमीन को अपना तीसरा उम्मीदवार घोषित कर दिया। श्री अमीन पाटीदार समुदाय के हैं और पहले कांग्रेस में थे। कांग्रेस पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री भरतसिंह सोलंकी और राज्य के मंत्री तथा पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल को उम्मीदवार बनाया है।
ज्ञातव्य है कि बुधवार को त्यागपत्र देने वाले श्री चौधरी भी कथित तौर पर पार्टी से नाराज थे और पिछले मार्च में जब सभी विधायकों को जयपुर ले जाया गया था तब संपर्क विहिन हो गये थे। वह तब जयपुर जाने के लिए अन्य विधायकों के साथ हवाई अड्डे पर ही नहीं पहुंचे थे और तभी उनके इस्तीफे की अटकले लगायी गयी थीं। हालांकि वह बाद में जयपुर पहुंच गये थे।