कोलकाता, 22 सितंबर । पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए एक बार फिर से दोहराया कि बंगाल पहले से ही ‘आतंक, अपराध और अवैध बम बनाने’ का सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है।
श्री धनखड़ ने अपने ट्वीटर हैंडल पर कहा, “पश्चिम बंगाल डीजीपी का शुतुर्मुर्ग वाला रुख काफी व्यथित करने वाला है। राज्य पहले से ही आतंक, अपराध, अवैध बम बनाने का सुरक्षित ठिकाना है।”
उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि ममता सरकार को मेरे लिखे पत्र के बाद ‘वास्तविकता का आभास’ होगा। बंगाल पुलिस मानव अधिकारों के लिए खतरा है और वह विपक्षी सांसदों, विधायकों और कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमलों को रोकने में नाकाम हुई है।”
श्री धनखड़ ने राज्य सरकार पर पुलिस की एकतरफा कार्रवाई पर आंख मूंदने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक स्थिति में पुलिस एकतरफा व्यवहार करती है जोकि अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा, “ सिस्टम पर राज्य के गैर आवंछित लोगों ने कब्जा कर लिया है। यह सत्ता में असंवैधानिक घुसपैठ है और यह एक तरह का अपराध है।”
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने अलकायदा मॉड्यूल को लेकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से रविवार को छह आतंकवादियों को गिरफ्तारी किया है जिसके बाद राज्यपाल धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है।
किसान मुद्दे पर धनखड़ ने ममता सरकार को लिया आड़े हाथ
इसी तरह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि ’ में भाग नहीं लेकर राज्य के 70 लाख किसानों को 8,400 करोड़ के फायदे से वंचित रखने के कारण मंगलवार को ममता सरकार पर निशाना साधते हुए उसे पत्र लिखा।
श्री धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा, “राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 70 लाख से अधिक किसानों को खासकर इस तनाव भरे समय में लाभ से वंचित किया जाना उन्हें आहत कर रहा है। मेरी तरफ से ध्यान दिलाने के बाद भी किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया।”
श्री धनखड़ ने कहा, “यदि पश्चिम बंगाल सरकार ने 70 लाख से अधिक किसानों के लिए समय रहते उचित कदम उठाए होते तो उन्हें अब तक 8,400 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ हो चुका होता। अबतक प्रत्येक किसानों के खाते में बिना किसी मध्यस्थ के प्रतिमाह 1200 रुपये पहुंच गये होते।”
उन्होंने कहा, “किसानों को उनके लाभ से वंचित किए जाने के पीछे कोई तर्क समझ नहीं आ रहा क्योंकि केंद्र सरकार ने किसानों को 100 प्रतिशत लाभ पहुंचाने का काम किया है। इसमें राज्य सरकार कोई वित्तीय बोझ नहीं उठाती है।”