गोरखपुर 17 अप्रैल । विश्व में धार्मिक पुस्तकों के विख्यात प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर की प्रमुख पुस्तकें अब आन लाइन उपलब्ध रहेगीं।
गीता प्रेस के उत्पादक प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बातचीत में कहा कि गीता प्रेस के प्रमुख का डिजिटल बैकअप तैयार हो चुका और उन्हें अपलोड करने की तैयारी चल रही है।
श्री तिवारी ने बताया कि अभी तक 98 किताबों का ई-वर्जन पीछीएफ फार्मेट में गीता प्रेस की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है जिन्हें कभी भी नि:शुल्क डाउनलोड किया जा सकता है। इसके अलावा सभी 1880 पुस्तकों और लगभग दो हजार से अधिक फोटो का डिजीटल बैकअप तैयार हो चुका है उन्हें भी अपलोड करने की तैयारी चल रही है।
उन्होंने बताया कि जो पुस्तकें गीता प्रेस की वेबसाइट पर अपलोड की गयी पुस्तकों में हिन्दी-संस्कत की 35, इंग्लिश की नौ, गुजराती की आठ, तेलगू की दस, उडिया की छह, बंगला की छह, असमियां की दो, मलयालम, उर्दू, पंजाबी व नेपाली की एक-एक पुस्तक शामिल हैं।
तिवारी ने बताया कि इन्हें गीता प्रेस की वेबसाइट पर नि:शुल्क डाउनलोड किया जा सकता है। अमेजन किंडले पर हिंदी की 41, मराठी की पांच, तेलगू की नौ, उडिया की तीन तथा संस्कृत, संस्कृत, गुजराती, बंगला व तमिल की एक-एक पुस्तकों का ई-वर्जन अपलोड है जिनका शुल्क अदा कर डाउनलोड किया जा सकता है। उनका मूल्य प्रिंट की अपेक्षा 20 प्रतिशत कम है।
श्री तिवारी ने आगे बताया कि अपलोड होने वाली महत्वपूर्ण पुस्तकों में श्रीमदभगवतगीता, श्री राम चरित मानस, सुंदरकांड, दुर्गा सप्तसती, योग दर्शन, व्रत परिचय, ईशादि के नौ उपनिषद, गीता की तत्वविवेचनी अीका तथा हनुमान चालीसा आदि हैं।
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