Home / राजनीति / भारत-चीन के बीच गलवान घाटी में तनातनी माहौल पर मनमोहन सिंह ने नरेन्द्र मोदी को चुप रहने की सलाह दी तो भाजपा ने उन्हें उन्हींकी चुप्पी का चीन द्वारा फायदा उठाने का आईना बता दिया attacknews.in
नरेन्द्र मोदी- मनमोहन सिंह

भारत-चीन के बीच गलवान घाटी में तनातनी माहौल पर मनमोहन सिंह ने नरेन्द्र मोदी को चुप रहने की सलाह दी तो भाजपा ने उन्हें उन्हींकी चुप्पी का चीन द्वारा फायदा उठाने का आईना बता दिया attacknews.in

नयी दिल्ली, 22 जून ।भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर पलटवार करते हुए सोमवार कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर भारत की सैकड़ों वर्ग किलोमीटर भूमि चीन को बिना संघर्ष के सौंप दी और उनके कार्यकाल में 2010 से 2013 के बीच पड़ोसी देश ने 600 बार घुसपैठ की।

सिंह ने चीन के साथ मौजूदा गतिरोध से निपटने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था, जिसके बाद ट्विटर पर नड्डा ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं तथा उनकी पार्टी को “हमारे बलों का बार-बार अपमान और उनकी वीरता पर सवाल उठाना बंद करना चाहिए।”

भाजपा प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने (बालाकोट) हवाई हमले और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी ऐसा ही किया था।

नड्डा ने कहा कि कांग्रेस को राष्ट्रीय एकता का सही मतलब समझना चाहिए, खासकर ऐसे समय में।

उन्होंने ट्वीट किया, ” डॉ. मनमोहन सिंह उसी पार्टी से आते हैं, जिसने 43,000 किलोमीटर से ज्यादा भारतीय क्षेत्र को निस्सहाय रूप में चीन को समर्पित कर दिया था! संप्रग के शासनकाल में देखा गया कि बिना संघर्ष सामरिक और क्षेत्रीय समर्पण किया गया। बार-बार हमारे बलों का अपमान किया गया।”

भाजपा प्रमुख ने कहा, ‘‘कोई महज विचार ही कर सकता है कि डॉ सिंह चीन के इरादों के प्रति चिंतित थे जब उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में भारत की सैकड़ों वर्ग किलोमीटर जमीन बिना संघर्ष के चीन को समर्पित कर दी। उनके कार्यकाल में 2010 से 2013 के बीच चीन ने 600 बार घुसपैठ की।”

पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर अपनी पहली टिप्पणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान को लेकर सोमवार को कहा कि मोदी को अपने बयान से चीन के षड्यंत्रकारी रुख को ताकत नहीं देनी चाहिए और राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सामरिक हितों पर पड़ने वाले अपने शब्दों के प्रभाव को लेकर बहुत ज्यादा सावधान रहना चाहिए।

यह उल्लेख करते हुए कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति एवं मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता, सिंह ने प्रधानमंत्री से अपील की कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के दौरान जान गंवाने वाले सैनिकों के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

नड्डा ने इसपर पलटवार करते हुए कहा कि सिंह का बयान मात्र “शब्दों को खेल” है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के आचरण और कदमों से किसी भी भारतीय को इस तरह के बयान पर विश्वास नहीं होगा।

नड्डा ने कहा, ‘‘याद रखिए यह वही कांग्रेस है जो हमेशा हमारे सशस्त्र बलों पर सवाल करती है और उनका मनोबल तोड़ती है।’’

भाजपा प्रमुख ने कहा, ‘‘भारत पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यकीन करता है और उनका समर्थन करता है। 130 करोड़ भारतीयों ने मुश्किल समय में उनका प्रशासनिक अनुभव देखा है, खासकर वह कैसे हमेशा राष्ट्र कल्याण को सबसे ऊपर रखते हैं।”

नड्डा ने कहा कि सिंह ने एकता का आह्वान ठीक ही किया है।

उन्होंने कहा कि कागज पर लिखे गए ऐसे कड़े शब्द तब असफल हो जाते हैं जब लोग देखते हैं कि कौन एकता का माहौल खराब कर रहा है।

भाजपा प्रमुख ने कहा, ‘‘उम्मीद करता हूं कि डॉ सिंह कम से कम अपनी पार्टी को इसके लिए राजी कर पाने में सफल होंगे।

चीनी षडयंत्र को बल देने वाले बयान से बचें मोदी: मनमोहन

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीमा से जुड़े मुद्दे पर सावधानी से बयान देने की सलाह देते हुए कहा है कि इस नाजुक दौर में ऐसे शब्दों के प्रयाेग से बचना चाहिए जिनसे देश की सुरक्षा एवं अखंडता प्रभावित हो और चीन के षडयंत्रकारी रुख को बल मिले।

डॉ. सिंह ने साेमवार को यहां जारी बयान में कहा कि देश इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़ा है और इस समय सरकार जो भी निर्णय लेगी और जो कदम उठाएगी वह देश का भविष्य तय करेंगे। इस स्थिति में जिनके कंधों पर देश का नेतृत्व है उन्हीं कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व भी है। हमारी व्यवस्था में यह दायित्व देश के प्रधानमंत्री का है और वह जो भी फैसला लेंगे भविष्य की दिशा तय करेगा।

उन्होंने कहा “प्रधानमंत्री को अपने शब्दों तथा एलानों द्वारा देश की सुरक्षा एवं सामरिक तथा भूभागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सदैव बेहद सावधान होना चाहिए। प्रधानमंत्री को अपने बयान से उनके षडयंत्रकारी रुख को बल नहीं देना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार के सभी अंग इस खतरे का सामना करने तथा स्थिति को और ज्यादा गंभीर होने से रोकने के लिए परस्पर सहमति से काम करें।”

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि देश किस दिशा में जाएगा इस बारे में फैसला सरकार को करना है और ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री का दायित्व और भी बढ़ जाता है इसलिए कदम बहुत सोच समझकर उठाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा “प्रधानमंत्री तथा केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वे वक्त की चुनौतियों का सामना करें और कर्नल बी. संतोष बाबू और हमारे सैनिकों की कुर्बानी की कसौटी पर खरा उतरें जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा एवं अपने भूभागीय अखंडता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इससे कुछ भी कम जनादेश से ऐतिहासिक विश्वासघात होगा।”

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