कोलकाता, 13 मार्च । पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन के धुर विरोधी यशवंत सिन्हा शनिवार को तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए।
उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए आठ चरणों में होने वाले चुनाव से पहले यह कदम उठाया है।
सिन्हा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं, लेकिन भगवा पार्टी के नेतृत्व से मतभेदों के चलते वर्ष 2018 में उन्होंने भाजपा छोड़ दी।
उनके बेटे जयंत सिन्हा झारखंड के हजारीबाग से भाजपा के लोकसभा सदस्य हैं।
सिन्हा ने कहा, ‘‘देश अजीब परिस्थिति से गुजर रहा है, हमारे मूल्य और सिद्धांत खतरे में हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र की मजबूती संस्थाओ में निहित है और सभी संस्थाओं को व्यवस्थागत तरीके से कमजोर किया जा रहा है।’’
सिन्हा (83 वर्षीय) ने भाजपा के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन करने की शपथ ली।
तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा,‘‘हम अपनी पार्टी में यशवंत सिन्हा का स्वागत करते हैं। उनकी हिस्सेदारी से चुनाव में भाजपा के खिलाफ हमारी लड़ाई और मजबूत होगी।’’
सिन्हा ने वर्ष 1990 में चंद्रशेखर की सरकार में वित्तमंत्री की जिम्मेदारी निभाई थी और इसके बाद वाजपेयी मंत्रिमंडल भी उन्हें इस मंत्रालय का कार्यभार मिला।
उन्होंने वाजपेयी सरकार में विदेशमंत्री की भी जिम्मेदारी निभाई।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों से पहले श्री सिन्हा के तृणमूल में शामिल होने को राजनीति क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस राज्य में इन दिनों विधानसभा चुनाव प्रचार जोरों से चल रहा है।
श्री सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, “लोकतंत्र की ताकत उसकी संस्थाएं होती हैं। आज लगभग हर संस्था कमजोर हो गई है, उसमें देश की न्यायपालिका भी शामिल है। हमारे देश के लिए यह सबसे बड़ा खतरा पैदा हो गया है।”
वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से उनके गंभीर आलोचक रहे हैं। उन्होंने कुछ साल पहले भाजपा छोड़ दी थी और 2020 के विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में एक राजनीतिक मोर्चा शुरू किया था।