ED ने किया सीएफआई महासचिव रऊफ शरीफ की याचिका का विरोध
नईदिल्ली 6 जनवरी ।पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जाँच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार ( 05 जनवरी 2021) को कथित तौर पर दावा किया कि इस समूह ने केरल में आतंकी कैंप चलाने के लिए भारी मात्रा में फंड इकट्ठा कर लिया था।
PMLA (धनशोधन रोकथाम कानून) कोर्ट में केंद्रीय एजेंसी ने यह दावा PFI के छात्र नेता व मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में पकड़े गए रऊफ शरीफ की जमानत याचिका का विरोध करते हुए किया।
एजेंसी ने अपने बयान में बताया कि उन्होंने राष्ट्रीय जाँच एजेंसी द्वारा विशेष अदालत में दायर चार्जशीट के आधार पर अपनी जाँच शुरू की थी।
उन्होंने कहा कि एनआईए द्वारा साल 2013 में दायर आरोप पत्र के मुताबिक PFI व SDPI के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने अपने कार्यकर्ताओं को विस्फोटकों और हथियारों का इस्तेमाल सिखाने के लिए आपराधिक षड्यंत्र किया और कन्नूर जिले के नारथ में एक आतंकवादी शिविर का आयोजन किया।
चार्जशीट के अनुसार, इस कैंप का आयोजन धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, उन्हें आतंकवादी गतिविधियों के लिए तैयार करने और इस तरह राष्ट्र की एकता व अखंडता को खतरे में डालने के लिए प्रतिबद्ध कृत्यों के लिए किया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने कहा, ‘‘पीएफआई ने आतंकवादी शिविरों के आयोजन के लिए और उससे जुड़ी गतिविधियों व साम्प्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुँचाने के लिए पर्याप्त धन जमा कर लिया था और जाँच के दौरान पीएफआई के कई बैंक खातों और अन्य वित्तीय दस्तावेजों का विश्लेषण किया गया।”
रऊफ की जमानत याचिका का विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने रऊफ के पास पहुँची विदेशी सहायतों का जिक्र किया और उन्हें बेहद संदिग्ध बताया।
एजेंसी ने कहा कि कई दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस को हाल में की गई छापेमारी में बरामद किया गया है, जिनसे खुलासा होता है कि बहुत भारी मात्रा में फंड एकत्रित किए गए।
एजेंसी ने इस बात पर भी गौर करवाया कि चूँकि ये विदेशी फंड पीएफआई के बैंक अकॉउंट में नहीं नजर आते, इसलिए ये बात साफ है कि इन्हें हवाला या फिर अंडरग्राउंड चैनल के माध्यम से भेजा गया।
जमानत याचिका के विरोध में ईडी ने कोर्ट को बताया कि उनके द्वारा दिए गए सबूतों से साबित होता है कि पीएफआई का छात्र समूह सीएफआई (कैम्पस फ्रंट ऑफ़ इण्डिया) लगातार मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल रहा और देश भर में अपराध व गैर कानूनी गतिविधियों को करवाता रहा।
ईडी ने आरोप लगाया कि शरीफ ने हाथरस पहुँचे तीन सदस्यों में से अतीक उर रहमान को सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने और सम्प्रदायिक दंगे करवाने के लिए फंड ट्रांसफर किया। इसके अतिरिक्त, आरोपित के अकॉउंट से निकाले गए रुपयों को भी जाँच एजेंसी ने संदिग्ध कहा।
बता दें कि पिछले दिनों पीएफआई सदस्य रऊफ शरीफ़ को केरल के तिरुअनंतपुरम एयरपोर्ट से हिरासत में लिया गया था। वह ओमान भागने की फ़िराक में था। हाथरस केस में रऊफ पर जातीय दंगे भड़काने की साजिश रचने का आरोप है।
गौरतलब है कि हाल में ईडी ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि पीएफआई को वर्षों से अब तक 100 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि फंड के रूप में मिली। इतना ही नहीं इस संगठन पर शांति बिगाड़ने का भी आरोप लगा।
वहीं, पीएफआई के राष्ट्रीय सचिव ने सभी आरोपों को खारिज किया और ईडी पर आरोप मढ़ा कि उन्हें भाजपा शासित प्रदेश में उपकरण की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। 26 दिसंबर को पीएफआई ने अपने अकॉउंट में आने वाले फंड को पब्लिक डोनेशन बताया और कहा कि उनके पास हर चीज का हिसाब है।
पीएफआई सदस्यों की याचिका पर केन्द्र व राज्य सरकार से जवाब तलब
प्रयागराज,से खबर है कि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाथरस रेप पीड़िता के परिजनों से मिलने जा रहे तीन आरोपी पीएफआई सदस्यों की याचिका पर केन्द्र व प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।
इन की याचियो को हाथरस जाते समय मथुरा पुलिस ने पिछले वर्ष पांच अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने इन्हें गिरफ्तारी से पूर्व यूएपीए की धारा 17 और 18 तथा भादंसं की धारा 153.ए , 295.ए और 124.ए तथा आई टी एक्ट की धारा 65ए, 72ए ,75 के तहत इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। इन पर आरोप है कि ये लोग हाथरस कानून व्यवस्था खराब करने तथा जातिय दंगा भड़काने के उद्देश्य से वहां जा रहे थे।