नयी दिल्ली 16 फरवरी । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई करते हुए अंतराष्ट्रीय गैर सरकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बैंक अकाउंट को जब्त करने के लिए प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर जारी किया गया है।
ईडी ने बताया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट की 17.66 करोड़ रुपये की विभिन्न अचल सम्पतियों की कुर्की की जा रही है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकी के आधार पर ईडी इंडियंस फॉर एमेनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट, एमेनस्टी इंडरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड तथा एमनेस्टी इंटरनेशनल साउथ एशिया फाउंडेशन के खिलाफ जांच कर रही है।
प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मंगलवार को ह्यूमन राइट ऑर्गनाइजेशन एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की 17.66 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की।
जांच एजेंसी ने बयान जारी कर कहा कि अब तक एमनेस्टी इंटरनेशनल की 19.54 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। एनजीओ पर पिछले दो सालों में ईडी और सीबीआई ने छापेमारी की थी, जिसके बाद उसके बैंक अकाउंट्स को भी फ्रीज कर दिया गया था। बाद में एनजीओ ने भारत में अपनी सेवाओं को बंद कर दिया था।
ईडी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, ”प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के तहत एक प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर जारी किया जिसके तहत मैसर्स एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट के बैंक खातों को अटैच किया जा रहा है। दोनों ही संस्थाओं पर अपराध का आरोप है। प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर में 17.66 करोड़ की चल संपत्तियों की कुर्की भी शामिल है।”
बयान में आगे कहा गया है कि प्रथम दृष्टया पाया गया है कि मैसर्स एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्रा. लिमिटेड और अन्य को विदेश से धन मिला है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के पेरेंट बॉडी एमनेस्टी इंटरनेश्नल यूके से 51.72 करोड़ रुपये लेने का आरोप है।
एमनेस्टी इंटरनेशन इंडिया पर अक्टूबर से ही जांच चल रही है। इसके बाद, पिछले साल 29 सितंबर 2020 को भारत में ऑपरेशंस को बंद कर दिया गया था। एमनेस्टी इंटरेशनल इंडिया ने अपनी वेबसाइट पर जारी एक बयान में कहा था कि भारत सरकार द्वारा एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक खातों को पूरी तरह से फ्रीज कर दिया गया है, जिसकी जानकारी 10 सितंबर 2020 को हुई। इससे संगठन द्वारा किए जा रहे सभी कामों पर ब्रेक लग गया है। संस्था ने आरोप लगाया कि भारत सरकार की कार्रवाई के बाद उसे अपने कर्मचारियों को निकालने पर मजबूर होना पड़ा।
साल 2018 में ईडी ने एनजीओ के बेंगलुरु स्थित हेडऑफिस पर छापेमारी की थी और उसके बैंक खातों को फ्रीज कर दिया था। इसके बाद साल 2019 में सीबीआई ने छापेमारी की, जिसके बाद एनजीओ ने कहा कि उन्होंने कोई कानून नहीं तोड़ा है और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। ग्रुप की ओर से कहा गया कि जब भी हमने भारत में मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ कुछ बोला है तब हमें प्रताड़ित किया गया।