सहारनपुर 15 अक्टूबर । उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के बहुचर्चित खनन कारोबारी और बसपा के पूर्व एमएलसी इकबाल उर्फ बाला के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने करीब 18 घंटों तक छापेमारी के काज को अंजाम दिया।
इकबाल के खिलाफ सीबीआई और ईडी पहले से जांच कर रही है। दोनो एजेंसियों की टीमे इकबाल के जिले के थाना एवं कस्बा मिर्जापुर स्थित आवास और अन्य ठिकानों के साथ-साथ उसकी विभिन्न फर्मों में हिस्सेदार रहे सौरभ मुकुंद के यहां छापेमारी कर चुके है।
इकबाल पिछले 20 साल से भी ज्यादा समय से सहारनपुर एवं पूरे उत्तर प्रदेश में खनन कारोबारी के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। मायावती और मुलायम सिंह एवं अखिलेश यादव के शासन में सहारनपुर जिले में इकबाल डीएम, एसएसपी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर मनमाफिक अफसरों की नियुक्तियां कराता था और मीडिया को भी नीचे से लेकर मैनेज रखता था।
मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में जब खनन मंत्रालय शिवपाल यादव के पास था तो तत्कालीन जिलाधिकारी निवेदिता शुक्ला वर्मा को इसलिए जिलाधिकारी का पद छोडना पडा था क्योंकि वह नियम और कायदे-कानून की अनदेखी कर सत्ता के इशारे पर खनन पट्टे इकबाल के लोगों को देने को तैयार नहीं हुई थी।
ढाई दशक के दौरान जिस डीएम-एसएसपी, डीआईजी, कमिश्नर ने इकबाल के इशारों पर चलने में हील हुज्जत दिखाई। उसका फौरन तबादला हो गया।
वर्ष 2017 में स्थिति तब बदली जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनी। इस दौरान अफसरों का रूख जरूर निष्पक्ष और ईमानदारी वाला दिखाई दिया लेकिन सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां इकबाल और उसकी बेनामी फर्मों के हिस्सेदारों, परिजनों का कुछ नहीं बिगाड पाई।