नयी दिल्ली, 27 जनवरी । दिल्ली पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव ने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली निकलने को लेकर किसानों संगठनों ने नियम शर्तों का उल्लंघन किया जिसके कारण हिंसा हुई इसलिए इस हिंसा में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
पुलिस आयुक्त ने बुधवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मंगलवार को राजधानी के विभिन्न इलाकों में किसानों के द्वारा की गई हिंसा में 394 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं जिनमें से कुछ का अस्पताल में इलाज चल रहा है और कुछ पुलिसकर्मी आईसीयू में भी भर्ती हैं। पुलिस ने अब तक 25 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए हैं।
उन्होंने कहा किसान संगठनों को गणतंत्र दिवस के दिन रैली को टालने के लिए निरंतर समझाया गया और इसके लिए उनके साथ पांच दौर की बातचीत भी की गई। रैली के लिए कुछ नियम और शर्तों पर सहमति और लिखित आश्वासन देने बाद अनुमति दी गई लेकिन किसान संगठनों ने अपने वायदे को पूरा नहीं किया। यहां तक की कुछ किसान नेताओं शांति बनाकर रैली निकलने की बजाय भड़काऊ भाषण दिये और हिंसा के लिए उकसाया।
पुलिस आयुक्त ने कहा कि किसानों की आक्रमता के बावजूद पुलिस ने अधिकतम संयम का परिचय दिया और जिम्मेदारी के साथ काम किया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े।
उन्होंने कहा कि लाल किला पर किसान संगठनों ने जिस प्रकार किसानों और धार्मिक झंडे लगाए उसे गंभीरता से लिया जा रहा है। इस प्रकार के कृत्य करने वालों की पहचान की जा रही है और इसमें शामिल लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा। राष्ट्र के सम्मान में पुलिस किसान संगठनों से पूछताछ करेगी और जो इसमें शामिल होगा सभी को गिरफ्तार किया जाएगा।
उन्होंने कहा की हिंसा के दौरान किसानों ने 428 बैरिकेट, 30 पुलिस वाहन, छह कंटेनर, चार एक्सरे मशीन, आठ तार पिलर समेत अन्य संपत्तियों को क्षतिग्रस्त किया है।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि किसान संगठनों ने तय समय से पहले बैरिकेट तोड़कर अपना आंदोलन शुरू कर दिया। इस दौरान किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू ने मुकरबा चौक पर भड़काऊ भाषण दिया और बैरिकेट तोड़ने के लिए लोगों को उकसाया। इसी प्रकार गाजीपुर के किसान भी राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसानों अक्षरधाम के पास बैरिकेट तोड़कर आगे बढ़े और लालकिला तक पहुंचे। इसी प्रकार की घटना टीकरी बॉर्डर के किसानों ने की है
मेधा पटकर, योगेंद्र यादव समेत 37 किसान नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज
किसान ट्रैक्टर रैली को शांतिपूर्ण तरीके से कराने की जिम्मेदारी लेने वाले 37 किसान नेताओं के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने अलग-अलग धाराओं में मामले दर्ज किए हैं जिनमें आपराधिक षड्यंत्र, डकैती, डकैती के दौरान घातक हथियार का प्रयोग और हत्या का प्रयास जैसी गंभीर धाराओं समेत कुल 13 धाराएं लगाई गई हैं।
गणतंत्र दिवस के दिन किसान संगठनों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में जिन 37 नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं उनमें डॉक्टर दर्शन पाल (बीकेयू क्रांतिकारी दर्शनपाल ग्रुप), कुलवंत सिंह संधू (जम्हूरी किसान सभा पंजाब), बूटा सिंह बुर्जगिल (भारतीय किसान सभा, धकोंडा), निर्भय सिंह धुड़ीके (कीर्ति किसान यूनियन, धुड़ीके ग्रुप), रुल्दू सिंह (पंजाब किसान यनियन, रुल्दू ग्रुप), इंदरजीत सिंह, किसान संघर्ष कमेटी (कोट बुद्धा ग्रुप), हरजिंदर सिंह टांडा (आजाद किसान संघर्ष कमेटी), गुरबख्श सिंह (जय किसान आंदोलन), सतनाम सिंह पन्नू, किसान मजदूर संघर्ष समिति,(पिड्डी ग्रुप)’ कंवलप्रीत सिंह पन्नू (किसान संघर्ष कमेटी पंजाब), जोगिंदर सिंह उग्राहा (भारतीय किसान यूनियन उग्राहां), सुरजीत सिंह फूल (भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी), जगजीत सिंह डालेवाल( भारतीय किसान यूनियन, सिद्धूपुर), हरमीत सिंह कड़ियां (बीकेयू, कड़ियां), बलबीर सिंह राजेवाल (भारतीय किसान यूनियन राजेवाल), सतनाम सिंह साहनी( भारतीय किसान यूनियन, दोआबा), बोघ सिंह मानसा (भारतीय किसान यूनियन, मानसा), बलविंदर सिंह औलख (माझा किसान कमेटी), सतनाम सिंह बेहरू( इंडियन फार्मर एसोसिएशन), बूटा सिंह शादीपुर (भारतीय किसान मंच), बलदेव सिंह सिरसा (लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी),जगबीर सिंह जाड़ा (दोआबा किसान समिति), मुकेश चंद्रा (दोआबा किसान संघर्ष कमेटी), सुखपाल सिंह डफ्फर (गन्ना संघर्ष कमेटी), हरपाल सिंह सांघा( आजाद किसान कमेटी दोआब), कृपाल सिंह नाथूवाला( किसान बचाओ मोर्चा), हरिंदर सिंह लाखोवाल (भारतीय किसान यूनियन लाखोवाल), प्रेम सिंह भंगू( कुलहिंद किसन फेडरेशन), गुरनाम सिंह चडूनी (भारतीय किसान यूनियन चडूनी), राकेश टिकैत (भारतीय किसान यूनियन), कविता कुमगुटी (महिला किसान अधिकार मंच), रिषिपाल अंबावाटा (भारतीय किसान यूनियन अंबावाटा), वीएम सिंह (ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी), मेधा पाटेकर ( नर्मदा बचाओ), योगेंद्र यादव( स्वराज इंडिया), अवीक साहा (जन किसान आंदोलनस्वराज इंडिया) तथा प्रेम सिंह गहलोत( ऑल इंडिया किसान सभा) शामिल हैं।
पुलिस का कहना है कि किसान संगठनों ने शांति बनाकर रैली आयोजित करने की जिम्मेदारी ली थी लेकिन किसान नेताओं ने नियम शर्तों को नहीं माना जिसके कारण राजधानी में कई जगह हिंसा की घटनाएं हुई। पुलिस ने अधिकतम संयम का परिचय देकर जिम्मेदार पुलिस की भूमिका को निभाया।